नामों की भूल से जोधपुर AIIMS में हादसा,गलत मरीज को चढ़ा दिया खून.....
जोधपुर AIIMS में नाम की समानता के कारण मरीज मांगीलाल को गलत खून चढ़ा दिया गया, जिसकी उसे जरूरत नहीं थी। गलती पकड़ में आने पर ड्रिप हटाकर खून की थैली डस्टबिन में फेंकी गई। मरीज की हालत स्थिर, अस्पताल ने जांच शुरू की। यह घटना मेडिकल लापरवाही पर सवाल उठाती है।

जोधपुर:राजस्थान के प्रतिष्ठित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) जोधपुर में एक ऐसी लापरवाही सामने आई है, जो मरीजों की जान जोखिम में डालने वाली हो सकती थी। नाम की मामूली गफलत के कारण एक मरीज को ऐसा खून चढ़ा दिया गया, जिसकी उसे बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी। गनीमत रही कि गलती का पता चलते ही तुरंत ड्रिप हटा ली गई और मरीज की हालत स्थिर बनी हुई है। यह घटना अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है, खासकर तब जब दो मरीजों के नाम एक ही होने से स्टाफ भ्रमित हो गया। आइए, इस पूरी घटना को विस्तार से समझते हैं।
घटना का पूरा विवरण: कैसे हुई यह चूक?
जोधपुर AIIMS में सोमवार शाम को यह हादसा हुआ। अस्पताल में भर्ती दो मरीजों के नाम एक ही थे—मांगीलाल। एक मांगीलाल को खून की सख्त जरूरत थी, क्योंकि उनका हीमोग्लोबिन लेवल काफी कम था और डॉक्टरों ने ट्रांसफ्यूजन की सलाह दी थी। दूसरा मांगीलाल, जो एक बुजुर्ग मरीज हैं, उनकी हालत स्थिर थी और उन्हें खून चढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। लेकिन रजिस्ट्रेशन डेस्क पर नामों की समानता के कारण स्टाफ ने गलती से दूसरे मरीज को पहचान लिया।नर्सिंग स्टाफ ने बिना दोबारा वेरिफिकेशन किए खून की थैली लगा दी। लगभग 10-15 मिनट तक ड्रिप चलने के बाद एक सहायक नर्स को शक हुआ। उन्होंने मरीज के बेड नंबर और रिकॉर्ड चेक किया, तो सच्चाई सामने आ गई। तुरंत अलार्म बजाया गया और सीनियर डॉक्टरों को सूचना दी गई। ड्रिप लाइन को फौरन हटा दिया गया, और आधी से ज्यादा न चढ़ी खून की थैली को सावधानीपूर्वक डस्टबिन में फेंक दिया गया, ताकि कोई अन्य मरीज इसका इस्तेमाल न कर ले। मरीज मांगीलाल को तुरंत मॉनिटरिंग रूम में शिफ्ट किया गया, जहां उनका ब्लड प्रेशर, पल्स रेट और ऑक्सीजन लेवल की लगातार जांच की गई।डॉक्टरों के मुताबिक, चूंकि खून की मात्रा बहुत कम (करीब 50-60 मिलीलीटर) चढ़ी थी और मरीज का ब्लड ग्रुप मैच कर रहा था, इसलिए कोई गंभीर रिएक्शन नहीं हुआ। मरीज की हालत फिलहाल स्थिर है और उन्हें अब सामान्य वार्ड में रखा गया है। परिवार को पूरी घटना की जानकारी दे दी गई है, और वे अस्पताल प्रशासन से नाराजगी जता रहे हैं।
अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया: जांच शुरू, स्टाफ पर कार्रवाई की तैयारी
AIIMS जोधपुर के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. संजय कुमार ने बताया कि यह एक मानवीय त्रुटि है, जो नामों की समानता से हुई। "हमारे यहां रोजाना सैकड़ों मरीज आते हैं, और रिकॉर्ड सिस्टम डिजिटल है, लेकिन कभी-कभी फील्ड में वेरिफिकेशन में चूक हो जाती है।" उन्होंने कहा कि घटना के तुरंत बाद एक आंतरिक जांच कमिटी गठित कर दी गई है, जिसमें नर्सिंग सुपरवाइजर, हेमेटोलॉजी विभाग के डॉक्टर और एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ शामिल हैं।प्रशासन ने यह भी घोषणा की है कि भविष्य में ऐसी गलतियों को रोकने के लिए नई SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) लागू की जाएंगी। इनमें शामिल होगा:
डबल वेरिफिकेशन सिस्टम: खून चढ़ाने से पहले दो नर्सों द्वारा मरीज का नाम, बेड नंबर और ID कार्ड चेक करना अनिवार्य।
यूनीक ID जनरेशन: नामों की समानता वाले मामलों में तुरंत अलग ID अलॉट करना।
ट्रेनिंग सेशन: पूरे स्टाफ के लिए वीकली ट्रेनिंग मॉड्यूल, खासकर इमरजेंसी और ट्रांसफ्यूजन वार्ड में।
परिवार ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मुआवजे की मांग की है, लेकिन फिलहाल कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है। जिला कलेक्टर के कार्यालय ने भी मामले को संज्ञान में ले लिया है और स्वास्थ्य विभाग से रिपोर्ट मांगी है।
राजस्थान में मेडिकल नेग्लिजेंस के बढ़ते मामले
यह घटना राजस्थान के स्वास्थ्य तंत्र की कमजोरियों को उजागर करती है। हाल ही में जयपुर के SMS अस्पताल में गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाने से एक गर्भवती महिला की मौत हो गई थी—यह तीसरा ऐसा केस था 18 महीनों में। वहां बी-पॉजिटिव मरीज को ए-पॉजिटिव ब्लड चढ़ा दिया गया, जिससे जानलेवा रिएक्शन हुआ। इसके बाद सरकार ने आभा ID सिस्टम में ब्लड ग्रुप को अनिवार्य बनाया।AIIMS जोधपुर, जो 2019 में शुरू हुआ, राजस्थान का एक प्रमुख स्वास्थ्य केंद्र है। यहां प्रतिदिन 2,000 से ज्यादा OPD मरीज आते हैं, और बेडों की कमी के कारण कभी-कभी व्यवस्था प्रभावित होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल रिकॉर्ड के बावजूद, स्टाफ की कमी और हाई वॉल्यूम से ऐसी चूकें बढ़ रही हैं। भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने भी मांग की है कि पूरे देश में ट्रांसफ्यूजन प्रोटोकॉल को और सख्त किया जाए।
जोधपुर AIIMS ने मरीजों से भरोसा बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि उनकी सुरक्षा प्राथमिकता है। लेकिन यह हादसा एक चेतावनी है—स्वास्थ्य सेवा में छोटी सी गलती भी भारी पड़ सकती है।