पाली: देसूरी बांधों की सुरक्षा अब खतरे में, जल संसाधन विभाग की लापरवाही से आपदा का अंदेशा....
पाली जिले के देसूरी क्षेत्र में बांधों की सुरक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है। जल संसाधन विभाग की लापरवाही के कारण सादड़ी, रणकपुर, और नलवाणीया बांध ओवरफ्लो हो चुके हैं। बांधों की दीवारों पर बबूल के पेड़ उग आए हैं, और हरिओम सागर बांध में रिसाव की समस्या है। भारी बारिश के बीच आपदा प्रबंधन की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है, जिससे क्षेत्र में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।

पाली जिले के देसूरी क्षेत्र में बांधों की सुरक्षा व्यवस्था राम भरोसे छोड़ी गई है। अरावली की पहाड़ियों में हो रही भारी बारिश के कारण क्षेत्र के कई बांध, जैसे सादड़ी, रणकपुर, और नलवाणीया बांध, पहले ही ओवरफ्लो हो चुके हैं। इसके बावजूद, जल संसाधन विभाग की ओर से कोई ठोस आपदा प्रबंधन या सुरक्षा उपाय नहीं किए गए हैं, जिससे स्थानीय लोगों में भय और चिंता का माहौल है।
बांधों की बदहाल स्थिति
देसूरी क्षेत्र के बांधों की स्थिति चिंताजनक है। कई बांधों की दीवारों पर बबूल के बड़े-बड़े पेड़ उग आए हैं, जो उनकी संरचना को कमजोर कर रहे हैं। विशेष रूप से हरिओम सागर बांध में पानी भरने पर रिसाव की समस्या बार-बार सामने आती है, लेकिन विभाग ने इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की। इसके अलावा, बांधों के फाटकों की नियमित मरम्मत और रखरखाव तक सीमित रह गया है, जिसमें केवल ग्रीसिंग जैसी औपचारिकता पूरी की जा रही है। आपदा प्रबंधन की दृष्टि से कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं, जैसे कि बांधों के आसपास सुरक्षा दीवारों का निर्माण, रिसाव रोकने के उपाय, या आपातकालीन निकासी योजनाएं।
भारी बारिश और ओवरफ्लो की स्थिति
हाल के दिनों में अरावली पर्वतमाला क्षेत्र में भारी बारिश ने सभी बांधों में पानी की आवक को बढ़ा दिया है। सादड़ी, रणकपुर, और नलवाणीया बांधों के ओवरफ्लो होने से आसपास के गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक बारिश जारी रहने की चेतावनी दी है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है। 2015 में भी देसूरी क्षेत्र में चार एनीकट भारी बारिश के दबाव को सहन नहीं कर पाए थे, जिसके कारण आसपास के गांवों में पानी भर गया था।
जल संसाधन विभाग की लापरवाही
जल संसाधन विभाग की उदासीनता इस संकट को और गहरा रही है। बांधों की सुरक्षा के लिए कोई दीर्घकालिक योजना नहीं बनाई गई है। विभाग ने बांधों की मरम्मत, नियमित निरीक्षण, या आपदा प्रबंधन के लिए कंट्रोल रूम जैसी व्यवस्थाएं स्थापित नहीं की हैं। स्थानीय प्रशासन ने भले ही कुछ मॉक ड्रिल आयोजित किए हों, बांधों की कमजोर स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते उपाय नहीं किए गए, तो भारी बारिश के कारण बांधों के टूटने या रिसाव से बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है।
स्थानीय लोगों की चिंता
देसूरी क्षेत्र के निवासियों में बांधों की स्थिति को लेकर गहरी चिंता है। खासकर उन गांवों में, जो बांधों के नजदीक बसे हैं, लोग हर बारिश के साथ दहशत में रहते हैं। 1979 में जवाई बांध के ओवरफ्लो होने पर जालोर तक तबाही मची थी, और स्थानीय लोग इस तरह की घटना के दोहराव से डर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग की ओर से न तो उन्हें समय पर अलर्ट जारी किया जाता है और न ही आपदा के समय राहत कार्यों की कोई ठोस योजना दिखती है।
प्रशासन और आपदा प्रबंधन की स्थिति
हालांकि प्रशासन ने कुछ क्षेत्रों में जल निकासी और यातायात व्यवस्था के लिए निर्देश जारी किए हैं, लेकिन यह प्रयास अपर्याप्त हैं। जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने जलभराव वाले क्षेत्रों का दौरा किया है, लेकिन बांधों की सुरक्षा को लेकर कोई विशेष कदम नहीं उठाए गए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से देसूरी में एक कंट्रोल रूम शुरू किया गया है, लेकिन इसकी कार्यक्षमता पर सवाल उठ रहे हैं
आवश्यक कदम और सुझाव
स्थानीय लोग और विशेषज्ञ मांग कर रहे हैं कि जल संसाधन विभाग तत्काल बांधों की मरम्मत और सुदृढ़ीकरण का काम शुरू करे। बांधों की दीवारों से पेड़-पौधों को हटाने, रिसाव रोकने के लिए तकनीकी उपाय करने, और आपदा प्रबंधन के लिए स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। इसके साथ ही, बांधों के आसपास के गांवों में आपातकालीन निकासी योजनाएं और राहत केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए।
देसूरी क्षेत्र में बांधों की खराब स्थिति और जल संसाधन विभाग की लापरवाही एक बड़ी आपदा को न्योता दे रही है। भारी बारिश के बीच बांधों का ओवरफ्लो होना और सुरक्षा व्यवस्थाओं का अभाव न केवल स्थानीय लोगों के लिए खतरा है, बल्कि पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो अरावली की पहाड़ियों में बसे इस खूबसूरत क्षेत्र को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।