ग्रैंडमास्टर खिताब का रास्ता: क्या हैं नियम और शर्तें?दिव्या देशमुख बनीं चौथी भारतीय महिला ग्रैंडमास्टर
दिव्या देशमुख ने FIDE विमेंस वर्ल्ड कप 2025 जीतकर इतिहास रचा, कोनेरू हंपी को हराकर पहली भारतीय महिला चैंपियन और भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर बनीं।

भारत की युवा शतरंज सनसनी, 19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने 28 जुलाई 2025 को जॉर्जिया के बटुमी में आयोजित FIDE विमेंस वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में अनुभवी कोनेरू हंपी को हराकर इतिहास रच दिया। इस जीत के साथ, दिव्या न केवल शतरंज विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं, बल्कि भारत की 88वीं और चौथी महिला ग्रैंडमास्टर भी बन गईं। इस जीत ने भारतीय शतरंज को वैश्विक मंच पर एक नई ऊंचाई दी है, और दिव्या की इस उपलब्धि ने देशभर में उत्साह की लहर दौड़ा दी है।
एक रोमांचक फाइनल: दिव्या बनाम हंपी
FIDE विमेंस वर्ल्ड कप 2025 का फाइनल पूरी तरह से भारतीय रंग में रंगा था, क्योंकि यह पहली बार था जब दो भारतीय महिलाएं—दिव्या देशमुख और कोनेरू हंपी—इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के फाइनल में आमने-सामने थीं। दोनों क्लासिकल गेम्स ड्रॉ होने के बाद, विजेता का फैसला रैपिड टाईब्रेक्स में हुआ। पहले रैपिड गेम में दोनों खिलाड़ियों ने शानदार खेल दिखाया, जो ड्रॉ रहा। लेकिन दूसरे रैपिड गेम में, काले मोहरों के साथ खेल रही दिव्या ने हंपी की कुछ गलतियों का फायदा उठाया और 75 चालों के बाद जीत हासिल की। इस जीत ने न केवल उन्हें विश्व कप का खिताब दिलाया, बल्कि ग्रैंडमास्टर का खिताब भी उनके नाम कर दिया।
दिव्या ने अपनी जीत के बाद भावुक होते हुए कहा, “मुझे अभी भी इस जीत को समझने में समय लगेगा। यह मेरे लिए नियति थी कि मैं इस तरह ग्रैंडमास्टर बनी। टूर्नामेंट शुरू होने से पहले मेरे पास एक भी ग्रैंडमास्टर नॉर्म नहीं था, और अब मैं ग्रैंडमास्टर हूँ।”
ग्रैंडमास्टर खिताब: क्या है इसका महत्व?
शतरंज की दुनिया में ग्रैंडमास्टर खिताब सर्वोच्च सम्मान है, जिसे विश्व शतरंज महासंघ (FIDE) द्वारा प्रदान किया जाता है। FIDE की स्थापना 20 जुलाई 1924 को हुई थी, और इसका मुख्यालय स्विटजरलैंड के लॉजेन में है। यह खिताब जीवनभर के लिए होता है, हालांकि धोखाधड़ी या भ्रष्टाचार के सिद्ध होने पर इसे वापस लिया जा सकता है।
ग्रैंडमास्टर बनने के लिए सामान्य रूप से तीन शर्तें पूरी करनी होती हैं:
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Elo रेटिंग: खिलाड़ी को कम से कम 2500 की Elo रेटिंग हासिल करनी होती है।
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ग्रैंडमास्टर नॉर्म्स: खिलाड़ी को तीन ग्रैंडमास्टर नॉर्म्स प्राप्त करने होते हैं। ये नॉर्म्स FIDE द्वारा मान्यता प्राप्त टूर्नामेंट्स में 2600 की प्रदर्शन रेटिंग (TPR) हासिल करके प्राप्त किए जाते हैं। टूर्नामेंट में कम से कम तीन अन्य ग्रैंडमास्टर्स और तीन अलग-अलग फेडरेशन्स के खिलाड़ियों का होना जरूरी है।
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टूर्नामेंट की शर्तें: टूर्नामेंट में कम से कम 9 राउंड और 27 गेम्स होने चाहिए, जिसमें प्रत्येक राउंड में न्यूनतम 120 मिनट का सोचने का समय हो।
हालांकि, FIDE विमेंस वर्ल्ड कप जैसे कुछ चुनिंदा टूर्नामेंट्स जीतने पर खिलाड़ी को सीधे ग्रैंडमास्टर खिताब मिल जाता है, बिना तीन नॉर्म्स की आवश्यकता के। दिव्या के मामले में, उनकी विश्व कप जीत ने उन्हें यह खिताब दिलाया।
दिव्या का शानदार सफर
नागपुर, महाराष्ट्र में 9 दिसंबर 2005 को जन्मीं दिव्या देशमुख ने बहुत कम उम्र में शतरंज की दुनिया में अपनी छाप छोड़ी। उनके माता-पिता, डॉ. जितेंद्र और डॉ. नम्रता देशमुख, दोनों ही चिकित्सक हैं। दिव्या ने पांच साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया और 2012 में अंडर-7 नेशनल चैंपियनशिप जीती। उन्होंने भवन्स भागवandas पुरोहित विद्या मंदिर, नागपुर से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और कॉलेज के बजाय शतरंज में करियर बनाने का फैसला किया।
दिव्या का करियर कई उपलब्धियों से भरा है:
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2020: FIDE ऑनलाइन शतरंज ओलंपियाड में भारतीय टीम के साथ स्वर्ण पदक।
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2022: नेशनल विमेंस शतरंज चैंपियनशिप जीती।
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2023: एशियन कॉन्टिनेंटल विमेंस चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक।
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2024: विश्व जूनियर चैंपियनशिप (अंडर-20) में स्वर्ण पदक।
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2025: FIDE विमेंस वर्ल्ड कप जीतकर ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल किया।
टूर्नामेंट के दौरान, दिव्या ने विश्व की शीर्ष खिलाड़ियों को हराया, जिसमें चीन की झू जINER (विश्व नंबर 6), भारत की हरिका द्रोणावल्ली, और पूर्व विश्व चैंपियन तान झोंगयी शामिल थीं।
कोनेरू हंपी: भारतीय शतरंज की रानी
38 वर्षीय कोनेरू हंपी भारत की पहली महिला ग्रैंडमास्टर हैं, जिन्होंने 2002 में 15 साल की उम्र में यह खिताब हासिल किया था। आंध्र प्रदेश में जन्मी हंपी ने छह साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू किया और अपने पिता, जो एक पूर्व स्टेट चैंपियन थे, से प्रशिक्षण लिया। वह 2007 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। हंपी वर्तमान में विश्व रैपिड चैंपियन हैं और विश्व नंबर 5 रैंकिंग पर हैं।
हंपी ने भी इस टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने चीन की लेई तिंगजी और सॉन्ग युक्सिन, साथ ही रूसी-स्विस ग्रैंडमास्टर एलेक्जेंड्रा कोस्तेन्युक को हराया। फाइनल में हार के बावजूद, उनकी खेल भावना और प्रतिस्पर्धात्मकता की प्रशंसा की गई।
भारत के ग्रैंडमास्टर्स: एक गौरवशाली इतिहास
भारत का शतरंज में गौरवशाली इतिहास रहा है, जिसकी शुरुआत 1988 में विश्वनाथन आनंद ने की, जब वे भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने। तब से लेकर जुलाई 2025 तक, भारत ने 88 ग्रैंडमास्टर्स दिए हैं, जिनमें चार महिलाएं शामिल हैं: कोनेरू हंपी (2002), हरिका द्रोणावल्ली (2011), आर वैशाली (2023), और अब दिव्या देशमुख (2025)।
भारत के कुछ प्रमुख ग्रैंडमास्टर्स की सूची:
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1988: विश्वनाथन आनंद
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1991: दिब्येंदु बरुआ
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1997: प्रवीण थिप्से
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2002: कोनेरू हंपी
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2011: हरिका द्रोणावल्ली
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2023: वैशाली रमेशबाबू
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2025: दिव्या देशमुख
देश का गौरव: नेताओं और दिग्गजों की प्रतिक्रिया
दिव्या की इस ऐतिहासिक जीत पर देशभर से बधाइयां आईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “19 साल की युवा दिव्या देशमुख को FIDE विमेंस वर्ल्ड चैंपियन बनने पर हार्दिक बधाई। यह उपलब्धि कई युवाओं को प्रेरित करेगी। कोनेरू हंपी ने भी पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया। दोनों खिलाड़ियों को भविष्य के लिए शुभकामनाएं।”
पूर्व विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने भी दिव्या की प्रशंसा की और कहा, “दिव्या ने जबरदस्त नर्वस कंट्रोल दिखाया। हंपी ने भी शानदार खेल दिखाया। यह भारतीय शतरंज के लिए गर्व का पल है।”
भविष्य की राह: कैंडिडेट्स टूर्नामेंट 2026
दिव्या और हंपी दोनों ने इस टूर्नामेंट के माध्यम से 2026 FIDE विमेंस कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई कर लिया है, जहां वे विश्व चैंपियनशिप के लिए मौजूदा विश्व चैंपियन जू वेंजुन के खिलाफ चुनौती पेश करने का मौका पाएंगी।
दिव्या ने अपनी जीत के बाद कहा, “मुझे अभी अपने अंतिम खेल में सुधार करने की जरूरत है। यह मेरे लिए सिर्फ शुरुआत है।” उनकी यह बात उनकी महत्वाकांक्षा और समर्पण को दर्शाती है।