बाड़मेर में मानसून की सुस्ती: अगले कुछ दिन सूखे, लेकिन 5 सितंबर से फिर उम्मीद

बाड़मेर में मानसून कमजोर पड़ रहा है, अगले 2-3 दिनों तक बारिश की संभावना नहीं, लेकिन 5 सितंबर से फिर सक्रिय होने के आसार हैं। अब तक औसत से 75% ही बारिश हुई है, जिससे फसलों को नुकसान का खतरा बढ़ गया है।

Sep 2, 2025 - 11:20
Sep 2, 2025 - 11:21
बाड़मेर में मानसून की सुस्ती: अगले कुछ दिन सूखे, लेकिन 5 सितंबर से फिर उम्मीद

रेगिस्तानी इलाकों में बारिश का इंतजार हमेशा से ही किसानों और स्थानीय लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है। इस बार भी मानसून ने बाड़मेर को थोड़ा निराश किया है, लेकिन उम्मीद की एक किरण बाकी है। आइए जानते हैं मौजूदा हालात और आने वाले दिनों की संभावनाएं।

वर्तमान मौसम: बादलों का खेल, लेकिन बारिश दूर

सोमवार को बाड़मेर का दिन काफी गर्म रहा, जहां अधिकतम तापमान 33.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। रात में पारा 26.4 डिग्री पर आकर ठहरा, यानी दिन और रात के तापमान में सिर्फ 7 डिग्री का फर्क। यह अंतर कम होने से लोगों को हल्की उमस महसूस हो रही है, लेकिन अच्छी बात यह है कि इन दिनों गर्मी से थोड़ी राहत मिली है। रातें अपेक्षाकृत ठंडी पड़ रही हैं, जो स्थानीय निवासियों के लिए सुखद बदलाव है।

मंगलवार की सुबह से ही हल्की हवाओं के साथ आसमान में बादलों की आवाजाही जारी है। लेकिन मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि अगले 2-3 दिनों तक बारिश की कोई खास संभावना नहीं दिख रही। मानसून फिलहाल कमजोर पड़ा हुआ है, जिससे शहर और आसपास के इलाकों में सूखे जैसे हालात बने हुए हैं।

बारिश का लेखा-जोखा: औसत से काफी पीछे

बाड़मेर जिले में इस मानसून सीजन में अब तक बारिश की कमी साफ नजर आ रही है। 29 अगस्त को शहर में 4.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी, उसके बाद कुछ इलाकों में हल्की रिमझिम हुई, लेकिन कुल मिलाकर स्थिति संतोषजनक नहीं। जिले की औसत वार्षिक बारिश 385 मिलीमीटर होती है, लेकिन इस साल अब तक सिर्फ 285 मिलीमीटर पानी बरसा है – यानी महज 75 प्रतिशत।

यह कमी किसानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। कई इलाकों में फसलें सूखने की कगार पर हैं, और बारिश न होने से नुकसान का खतरा बढ़ गया है। 

अच्छी खबर यह है कि पश्चिमी राजस्थान में 5 सितंबर से मानसून फिर से सक्रिय होने के आसार हैं। मौसम विभाग के अनुसार, अगले 2-3 दिनों में जिले के कई हिस्सों में अच्छी बारिश हो सकती है। यह बदलाव किसानों को राहत दे सकता है और फसलों को बचाने में मददगार साबित हो सकता है। हालांकि, मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए सतर्क रहना जरूरी है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .