"अयोध्या का लाल: लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने साथी को बचाने में दी जान, वीरता की अमर गाथा
लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी, अयोध्या के 23 वर्षीय सैनिक, ने 22 मई 2025 को सिक्किम में अपने साथी अग्निवीर स्टीफन सुब्बा को तेज बहाव वाली नदी से बचाने के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी। छह महीने पहले ही सेना में कमीशन प्राप्त करने वाले शशांक ने बिना अपनी जान की परवाह किए साथी को बचाया, लेकिन खुद शहीद हो गए। उनकी वीरता भारतीय सेना के निस्वार्थ सेवा और भाईचारे का प्रतीक है। सिक्किम के मुख्यमंत्री, पूर्वी कमान और उत्तर प्रदेश सरकार ने उनकी शहादत को श्रद्धांजलि दी। उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके परिवार को 50 लाख रुपये और अयोध्या में स्मारक की घोषणा की।

नई दिल्ली, 24 मई 2025: माँ भारती के सच्चे सपूत, अयोध्या के 23 वर्षीय लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने सिक्किम के दुर्गम पहाड़ों में अपने अदम्य साहस और निस्वार्थ बलिदान से देश के लिए एक ऐसी मिसाल कायम की है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। मात्र छह महीने पहले भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त करने वाले इस युवा अधिकारी ने अपने साथी जवान को मौत के मुँह से निकालकर वीरगति को प्राप्त किया, लेकिन खुद माँ भारती की गोद में समा गए। उनकी यह शहादत न केवल सैन्य भाईचारे की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारतीय सेना का जवान न सिर्फ देश के लिए, बल्कि अपने साथियों के लिए भी अपनी जान न्योछावर करने को तत्पर रहता है।
घटना 22 मई 2025 की है, जब लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी, जो सिक्किम स्काउट्स रेजिमेंट में तैनात थे, उत्तरी सिक्किम के ऊँचे पहाड़ी क्षेत्र में एक रूट ओपनिंग पेट्रोल का नेतृत्व कर रहे थे। यह पेट्रोल एक टैक्टिकल ऑपरेटिंग बेस (TOB) की ओर बढ़ रहा था, जो भविष्य में तैनाती के लिए तैयार किया जा रहा था। सुबह करीब 11 बजे, उनके दल का एक जवान, अग्निवीर स्टीफन सुब्बा, एक संकीर्ण लकड़ी के पुल से गुजरते समय फिसल गया और तेज बहाव वाली बर्फीली पहाड़ी नदी में जा गिरा। बिना एक पल की देरी किए, लेफ्टिनेंट शशांक ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए तुरंत उस खतरनाक नदी में छलांग लगा दी।
उनके इस साहसिक कदम में नायक पूकार कटेल ने भी उनका साथ दिया। दोनों ने मिलकर अग्निवीर स्टीफन को मौत के जबड़े से खींच लिया, लेकिन इस प्रक्रिया में लेफ्टिनेंट शशांक तेज बहाव में बह गए। उनके दल ने तत्काल खोजबीन शुरू की, लेकिन लगभग 800 मीटर दूर उनका शव बरामद हुआ। इस दुखद घटना ने पूरे सैन्य समुदाय को शोक में डुबो दिया, लेकिन शशांक की वीरता और उनके बलिदान ने भारतीय सेना के मूल्यों—निस्वार्थ सेवा, अखंडता, नेतृत्व और सैन्य भाईचारे—को और मजबूत किया।
अयोध्या का गौरव, शशांक की कहानी
लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी अयोध्या के मझवान गद्दोपुर, थाना कैंट क्षेत्र के निवासी थे। उन्होंने 2019 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की थी और पिछले साल दिसंबर 2024 में भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त किया था। सिक्किम उनकी पहली तैनाती थी। उनके चाचा राजेश दूबे के अनुसार, शशांक हमेशा से पढ़ाई में होनहार थे। उन्होंने फैजाबाद के एक सीबीएसई स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और 2019 में इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के बाद NDA में चयनित हुए।
उनके पिता जंग बहादुर तिवारी मर्चेंट नेवी में कार्यरत हैं और वर्तमान में अमेरिका में हैं। उनकी माँ नीता तिवारी, जो हृदय रोग से पीड़ित हैं, को अभी तक इस दुखद समाचार की जानकारी नहीं दी गई है। शशांक की बड़ी बहन, जो दुबई में रहती हैं, वर्तमान में अयोध्या में हैं। शशांक अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे, और उनकी शहादत ने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है।
नेताओं और सेना का श्रद्धांजलि
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने फेसबुक पर शशांक को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, "लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी की दुखद शहादत से गहरा दुख हुआ। उनकी वीरता, कर्तव्यनिष्ठा और देश के प्रति समर्पण हमेशा याद किया जाएगा।"
पूर्वी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल आर.सी. तिवारी ने भी अपनी संवेदनाएँ व्यक्त करते हुए कहा, "लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने अपने साथी को बचाने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी वीरता भारतीय सेना के मूल्यों का प्रतीक है।"
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में शशांक की स्मृति में एक स्मारक बनाने और उनके परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।
एक प्रेरणा
लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी की यह कहानी केवल एक सैनिक की शहादत की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस अटूट भाईचारे और देशभक्ति की भावना को दर्शाती है, जो भारतीय सेना के प्रत्येक जवान के दिल में बसती है। उन्होंने न केवल अपने साथी की जान बचाई, बल्कि अपनी वीरता से यह सिद्ध कर दिया कि एक सैनिक अपने देश और अपने साथियों के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। उनकी शहादत ने अयोध्या के इस लाल को अमर कर दिया, और उनकी गाथा हर भारतीय के दिल में गर्व और प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
शशांक की अंतिम यात्रा आज अयोध्या में पूरे सैन्य सम्मान के साथ होगी। पूरा देश इस वीर सपूत को नमन करता है और उनके परिवार के साथ इस दुख की घड़ी में खड़ा है।