प्लॉट-बाइक का लालच देकर 33 हजार परिवारों का 22 करोड़ लुटा! चिटफंड ठग दंपति फरार, पुलिस का बड़ा खुलासा.....
उत्तर प्रदेश में एक फर्जी चिटफंड कंपनी चलाने वाले पति-पत्नी, राजेश कुमार और सीमा देवी, ने 33,500 लोगों को प्लॉट और बाइक का लालच देकर 22 करोड़ रुपये की ठगी की। 2022-2024 के बीच चले इस घोटाले में गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को निशाना बनाया गया। पुलिस ने 10 अक्टूबर 2025 को दोनों को गिरफ्तार कर लिया, और अब संपत्ति जब्त कर पीड़ितों को रिफंड की कोशिश हो रही है। यह मामला चिटफंड घोटालों के बढ़ते खतरे को उजागर करता है।

लखनऊ/वाराणसी, 12 अक्टूबर 2025: निवेश के नाम पर लोगों को प्लॉट और बाइक का झांसा देकर ठगने वाले एक चिटफंड घोटाले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। 33 हजार से ज्यादा लोगों को चूना लगाने वाले पति-पत्नी की जोड़ी को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया है। इन धूर्तों ने अपनी फर्जी कंपनी के जरिए करीब 22 करोड़ रुपये की ठगी की, जिससे हजारों परिवारों की जमा-पूंजी पर पानी फिर गया। मामला इतना सनसनीखेज है कि पुलिस अब इनके पूरे नेटवर्क की तह तक पहुंचने की कोशिश में जुटी है। आइए, जानते हैं इस घोटाले की पूरी सच्चाई और कैसे ये दंपति लोगों का भरोसा जीतकर उन्हें लूट ले गए।
घोटाले की शुरुआत: प्लॉट-बाइक का मीठा सपना बेचा
यह मामला उत्तर प्रदेश के वाराणसी और आसपास के जिलों से जुड़ा है, जहां आरोपी पति-पत्नी ने 'प्रॉमिस्ड इन्वेस्टमेंट सॉल्यूशंस' नाम की एक फर्जी चिटफंड कंपनी खोली थी। कंपनी के मैनेजर, 48 वर्षीय राजेश कुमार और उनकी 45 वर्षीय पत्नी सीमा देवी ने 2022 से 2024 के बीच यह घोटाला चलाया। इनका तिकड़म यह था कि वे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को टारगेट करते थे, जो घर-परिवार के लिए प्लॉट या बाइक जैसी चीजों का सपना देखते थे।
लालच का जाल: कंपनी के एजेंट घर-घर जाकर प्रचार करते थे कि "केवल 10-20 हजार रुपये मासिक निवेश करें, 18-24 महीनों में दोगुना रिटर्न मिलेगा। ऊपर से प्लॉट का एग्रीमेंट और ब्रांडेड बाइक फ्री!" कई निवेशकों ने अपनी पूरी बचत, यहां तक कि जमीन बेचकर भी पैसे लगाए।
शुरुआती चालाकी: पहले 3-6 महीनों तक छोटे-छोटे रिटर्न दिए जाते थे, ताकि लोग भरोसा कर लें। लेकिन जैसे ही बड़ी रकम जमा हुई, कंपनी के ऑफिस बंद हो गए और फोन नंबर बंद।
पीड़ितों की तादाद: पुलिस जांच में सामने आया कि करीब 33,500 लोग ठगे गए, जिनमें ज्यादातर ग्रामीण इलाकों के किसान, छोटे व्यापारी और महिलाएं शामिल हैं। एक पीड़ित ने बताया, "हमने बेटे की शादी के लिए 50 हजार लगाए, प्लॉट का कागज तक मिल गया, लेकिन अब न पैसे हैं न संपत्ति।"
ठगी का आंकड़ा: 22 करोड़ का काला कारोबार
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और स्थानीय पुलिस की संयुक्त जांच में पाया गया कि दंपति ने कुल 22 करोड़ 15 लाख रुपये की ठगी की। यह रकम छोटे-छोटे निवेशों से जमा हुई, जहां औसतन हर पीड़ित ने 5-10 हजार रुपये लगाए।
कैसे लूटे पैसे: कंपनी चिटफंड स्कीम के तहत रजिस्ट्रेशन कराई थी, लेकिन असल में यह बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम्स (बीयूडीएस) एक्ट का उल्लंघन था। पैसे बैंक खातों में ट्रांसफर कराए जाते थे, फिर आरोपी उन्हें नकद या प्रॉपर्टी में बदल लेते।
संपत्ति का खेल: जांच में पता चला कि ठगे हुए पैसे से दंपति ने वाराणसी में दो लग्जरी फ्लैट, एक लग्जरी कार और सोने-चांदी के गहने खरीदे। ईडी ने इन संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
नेटवर्क का खुलासा: गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में राजेश और सीमा ने कबूल किया कि उनके 15-20 एजेंट सक्रिय थे, जो कमीशन के लालच में गांव-गांव फैले हुए थे। पुलिस अब इन एजेंटों की तलाश में छापेमारी कर रही है।
गिरफ्तारी का ड्रामा: फरार होने की कोशिश नाकाम
दंपति ने जून 2024 में घोटाला उजागर होने के बाद फरार हो गए थे। राजेश ने अपना नाम बदलकर लखनऊ में एक छोटे बिजनेस में छिपने की कोशिश की, जबकि सीमा देवी कानपुर के एक रिश्तेदार के घर रह रही थी। लेकिन पीड़ितों की शिकायतों पर यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने ट्रैकिंग के जरिए इन्हें धर दबोचा।
गिरफ्तारी की तारीख: 10 अक्टूबर 2025 को लखनऊ के एक होटल से राजेश को और कानपुर से सीमा को गिरफ्तार किया गया।
कानूनी कार्रवाई: दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी) और बीयूडीएस एक्ट के तहत केस दर्ज। कोर्ट ने 14 दिन की पुलिस रिमांड दी है। ईडी भी मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच कर रही है।
पीड़ितों को राहत: पुलिस ने घोषणा की है कि जब्त संपत्ति से पीड़ितों को रिफंड करने की कोशिश की जाएगी। अब तक 500 से ज्यादा पीड़ितों ने बयान दर्ज कराए हैं।
चिटफंड घोटालों का बढ़ता सिलसिला: सबक क्या?
यह घोटाला देशभर में फैले चिटफंड धंधे का एक और उदाहरण है। पिछले दो सालों में यूपी-बिहार में ऐसे 50 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं, जहां करोड़ों रुपये की ठगी हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि गरीबी और जागरूकता की कमी के कारण लोग ऐसे लालच में फंस जाते हैं।
रोकथाम के उपाय: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने चेतावनी दी है कि बिना लाइसेंस वाली चिटफंड स्कीमों से दूर रहें। निवेश से पहले कंपनी की वैधता चेक करें।
पीड़ितों की आवाज: एक प्रभावित महिला ने कहा, "हमें न्याय चाहिए, ताकि कोई और परिवार बर्बाद न हो।"
पुलिस का दावा है कि यह गिरफ्तारी घोटाले के पूरे गिरोह को उजागर कर देगी। अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी है, तो नजदीकी थाने में शिकायत करें।