"नागौर में सरकारी डॉक्टरों का 'दोहरा खेल': सरकारी नौकरी के साथ प्राइवेट हॉस्पिटल का धंधा, जांच के आदेश"

नागौर में 11 सरकारी डॉक्टरों पर सरकारी नौकरी के साथ निजी अस्पताल चलाने का आरोप लगा है। स्वास्थ्य विभाग ने शिकायत के बाद चार सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच शुरू कर दी है।

Jun 12, 2025 - 12:04
"नागौर में सरकारी डॉक्टरों का 'दोहरा खेल': सरकारी नौकरी के साथ प्राइवेट हॉस्पिटल का धंधा, जांच के आदेश"

राजस्थान के नागौर जिले में 11 सरकारी डॉक्टरों के खिलाफ खुद के निजी अस्पताल संचालित करने का मामला सामने आया है। यह मामला स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के गृह जिले से जुड़ा है। शिकायत मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इन डॉक्टरों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।

शिकायत और जांच का विवरण

स्वास्थ्य विभाग को हाल ही में एक शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें नागौर के पंडित जवाहर लाल नेहरू राजकीय जिला अस्पताल में कार्यरत 11 डॉक्टरों पर आरोप लगाया गया कि वे जिले में अपने निजी अस्पताल चला रहे हैं। इस शिकायत के आधार पर स्वास्थ्य निदेशालय के निदेशक ने एक आदेश जारी कर चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है। कमेटी को इस मामले की गहन जांच कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।

शिकायत प्राप्त डॉक्टरों के नाम और उनके अस्पताल

शिकायत में निम्नलिखित डॉक्टरों और उनके निजी अस्पतालों का उल्लेख किया गया है:

  1. डॉ. जे.पी. टॉक - जे.पी. ईएनटी हॉस्पिटल
  2. डॉ. महेन्द्र भाम्भू - एस.एन. किड्स हॉस्पिटल
  3. डॉ. शैलेन्द्र लामरोर - मदर केयर एंड चाइल्ड हॉस्पिटल
  4. डॉ. सुरेश जाखड़ - जाखड़ ईएनटी हॉस्पिटल
  5. डॉ. आर.एस. सांखला - यश मैटरनिटी हॉस्पिटल
  6. डॉ. अशोक झाडवाल - झाडवाल क्लिनिक
  7. डॉ. विकास चौधरी - संजीवनी हॉस्पिटल
  8. डॉ. विजय चौधरी - संजीवनी हॉस्पिटल
  9. डॉ. राशी चौधरी - संजीवनी हॉस्पिटल
  10. डॉ. सरिता चौधरी - संजीवनी हॉस्पिटल
  11. डॉ. महिपाल सिंह - महिपाल सर्जिकल सेंटर

जांच कमेटी का गठन

स्वास्थ्य निदेशालय ने इस मामले की जांच के लिए संयुक्त निदेशक (अजमेर) की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है। कमेटी में निम्नलिखित सदस्य शामिल हैं:

  • मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ), नागौर
  • प्रधान चिकित्सा अधिकारी (पीएमओ), पं. जवाहर लाल नेहरू राजकीय जिला अस्पताल, नागौर
  • संयुक्त निदेशक कार्यालय में कार्यरत लेखाधिकारी

नियम क्या कहते हैं?

नियमानुसार, सरकारी अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर को केवल अपनी निजी क्लिनिक में प्रैक्टिस करने की अनुमति है, बशर्ते वह सरकार से नॉन-प्रैक्टिसिंग अलाउंस (एनपीए) न ले रहा हो। हालांकि, सरकारी नौकरी के दौरान निजी अस्पताल संचालित करना या किसी अन्य निजी अस्पताल में कार्य करना पूरी तरह प्रतिबंधित है।

जयपुर में भी स्थिति चिंताजनक

नागौर के अलावा, राजधानी जयपुर में भी कई सरकारी डॉक्टरों के निजी अस्पताल संचालित होने की बात सामने आई है। इनमें एसएमएस मेडिकल कॉलेज के कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस), नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी और सर्जरी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टरों के साथ-साथ राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (आरयूएचएस) के सर्जरी विभाग के एक वरिष्ठ डॉक्टर का भी निजी अस्पताल जयपुर में संचालित है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .