"राधे-राधे" बोलने पर नर्सरी की मासूम बच्ची पर स्कूल प्रिंसिपल की क्रूरता, मुंह पर टेप चिपकाकर बेरहमी से पीटा.
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया। साढ़े तीन साल की मासूम बच्ची गर्विता ने स्कूल में "राधे-राधे" कहकर अभिवादन किया, तो इंग्लिश मीडियम स्कूल की प्रिंसिपल ने उसे क्रूरता से थप्पड़ मारे, डंडे से पीटा और 15 मिनट तक उसके मुंह पर टेप चिपकाकर रखा। बच्ची के शरीर पर चोट के निशान और डर से भरी आंखें इस अत्याचार की गवाही देती हैं। पिता की शिकायत पर पुलिस ने प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन यह घटना धार्मिक असहिष्णुता और बच्चों के प्रति क्रूरता का ज्वलंत उदाहरण बन गई है। समाज में आक्रोश है, और लोग सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि मासूमों की पुकार को इंसाफ मिले।

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के बागडूमर गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। एक साढ़े तीन साल की मासूम बच्ची, जो अपनी मासूमियत और भोलेपन से स्कूल में कदम रखती थी, उसे केवल "राधे-राधे" कहने की वजह से स्कूल की प्रिंसिपल द्वारा अमानवीय सजा दी गई। इस घटना ने न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि धार्मिक असहिष्णुता और बच्चों के प्रति क्रूरता जैसे गंभीर मुद्दों को भी उजागर किया है।
घटना का विवरण: मासूमियत पर क्रूरता की छाया
यह दिल-दहलाने वाली घटना 30 जुलाई 2025 को सुबह करीब 7:30 बजे बागडूमर गांव के मदर टेरेसा इंग्लिश मीडियम स्कूल में हुई। नर्सरी में पढ़ने वाली साढ़े तीन साल की बच्ची गर्विता यादव ने अपनी प्रिंसिपल, ईला ईवन कौलविन को अभिवादन के लिए "गुड मॉर्निंग" की जगह "राधे-राधे" कहा। यह हिंदू परंपरा में एक सामान्य और पवित्र अभिवादन है, जो भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा को दर्शाता है। लेकिन इस मासूम अभिवादन ने प्रिंसिपल को इतना नाराज कर दिया कि उन्होंने बच्ची पर क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं।बच्ची के पिता प्रवीण यादव के अनुसार, प्रिंसिपल ने पहले बच्ची को थप्पड़ मारे, उसकी कलाई पर डंडे से प्रहार किया, जिससे उसके नाजुक हाथों पर चोट के निशान बन गए। इतना ही नहीं, प्रिंसिपल ने बच्ची के मुंह पर टेप चिपका दिया, जो करीब 15 मिनट तक लगा रहा। बच्ची ने डर और दर्द में रोते हुए यह सजा सही, जिसने उसे शारीरिक और मानसिक रूप से आहत कर दिया। बच्ची ने घर लौटने पर रोते हुए अपने माता-पिता को बताया, "जब मैं राधे-राधे बोली, तो मिस ने मेरे मुंह पर टेप लगा दिया और मुझे मारा।"
परिजनों का आक्रोश और पुलिस की कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही बच्ची के पिता प्रवीण यादव ने नंदिनी नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल ने जानबूझकर उनकी बेटी को धार्मिक अभिवादन के कारण मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए प्रिंसिपल ईला ईवन कौलविन को गिरफ्तार कर लिया। थाना प्रभारी पारस सिंह ठाकुर ने पुष्टि की कि बच्ची की कलाई पर चोट के निशान पाए गए हैं, और प्रिंसिपल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 115(2), 299, 323, 504, 506 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 75, 82 के तहत मामला दर्ज किया गया है। आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।हालांकि, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) पद्मश्री तंवर ने कहा कि प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि प्रिंसिपल ने बच्ची को एक सवाल का जवाब न दे पाने के कारण सजा दी थी। लेकिन उन्होंने यह भी माना कि यह कार्रवाई "अत्यधिक और अनुचित" थी। पुलिस ने बच्ची का मेडिकल परीक्षण कराया, जिसमें उसके शरीर पर चोट के निशान की पुष्टि हुई। मामले की गहन जांच जारी है ताकि सच्चाई और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
सामाजिक और धार्मिक संगठनों का उबाल
घटना की खबर फैलते ही स्थानीय लोगों और हिंदूवादी संगठनों में भारी आक्रोश फैल गया। गुरुवार को बजरंग दल और अन्य संगठनों के कार्यकर्ता स्कूल के बाहर जमा हो गए और प्रिंसिपल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन इतना उग्र हुआ कि स्कूल को बंद करना पड़ा और पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने इसे धार्मिक असहिष्णुता और सनातन संस्कृति के अपमान से जोड़ा, जिससे यह मामला और संवेदनशील हो गया।सामाजिक संगठनों ने स्कूल की मान्यता रद्द करने और पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यह घटना न केवल एक बच्ची के साथ क्रूरता का मामला है, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला और शिक्षा प्रणाली की विफलता को भी दर्शाती है।
आगे की जांच और अपेक्षाएं
पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए विस्तृत जांच शुरू कर दी है। छत्तीसगढ़ बाल अधिकार आयोग और शिक्षा विभाग से भी इस मामले में स्वतंत्र जांच की मांग की जा रही है। परिजनों और स्थानीय लोगों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने इस घटना को छिपाने की कोशिश की और बच्ची की पढ़ाई पर सवाल उठाकर अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास किया। शिक्षा विभाग ने भी संकेत दिए हैं कि स्कूल की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी और प्रशासनिक कार्रवाई की संभावना है।
एक मासूम की पुकार
यह घटना न केवल एक बच्ची के साथ हुए अत्याचार की कहानी है, बल्कि यह समाज में बढ़ती असहिष्णुता और बच्चों के प्रति संवेदनशीलता की कमी को भी उजागर करती है। साढ़े तीन साल की मासूम गर्विता की वह पुकार, जो "राधे-राधे" कहकर अपनी मासूमियत जाहिर कर रही थी, आज एक बड़े सामाजिक और धार्मिक विवाद का केंद्र बन गई है। इस मामले ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या स्कूलों में बच्चों को उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के लिए सजा दी जाएगी? समाज और प्रशासन से अपेक्षा है कि इस घटना के दोषियों को कड़ी सजा मिले और भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।