आरबीआई : वैश्विक अनिश्चितताएं बढ़ने के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत
रिपोर्ट में कहा गया, "संरचनात्मक सुधारों के जरिए प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादकता में सुधार से भारत न केवल अपनी विकास गति को बनाए रखेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और सशक्त करेगा।"

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को अपनी नवीनतम 'स्टेट ऑफ द इकोनॉमी' रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक व्यापार और टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताओं के बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक बुनियाद के दम पर स्थिर और लचीली बनी हुई है। आरबीआई का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब वैश्विक आर्थिक माहौल में भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार नीतियों से जुड़ी चुनौतियां बढ़ रही हैं।
अर्थव्यवस्था को मिलेगा मांग का सहारा
आरबीआई बुलेटिन के अनुसार, मुद्रास्फीति में कमी, खरीफ फसलों की बेहतर संभावनाएं, सरकारी खर्च में तेजी, लक्षित राजकोषीय उपाय और ब्याज दरों में कटौती का तेजी से प्रसारण जैसे कारक अर्थव्यवस्था में समग्र मांग को बढ़ावा देंगे। केंद्रीय बैंक ने जोर देकर कहा कि भारत के लिए यह समय वैश्विक मूल्य श्रृंखला (ग्लोबल वैल्यू चेन) में अपनी भागीदारी को और गहरा करने का है। मजबूत व्यापार साझेदारियां और बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा देने वाले कदम देश की आर्थिक प्रगति को और मजबूती देंगे।
रिपोर्ट में कहा गया, "संरचनात्मक सुधारों के जरिए प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादकता में सुधार से भारत न केवल अपनी विकास गति को बनाए रखेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और सशक्त करेगा।"
वैश्विक संस्थानों का भी भरोसा
हाल ही में मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसके अलावा, 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार दोगुना से भी अधिक होकर 10.6 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। वहीं, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी भारत के आर्थिक भविष्य पर सकारात्मक रुख अपनाया है। एडीबी के अनुसार, मजबूत घरेलू मांग, सामान्य मानसून और मौद्रिक नीतियों में नरमी के बीच भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2025 में 6.5 प्रतिशत और 2026 में 6.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। इसके साथ ही, मुद्रास्फीति 2025 में 3.8 प्रतिशत और 2026 में 4.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो आरबीआई के लक्ष्य के दायरे में है।
वैश्विक व्यापार में चुनौतियां, लेकिन उम्मीद बरकरार
आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में वैश्विक व्यापार नीतियों और आपूर्ति श्रृंखलाओं में आ रही अनिश्चितताओं पर भी ध्यान दिया। 1 अगस्त, 2025 से नई आयात शुल्क दरें लागू होने से पहले व्यापार सौदों को अंतिम रूप देने के लिए वैश्विक स्तर पर गहन बातचीत चल रही है। खास तौर पर अमेरिकी व्यापार नीतियों और उनके वैश्विक प्रभावों पर नजर रखी जा रही है।
रिजर्व बैंक ने चेतावनी दी कि वित्तीय बाजारों द्वारा व्यापक आर्थिक जोखिमों का कम आकलन चिंता का विषय है। फिर भी, बाजारों में यह उम्मीद बनी हुई है कि कम व्यवधानकारी व्यापार समझौतों पर सहमति बन सकती है। आरबीआई ने कहा, "वैश्विक व्यापार प्रवाह और आपूर्ति श्रृंखलाओं का स्वरूप अभी पूरी तरह स्थिर नहीं हुआ है, जो वैश्विक आर्थिक संभावनाओं के लिए चुनौतियां पेश कर रहा है।"
भारत के लिए अवसर
इन चुनौतियों के बीच, आरबीआई का मानना है कि भारत के पास अपनी स्थिति को और मजबूत करने का सुनहरा अवसर है। बुनियादी ढांचे में निवेश, संरचनात्मक सुधार और वैश्विक व्यापार साझेदारियों को बढ़ावा देने की दिशा में कदम भारत को न केवल आर्थिक स्थिरता प्रदान करेंगे, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी साख को भी और बढ़ाएंगे।
जैसे-जैसे भारत अपनी आर्थिक नीतियों को और मजबूत करता है, वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी उसकी अर्थव्यवस्था न केवल टिकाऊ बल्कि प्रगतिशील बनी रहेगी।