एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तक: मुगल और सल्तनत काल पर विवादास्पद दृष्टिकोण

एनसीईआरटी की नई कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान पाठ्यपुस्तक में दिल्ली सल्तनत और मुगल काल में धार्मिक असहिष्णुता और शासकों की क्रूरता पर जोर देने के कारण राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। पाठ्यपुस्तक में इतिहास के "अंधेरे दौर" को समझाने के लिए नोट शामिल किया गया है, जो बहस का केंद्र बना है।

Jul 16, 2025 - 16:45
एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तक: मुगल और सल्तनत काल पर विवादास्पद दृष्टिकोण

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की नई कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान पाठ्यपुस्तक ने एक बड़े राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। इस पाठ्यपुस्तक में दिल्ली सल्तनत और मुगल काल के इतिहास को प्रस्तुत करने का तरीका, विशेष रूप से उस दौर में "धार्मिक असहिष्णुता" और कुछ शासकों की "क्रूरता" पर जोर देने के कारण, तीखी बहस छिड़ गई है।

पाठ्यपुस्तक में क्या है नया?

नई पाठ्यपुस्तक में दिल्ली सल्तनत और मुगल काल को पहली बार कक्षा 8 के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। पहले यह विषय कक्षा 7 में पढ़ाया जाता था, लेकिन नए पाठ्यक्रम के तहत दिल्ली सल्तनत, मुगल और मराठा इतिहास को अब विशेष रूप से कक्षा 8 में पढ़ाया जाएगा।

पुस्तक में एक अध्याय, "भारत के राजनीतिक मानचित्र का पुनर्गठन" (Reshaping India’s Political Map), 13वीं से 17वीं शताब्दी तक के भारतीय इतिहास को कवर करता है। इसमें निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:

  • दिल्ली सल्तनत का उदय और पतन, और इसका विरोध।

  • विजयनगर साम्राज्य का इतिहास।

  • मुगल साम्राज्य और इसके खिलाफ प्रतिरोध।

  • सिख समुदाय का उदय।

विवादास्पद बिंदु

पुस्तक में दिल्ली सल्तनत और मुगल काल को "राजनीतिक अस्थिरता और लगातार सैन्य अभियानों" का दौर बताया गया है, जिसमें गाँवों और शहरों की लूटपाट, मंदिरों और शिक्षण केंद्रों के विनाश को उजागर किया गया है। खास तौर पर, कुछ शासकों के कार्यों को "क्रूर" और "असहिष्णु" के रूप में चित्रित किया गया है:

  • बाबर को "क्रूर और निर्मम विजेता" बताया गया है, जिसने "पूरे शहर की आबादी को कत्ल कर दिया।"

  • अकबर के शासन को "क्रूरता और सहिष्णुता का मिश्रण" कहा गया है।

  • औरंगजेब के मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट करने के कार्यों का उल्लेख किया गया है।

पिछली कक्षा 7 की पाठ्यपुस्तक की तुलना में, नई किताब में मंदिरों पर हमलों और कुछ शासकों की "क्रूरता" पर कई संदर्भ जोड़े गए हैं।

एनसीईआरटी का पक्ष

एनसीईआरटी ने इस दृष्टिकोण का बचाव करते हुए कहा है कि इन विवरणों को शामिल करने का उद्देश्य इतिहास के "कुछ अंधेरे दौर" को समझाना है। इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से एनसीईआरटी ने बताया कि पाठ्यपुस्तक में एक विशेष नोट, "इतिहास के कुछ अंधेरे दौरों पर टिप्पणी" (Note on Some Darker Periods in History), शामिल किया गया है। इसके अलावा, एक अध्याय में यह स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि "आज किसी को भी अतीत की घटनाओं के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।"

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ

इस पाठ्यपुस्तक ने इतिहासकारों, शिक्षाविदों और राजनीतिक दलों के बीच तीखी बहस छेड़ दी है। कुछ लोग इसे इतिहास को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास मानते हैं, जबकि अन्य इसे एक विशेष समुदाय को बदनाम करने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं।

विपक्षी दलों ने दावा किया है कि यह पाठ्यपुस्तक "इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करती है" और धार्मिक तनाव को बढ़ावा दे सकती है। दूसरी ओर, कुछ लोग इसकी सराहना कर रहे हैं, क्योंकि यह इतिहास के उन पहलुओं को सामने लाती है जो पहले की पाठ्यपुस्तकों में कम उजागर किए गए थे।

इतिहासकारों का कहना है कि दिल्ली सल्तनत और मुगल काल जैसे जटिल ऐतिहासिक दौर को स्कूली बच्चों के लिए प्रस्तुत करते समय संतुलन बनाए रखना जरूरी है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि "क्रूरता" और "असहिष्णुता" जैसे शब्दों का उपयोग बच्चों में गलत धारणाएँ पैदा कर सकता है, जबकि अन्य का तर्क है कि ऐतिहासिक सत्य को बिना छिपाए प्रस्तुत करना शिक्षण का हिस्सा होना चाहिए।

Yashaswani Journalist at The Khatak .