प्रेम प्रसंग के चलते पति की थी हत्या,पत्नी और प्रेमी को हुई उम्रकैद की सजा.
2019 के सनसनीखेज हत्याकांड में पत्नी दक्षा कंवर और प्रेमी महेंद्रसिंह को पति वीरसिंह की कुल्हाड़ी और पाइप से हत्या करने के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। प्रेम प्रसंग के चलते हुई इस क्रूर हत्या में दोनों ने सबूत मिटाने की कोशिश की थी। अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश पीयूष चौधरी ने 26 गवाहों और ठोस सबूतों के आधार पर यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जो समाज में अपराध के खिलाफ कड़ा संदेश देता है।

बाड़मेर, 21 अगस्त 2025: राजस्थान के बाड़मेर जिले में एक दिल दहला देने वाला हत्याकांड, जिसमें प्रेम प्रसंग ने एक परिवार को तहस-नहस कर दिया। वर्ष 2019 में हुई इस सनसनीखेज वारदात में पत्नी और उसके प्रेमी ने मिलकर पति की बेरहमी से हत्या कर दी थी। अब, छह साल बाद, अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश (एडीजे-2) पीयूष चौधरी ने इस मामले में कड़ा फैसला सुनाते हुए दोनों आरोपियों—पत्नी दक्षा कंवर और उसके प्रेमी महेंद्रसिंह—को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला न केवल बाड़मेर में चर्चा का केंद्र बना है, बल्कि प्रेम और विश्वासघात की एक ऐसी कहानी बयान करता है, जो हर किसी को झकझोर देगी।
क्या थी वह खौफनाक रात?
यह कहानी शुरू होती है 3 जून 2019 से, जब बाड़मेर के रामसर थाना क्षेत्र के सोढ़ों की बस्ती, हाथमा में रहने वाला वीरसिंह अपने घर से दोपहर 2 बजे निकला था। अगले दिन, 4 जून को उसकी लाश उदयराजसिंह की ढाणी के पास पड़ी मिली। वीरसिंह के चचेरे भाई सुजानसिंह ने पुलिस में शिकायत दर्ज की और महेंद्रसिंह पर हत्या का शक जताया। लेकिन जैसे-जैसे पुलिस ने जांच की परतें खोलीं, एक ऐसी साजिश सामने आई, जिसने सभी को हैरान कर दिया। पुलिस जांच में पता चला कि वीरसिंह की पत्नी दक्षा कंवर का महेंद्रसिंह के साथ प्रेम संबंध था। यह रिश्ता वीरसिंह को मंजूर नहीं था, जिसके चलते पति-पत्नी के बीच अक्सर तनाव रहता था। उस रात, जब महेंद्रसिंह चोरी-छिपे दक्षा से मिलने आया, तो वीरसिंह को इसकी भनक लग गई। गुस्से और विवाद के बीच दोनों ने मिलकर वीरसिंह पर कुल्हाड़ी और लोहे के पाइप से ताबड़तोड़ वार किए। सिर पर गहरे घावों की वजह से वीरसिंह की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद, दोनों ने सबूत मिटाने की कोशिश की, लेकिन कानून के लंबे हाथों से बच नहीं पाए।
पुलिस जांच और कोर्ट की कार्रवाई
रामसर थाने में दर्ज इस मामले की जांच में पुलिस ने तेजी दिखाई। जांच में सामने आया कि यह हत्या प्रेम प्रसंग को छिपाने और वीरसिंह के विरोध को खत्म करने की साजिश थी। पुलिस ने दोनों आरोपियों—दक्षा कंवर और महेंद्रसिंह—के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत मिटाने की कोशिश), और 34 (साझा इरादा) के तहत आरोप पत्र दाखिल किया। बाड़मेर की एडीजे-2 कोर्ट में इस मामले की सुनवाई एक लंबी और गहन प्रक्रिया थी। अभियोजन पक्ष ने 26 गवाहों के बयान पेश किए और कई अहम सबूत, जैसे हत्या में इस्तेमाल हथियार और अन्य दस्तावेज, कोर्ट के सामने रखे। अपर लोक अभियोजक अनामिका सांदू और परिवादी के वकील स्वरूपसिंह राठौड़ ने जोरदार दलीलें दीं। उन्होंने कहा कि यह हत्या सुनियोजित थी और प्रेम प्रसंग को छिपाने के लिए की गई थी। दोनों आरोपियों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं, इसलिए उन्हें कठोरतम सजा दी जाए।
न्याय का ऐतिहासिक फैसला
लंबी सुनवाई और सबूतों की गहन जांच के बाद, गुरुवार को न्यायाधीश पीयूष चौधरी ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने पाया कि दक्षा और महेंद्रसिंह के बीच प्रेम संबंध ही इस हत्याकांड की जड़ था। वीरसिंह का इस रिश्ते का विरोध करना उसकी मौत का कारण बना। कोर्ट ने दोनों को दोषी ठहराते हुए निम्नलिखित सजा सुनाई:
आईपीसी धारा 302/34 (हत्या): आजीवन कारावास और 50,000 रुपये का जुर्माना। जुर्माना न चुकाने पर 2 साल का अतिरिक्त कठोर कारावास।
आईपीसी धारा 201/34 (सबूत मिटाने की कोशिश): 3 साल का कठोर कारावास और 10,000 रुपये का जुर्माना। जुर्माना न चुकाने पर 6 महीने का अतिरिक्त कारावास।
न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि यह अपराध न केवल क्रूर था, बल्कि समाज के लिए एक खतरनाक मिसाल भी बन सकता था। इसलिए, कठोर सजा जरूरी थी ताकि भविष्य में कोई ऐसा जघन्य कृत्य करने की हिम्मत न करे।
क्यों है यह मामला चर्चा में?
यह मामला न केवल एक हत्या की कहानी है, बल्कि प्रेम, विश्वासघात, और बदले की भावना का एक दुखद चित्रण भी है। दक्षा और महेंद्रसिंह का प्रेम प्रसंग, जो एक पवित्र रिश्ते को तोड़ने का कारण बना, समाज को यह सोचने पर मजबूर करता है कि रिश्तों में विश्वास और ईमानदारी कितनी जरूरी है। इस फैसले ने बाड़मेर में इंसाफ की मिसाल कायम की है और यह संदेश दिया है कि अपराध कितना भी सुनियोजित क्यों न हो, कानून की नजरों से कोई नहीं बच सकता।
यह फैसला न केवल वीरसिंह के परिवार को न्याय दिलाने में सफल रहा, बल्कि समाज में एक सख्त संदेश भी दे गया। बाड़मेर के लोग इस मामले को लंबे समय तक याद रखेंगे, क्योंकि यह प्रेम की आड़ में किए गए अपराध की एक काली तस्वीर है। क्या इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए समाज को और जागरूक होने की जरूरत है? यह सवाल हर किसी के मन में उठ रहा है।