14 साल की बच्ची बनी मां: अनाथ जीवन, जबरन शादी और खोया बचपन
लड़की ने अपनी आपबीती में कहा, "मैंने अपने माता-पिता को कभी नहीं देखा। मेरी बुआ और फूफा ही मेरे सबकुछ थे। उन्होंने मुझे बताया कि शादी करना मेरे लिए सही है, लेकिन मुझे नहीं पता था कि यह सब इतना गलत हो सकता है।"

हरियाणा के पानीपत जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक 14 साल की नाबालिग लड़की न केवल विवाहिता बन गई, बल्कि मां भी बन चुकी है। इस मामले में लड़की के फूफा और बुआ पर आरोप है कि उन्होंने सोनीपत में उसकी शादी करवाई। पीड़िता ने बताया कि उसने अपने माता-पिता को कभी नहीं देखा और उसका पालन-पोषण उसकी बुआ और फूफा ने किया। यह मामला बाल विवाह और नाबालिगों के शोषण के गंभीर मुद्दे को उजागर करता है।
पानीपत के एक गांव में रहने वाली इस नाबालिग लड़की की कहानी बेहद दुखद है। उसने पुलिस को बताया कि उसके माता-पिता के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है। बचपन से ही उसकी बुआ और फूफा ने उसकी देखभाल की। लेकिन, जब वह मात्र 13 साल की थी, तब उसकी बुआ और फूफा ने सोनीपत में उसकी शादी एक व्यक्ति से करवा दी। शादी के कुछ महीनों बाद ही वह गर्भवती हो गई और अब 14 साल की उम्र में उसने एक बच्चे को जन्म दिया है।
लड़की ने अपनी आपबीती में कहा, "मैंने अपने माता-पिता को कभी नहीं देखा। मेरी बुआ और फूफा ही मेरे सबकुछ थे। उन्होंने मुझे बताया कि शादी करना मेरे लिए सही है, लेकिन मुझे नहीं पता था कि यह सब इतना गलत हो सकता है।"
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
इस मामले की जानकारी स्थानीय पुलिस को मिलने के बाद उन्होंने तुरंत जांच शुरू की। प्रारंभिक जांच में पता चला कि लड़की की शादी न केवल नाबालिग अवस्था में करवाई गई, बल्कि यह भी संदेह है कि शादी के पीछे आर्थिक लेन-देन हुआ हो सकता है। पुलिस ने लड़की के फूफा और बुआ को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। इसके साथ ही, लड़की के पति को भी जांच के दायरे में लाया गया है।
पानीपत के पुलिस अधीक्षक ने बताया, "यह एक गंभीर मामला है। हम बाल विवाह और मानव तस्करी के सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं। पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया है और उसकी काउंसलिंग की जा रही है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
सामाजिक और कानूनी पहलू
यह मामला भारत में बाल विवाह की गंभीर समस्या को फिर से सामने लाता है। भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के की शादी गैरकानूनी है। इसके बावजूद, ग्रामीण और कुछ शहरी क्षेत्रों में बाल विवाह की प्रथा अभी भी जारी है। इस मामले में लड़की की कम उम्र में गर्भावस्था और मां बनने से उसके स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ा है।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए पीड़िता को संरक्षण और पुनर्वास प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू की है। विभाग की एक अधिकारी ने बताया, "हम पीड़िता के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। उसे शिक्षा और आत्मनिर्भरता के अवसर प्रदान किए जाएंगे।"
समाज की प्रतिक्रिया
स्थानीय समुदाय में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है। कई सामाजिक संगठनों ने इस मामले की निंदा की है और बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने की मांग की है। एक स्थानीय एनजीओ के कार्यकर्ता ने कहा, "यह बेहद शर्मनाक है कि आज भी हमारे समाज में ऐसी घटनाएं हो रही हैं। हमें शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से बाल विवाह को पूरी तरह खत्म करना होगा।"