राजस्थान में अपराध 19% कम, फिर भी जयपुर क्यों बन गया नंबर-1 अपराधी शहर?

राजस्थान में अपराध दर राज्य स्तर पर 19.45% घटी है, लेकिन जयपुर जिला अपराध वृद्धि के मामले में नंबर-1 बना हुआ है। 2024 में जयपुर में बलात्कार, हत्या और अपहरण के मामले 15-20% बढ़े। इसके बावजूद सरकार ने साइबर क्राइम रोकने के लिए नई आर4सी (Rajasthan Cyber Crime Control Centre), ऑपरेशन संस्कार, साइबर शील्ड, कलिका पट्रोलिंग, ग्राम रक्षक योजना और हर महीने जागरूकता अभियान जैसे बड़े कदम उठाए हैं।

Dec 5, 2025 - 14:21
राजस्थान में अपराध 19% कम, फिर भी जयपुर क्यों बन गया नंबर-1 अपराधी शहर?

जयपुर, 5 दिसंबर 2025: राजस्थान में अपराध की स्थिति को लेकर जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2024 की रिपोर्ट और राज्य पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, जयपुर जिला राज्य में अपराधों की सबसे तेज वृद्धि वाला क्षेत्र बन चुका है। यहां हत्या, अपहरण और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के मामले 2023 की तुलना में 15-20% बढ़े हैं, जबकि राज्य स्तर पर समग्र अपराध दर में 19.45% की कमी दर्ज की गई है। इसके बावजूद, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में राजस्थान का स्थान राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा है, जिसमें जयपुर का योगदान प्रमुख है। राज्य सरकार और पुलिस ने अपराध रोकथाम के लिए कई नई पहलें शुरू की हैं, जिनमें साइबर क्राइम कंट्रोल सेंटर की स्थापना और 'ऑपरेशन संस्कार' जैसे अभियान शामिल हैं। ये प्रयास तकनीकी उन्नयन और सामुदायिक भागीदारी पर केंद्रित हैं, जो अपराध दर को और कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहे हैं।

जयपुर में अपराध क्यों बढ़ रहे हैं? आंकड़ों की सच्चाई

राजस्थान पुलिस की मासिक अपराध रिपोर्ट (एमसीआर) और एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में जयपुर में कुल 5,000 से अधिक गंभीर अपराध दर्ज हुए, जो 2023 के 4,200 मामलों से 19% अधिक हैं। विशेष रूप से:बलात्कार के मामले: 857 मामले दर्ज, जो राज्य के कुल 7,195 मामलों का 12% हैं। जयपुर में महिलाओं के खिलाफ अपराध दर 115.1 प्रति लाख जनसंख्या है, जो राष्ट्रीय औसत (66.4) से दोगुना से अधिक है। हत्या: 142 मामले, जो राज्य के 1,751 कुल हत्याओं का 8% हैं। 

अपहरण: 1,276 मामले, राज्य के 10,563 कुल मामलों में सबसे अधिक।

इस वृद्धि के पीछे प्रमुख कारण शहरीकरण, पर्यटन से जुड़े विवाद, साइबर फ्रॉड और सामाजिक मीडिया पर अपराधों का महिमामंडन हैं। जयपुर जैसे महानगरों में अपराध दर 916.7 प्रति लाख जनसंख्या है, जो राज्य औसत (392.3) से दोगुना है। हालांकि, राज्य स्तर पर 2024-25 में अपराधों में 19.45% कमी आई है, जिसमें एससी/एसटी के खिलाफ अपराध 17-18% और महिलाओं के खिलाफ 9.24% घटी हैं। फिर भी, जयपुर, अलवर और भरतपुर जैसे जिलों में साइबर और महिलाओं के खिलाफ अपराध चिंता का विषय बने हुए हैं। एनसीआरबी की 2024 रिपोर्ट में राजस्थान को बलात्कार के मामलों में दूसरे स्थान पर रखा गया है, जहां 5,399 मामले दर्ज हुए।विपक्षी दलों ने इन आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं, लेकिन पुलिस का कहना है कि पारदर्शी एफआईआर रजिस्ट्रेशन के कारण मामले बढ़े दिख रहे हैं, जबकि वास्तविक नियंत्रण मजबूत हो रहा है। डीजीपी राजीव कुमार शर्मा ने कहा, "जयपुर में अपराध वृद्धि शहरी चुनौतियों का परिणाम है, लेकिन हमारी कार्रवाई से 2025 में और कमी आएगी।" 

अपराध रोकथाम के लिए नई पहलें: तकनीक और जागरूकता पर जोर

राजस्थान सरकार ने 2025 में अपराध रोकथाम के लिए कई अभिनव प्रयास शुरू किए हैं, जो मुख्य रूप से साइबर क्राइम, महिलाओं की सुरक्षा और सामुदायिक सहभागिता पर केंद्रित हैं। राजस्थान हाईकोर्ट के आदेशों के बाद ये पहलें और तेज हुई हैं। प्रमुख प्रयास इस प्रकार हैं: 

राजस्थान साइबर क्राइम कंट्रोल सेंटर (आर4सी) की स्थापना: दिसंबर 2025 में जोधपुर बेंच के आदेश पर आर4सी की स्थापना की गई, जो इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (आई4सी) की तर्ज पर काम करेगा। यह केंद्र एआई, डीपफेक और डिजिटल धोखाधड़ी पर नजर रखेगा। 1 फरवरी 2026 तक ऑपरेशनल होने की योजना है, जिसमें 30 दिनों में फोरेंसिक रिपोर्ट अनिवार्य होगी। इसके अलावा, नया टोल-फ्री नंबर (1930 से अलग) शुरू किया गया है, जो शिकायत पर तुरंत एफआईआर दर्ज करेगा।

साइबर शील्ड और एंटी-वायरस अभियान: फरवरी 2025 से राज्यव्यापी ये अभियान चल रहे हैं, जो साइबर फ्रॉड रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते हैं। जनवरी 2025 में शुरू हुए साइबर क्राइम कैंपेन (2 जनवरी से 25 जनवरी तक) में हर महीने 5वीं और 20वीं तारीख को जागरूकता सत्र होते हैं। अलवर, जयपुर और भरतपुर जैसे जिलों में 36 साइबर पुलिस स्टेशन सक्रिय हैं, जहां शिकायतों का 80% समाधान हो रहा है। गिग वर्कर्स (ओला-उबर ड्राइवर) के लिए क्यूआर कोड आईडी कार्ड अनिवार्य किए गए हैं।

ऑपरेशन संस्कार: सोशल मीडिया पर अपराध महिमामंडन रोकने का प्रयास: जुलाई 2025 में डूंगरपुर पुलिस ने शुरू किया यह अभियान युवाओं (18-24 वर्ष) को अपराधी जीवन से दूर रखने के लिए इंस्टाग्राम रील्स, मीम्स और वीडियो का इस्तेमाल करता है। चोरी, स्टॉकिंग और हाईवे रोबरी जैसे अपराधों में कमी आई है। बीकानेर सांसद राजकुमार रोत ने इसे सराहा, कहा, "यह अभियान माता-पिता की जिम्मेदारी को मजबूत करता है।"

महिला और बाल सुरक्षा के लिए डिजिटल टूल्स: नवंबर 2025 के राज्य पुलिस कॉन्फ्रेंस में जीरो एफआईआर, वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष से ऊपर) के लिए तेज जांच और महिलाओं के लिए 'कलिका पट्रोलिंग टीम' (500 टीमें) की मंजूरी दी गई। पीओएससीओ ई-बॉक्स और महिला सुरक्षा दूत कार्यक्रम महिलाओं की बयान रिकॉर्डिंग को मजबूत करते हैं। साइबर लॉ कंसल्टेंट की नियुक्ति जटिल मामलों के लिए की गई है।

ग्राम रक्षक योजना और तकनीकी उन्नयन: जुलाई 2025 से ग्रामीण क्षेत्रों में 8वीं पास युवाओं की भर्ती शुरू, जो गांवों में अपराध निगरानी करेंगे। एनसीआरबी के नए डैशबोर्ड से जांच तेज हुई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 200 करोड़ का पुलिस आधुनिकीकरण फंड और 10,000 नई भर्तियां घोषित कीं। साइबर क्राइम ट्रेनिंग यूनिट राजस्थान पुलिस अकादमी में सितंबर 2025 से चालू हो चुकी है।

ये प्रयास डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 और 2025 नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं। गृह मंत्री जवाहर सिंह बेधम ने कहा, "साइबर अपराधों पर काबू पाने के लिए नई तकनीकें अपनाई जा रही हैं, जिससे 2025 में शिकायतों का 90% समाधान होगा।"

चुनौतियां और भविष्य की दिशा

जयपुर में अपराध वृद्धि पर्यटन और शहरी घनत्व से जुड़ी है, लेकिन राज्य सरकार का दावा है कि 2025 के अंत तक ये नियंत्रित हो जाएंगे। विपक्ष ने आंकड़ों में विसंगति का आरोप लगाया है, लेकिन पुलिस रिपोर्ट्स पारदर्शी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सामुदायिक जागरूकता और एआई-आधारित निगरानी से अपराध 25% और कम हो सकता है।राजस्थान पुलिस की वेबसाइट पर मासिक अपराध रिपोर्ट उपलब्ध है, जहां नागरिक शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यदि आप जयपुर या किसी अन्य जिले में अपराध की शिकायत करना चाहें, तो नजदीकी थाने या साइबर हेल्पलाइन से संपर्क करें। राज्य में अपराध रोकथाम की ये नई पहलें न केवल आंकड़ों को सुधारेंगी, बल्कि नागरिकों का विश्वास भी बढ़ाएंगी।