जोधपुर में पूर्व मंत्री मदन कौर को दी गई भावभीनी विदाई, मदन प्रजापत ने अर्पित की श्रद्धांजलि

जोधपुर में पूर्व मंत्री मदन कौर के अंतिम संस्कार में पचपदरा के पूर्व विधायक मदन प्रजापत ने नम आँखों से श्रद्धांजलि दी। मदन कौर, जिन्होंने 1967-1980 तक पचपदरा और 1989 में गुढा मालानी से विधायक रहकर वन एवं पर्यावरण मंत्री के रूप में सेवा दी, ने शिक्षा और सामाजिक उत्थान में अमिट योगदान दिया। उनके निधन से जोधपुर में शोक की लहर है, और उनकी स्मृति को स्थानीय लोग और नेता हमेशा संजोकर रखेंगे।

Aug 5, 2025 - 20:02
जोधपुर में पूर्व मंत्री मदन कौर को दी गई भावभीनी विदाई, मदन प्रजापत ने अर्पित की श्रद्धांजलि

राजस्थान के जोधपुर जिले में आज एक शोकाकुल माहौल में पूर्व मंत्री श्रीमती मदन कौर को अंतिम विदाई दी गई। उनके अंतिम संस्कार में पचपदरा के पूर्व विधायक मदन प्रजापत सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की और उनकी पुण्यात्मा को नम आँखों से श्रद्धांजलि अर्पित की। यह दृश्य हर किसी के लिए भावुक करने वाला था, क्योंकि मदन कौर ने अपने जीवनकाल में न केवल राजनीति में बल्कि सामाजिक कार्यों में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी थी।

एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व का अंत

श्रीमती मदन कौर का जन्म 1935 में जोधपुर जिले की शेरगढ़ तहसील के ढाढणीया गाँव में हुआ था। उनके पिता गोकुल दास डऊकिया एक साधारण किसान थे, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपनी बेटी को शिक्षा दिलाने का बीड़ा उठाया। madan कौर ने अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की, जो उस समय महिलाओं के लिए एक असाधारण उपलब्धि थी। उन्होंने 1967 से 1980 तक लगातार तीन बार पचपदरा से विधायक के रूप में सेवा की और 1989 में जनता दल के बैनर तले गुढा मालानी से विधायक चुनी गईं। 1990 में वे राजस्थान सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री बनीं और दो वर्षों तक इस पद पर रहीं।

उनके पति मोहनराम मण्डा भारतीय वन सेवा के अधिकारी थे, और madan कौर ने अपने परिवार की प्रेरणा से शिक्षा और सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी बेटियों को भी उच्च शिक्षा दिलाने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी, जो उस दौर में एक क्रांतिकारी कदम था।

Madan प्रजापत का भावुक श्रद्धांजलि संदेश

पचपदरा के पूर्व विधायक madan प्रजापत, जो स्वयं चार बार विधायक रह चुके हैं, ने madan कौर के अंतिम संस्कार में शामिल होकर अपनी संवेदनाएँ व्यक्त कीं। उन्होंने कहा, "मदन कौर जी न केवल एक राजनेता थीं, बल्कि एक ऐसी शख्सियत थीं जिन्होंने समाज के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनकी सादगी, समर्पण और महिलाओं के उत्थान के लिए किए गए कार्य हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।" madan प्रजापत ने madan कौर के साथ अपने पुराने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने हमेशा जनता के हितों को सर्वोपरि रखा।

सामाजिक और राजनीतिक योगदान

मदन कौर का जीवन संघर्ष और उपलब्धियों की एक जीवंत कहानी है। 1956 के छपनीय अकाल के दौरान उनके परिवार को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके पिता ने रेलवे में नौकरी के दौरान अंग्रेजी सीखकर अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय दिया। madan कौर ने इस प्रेरणा को आगे बढ़ाते हुए न केवल अपने लिए बल्कि समाज की अन्य महिलाओं के लिए भी शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया। उनकी राजनीतिक यात्रा ने पचपदरा और गुढा मालानी जैसे क्षेत्रों में विकास की नई इबारत लिखी।

अंतिम संस्कार के दौरान स्थानीय लोगों ने madan कौर को याद करते हुए उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों को सराहा। उनके निधन से जोधपुर और राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा शून्य पैदा हुआ है।

शोक में डूबा जोधपुर

मदन कौर के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जोधपुर और आसपास के क्षेत्रों से लोग उमड़े। स्थानीय नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी। अंतिम यात्रा के दौरान माहौल गमगीन था, और कई लोगों की आँखें नम थीं। madan कौर की स्मृति में कई सामाजिक संगठनों ने शोक सभाएँ आयोजित करने की घोषणा की है, ताकि उनके योगदान को युवा पीढ़ी तक पहुँचाया जा सके।

एक प्रेरणा जो अमर रहेगी

मदन कौर का जीवन और उनका योगदान राजस्थान के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। उनके निधन से जोधपुर ने एक ऐसी शख्सियत खो दी, जिसने अपने कार्यों से समाज को नई दिशा दी। madan प्रजापत सहित अन्य नेताओं ने उनके परिवार को इस दुख की घड़ी में हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।

जोधपुर की जनता और राजस्थान की राजनीति madan कौर को हमेशा उनके साहस, समर्पण और मानवीय मूल्यों के लिए याद रखेगी। उनकी आत्मा को शांति मिले, यही प्रार्थना है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .