पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक तनाव: शिमला समझौता खतरे में, पाकिस्तान की 'युद्ध' की चेतावनी

पहलगाम हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव चरम पर है। भारत ने सिंधु जल समझौता निलंबित करने, वाघा बॉर्डर बंद करने और पाकिस्तानी राजनयिकों को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' घोषित करने जैसे कड़े फैसले लिए। जवाब में पाकिस्तान ने शिमला समझौता (1972) सहित सभी द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित करने की धमकी दी और भारत के जल समझौता निलंबन को 'युद्ध की कार्रवाई' करार दिया।

Apr 24, 2025 - 18:32
पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक तनाव: शिमला समझौता खतरे में, पाकिस्तान की 'युद्ध' की चेतावनी

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। भारत के कड़े जवाबी फैसलों, जिसमें सिंधु जल समझौते को निलंबित करना शामिल है, के बाद पाकिस्तान ने गुरुवार को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक में सभी द्विपक्षीय समझौतों, जिसमें 1972 का ऐतिहासिक शिमला समझौता भी शामिल है, को स्थगित करने की धमकी दी। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने की। पाकिस्तान ने भारत के सिंधु जल समझौते को रोकने के फैसले को 'युद्ध की कार्रवाई' करार देते हुए चेतावनी दी कि वह इसका हर क्षेत्र में मजबूती से जवाब देगा।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: शिमला समझौता तोड़ने की धमकी

पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार, एनएससी की बैठक में भारत पर कई गंभीर आरोप लगाए गए। पाकिस्तान ने दावा किया कि पहलगाम हमला एक 'फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन' था और भारत इसका इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई को जायज ठहराने के लिए कर रहा है। बैठक में भारत पर पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया। पाकिस्तानी पीएमओ के बयान में कहा गया, "पाकिस्तान भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित करने का अधिकार रखता है, जिसमें शिमला समझौता भी शामिल है।" इसके अलावा, पाकिस्तान ने भारत के पकड़े गए 'रॉ कमांडर' कुलभूषण जाधव का जिक्र करते हुए उसे 'भारत की राज्य प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियों का जीवित प्रमाण' बताया।

 पाकिस्तान ने भारत के वक्फ विधेयक को भी निशाना बनाया, इसे 'मुसलमानों को हाशिए पर डालने का प्रयास' करार दिया। साथ ही, उसने भारतीय हवाई क्षेत्र के उपयोग पर रोक, वाघा बॉर्डर बंद करने और भारतीय उच्चायोग में राजनयिकों की संख्या 30 तक सीमित करने जैसे जवाबी कदमों की घोषणा की।

शिमला समझौता क्या है?

शिमला समझौता 2 जुलाई 1972 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हिमाचल प्रदेश के शिमला में हुआ था। यह समझौता 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद हुआ, जिसमें पाकिस्तान की हार हुई और बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश के रूप में उभरा। इस युद्ध में पाकिस्तान के 90,000 से अधिक सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था।

शिमला समझौते के प्रमुख बिंदु:

दोनों देश अपने विवादों, खासकर कश्मीर मुद्दे को, द्विपक्षीय बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएंगे, बिना किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के।

दोनों देश नियंत्रण रेखा (LoC) का सम्मान करेंगे और इसे एकतरफा बदलने की कोशिश नहीं करेंगे।

दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ हिंसा, युद्ध या गलत प्रचार से बचेंगे और शांति व मैत्री को बढ़ावा देंगे।

युद्धबंदियों की रिहाई और 1971 के युद्ध में कब्जाई गई जमीन की वापसी।

 इस समझौते ने कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाने से रोका और इसे भारत-पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मामला बनाए रखा। हालांकि, पाकिस्तान पर इस समझौते का बार-बार उल्लंघन करने का आरोप लगता रहा है, जैसे कि 1999 का कारगिल युद्ध और सीमा पार आतंकवाद

भारत के कड़े फैसले

पहलगाम हमले के बाद भारत ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक में पांच बड़े फैसले लिए:

सिंधु जल समझौता निलंबित: 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुए इस समझौते को भारत ने तत्काल प्रभाव से रोक दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्री ने कहा कि यह संधि तभी बहाल होगी, जब पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह बंद कर देगा।

अटारी-वाघा बॉर्डर बंद: इस मार्ग से वैध दस्तावेजों के साथ आए पाकिस्तानी नागरिकों को 1 मई तक भारत छोड़ना होगा।

पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द: SAARC और SPES वीजा के तहत भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश।

राजनयिक संबंधों में कटौती: भारत ने इस्लामाबाद में अपना दूतावास बंद करने और नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 करने का फैसला किया।

पाकिस्तानी राजनयिकों पर कार्रवाई: पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक साद अहमद वराइच को दिल्ली में तलब किया गया और उनके सैन्य राजनयिकों को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' घोषित कर एक सप्ताह में भारत छोड़ने का आदेश दिया गया।

'पर्सोना नॉन ग्राटा' का मतलब

'पर्सोना नॉन ग्राटा' एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है 'अवांछनीय व्यक्ति'। यह कूटनीतिक मामलों में तब इस्तेमाल होता है, जब किसी देश को लगता है कि विदेशी राजनयिक उसकी संप्रभुता या सुरक्षा के लिए खतरा है। ऐसे में उसे देश छोड़ने का आदेश दिया जाता है। भारत ने इस कदम से पाकिस्तान को साफ संदेश दिया कि वह आतंकवाद के मुद्दे पर कोई नरमी नहीं बरतेगा।

पाकिस्तान की 'युद्ध' की धमकी

पाकिस्तान ने भारत के सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के फैसले को 'क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा' बताया। एनएससी ने कहा, "पाकिस्तान के वैधानिक जल के प्रवाह को रोकना या मोड़ना युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा।" यह समझौता पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सिंधु और उसकी सहायक नदियों (झेलम, चिनाब) का 80% पानी पाकिस्तान को मिलता है, जो उसकी कृषि, बिजली और शहरी जल आपूर्ति के लिए जीवन रेखा है।

 पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "अगर भारत विश्व बैंक की मध्यस्थता वाले सिंधु जल समझौते को तोड़ सकता है, तो पाकिस्तान को भी शिमला समझौते से हटने का अधिकार है, जिसकी मध्यस्थता किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था ने नहीं की थी।"

शिमला समझौता टूटने के निहितार्थ

अगर पाकिस्तान शिमला समझौते से पीछे हटता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं:

कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण: शिमला समझौता कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बनाए रखता है। अगर यह टूटता है, तो पाकिस्तान कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र या अन्य मंचों पर ले जा सकता है, जिसे भारत हमेशा खारिज करता रहा है।

LoC पर तनाव: समझौते के तहत दोनों देश LoC को एकतरफा बदलने से बचते हैं। इसका टूटना सीजफायर उल्लंघन और सैन्य टकराव को बढ़ा सकता है।

क्षेत्रीय अस्थिरता: दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच तनाव बढ़ने से दक्षिण एशिया में अस्थिरता फैल सकती है।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि शिमला समझौता तोड़ने से पाकिस्तान को ज्यादा नुकसान होगा। अगर वह इसे अमान्य करता है, तो भारत को कश्मीर पर अपनी नीतियों को और मजबूत करने का मौका मिलेगा।

भारत का रुख

भारत ने साफ कर दिया है कि पहलगाम हमले के लिए वह पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराता है। विदेश मंत्रालय ने कहा, "पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने होंगे। तब तक भारत अपने हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा।" भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा मानता है और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा। 

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ