लैला-मजनूं की मzar पर वार्षिक मेला: युवा प्रेमी-प्रेमिकाओं का उत्साह, कड़ी सुरक्षा के बीच रौनक
राजस्थान के बिंजौर गांव में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास लैला-मजनूं की मzar पर रविवार को वार्षिक मेला शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। देशभर से श्रद्धालु मन्नतें मांगने पहुंचे, खासकर नवविवाहित जोड़े और प्रेमी-प्रेमिकाएं। बीएसएफ, पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों ने कड़ी निगरानी रखी। रंग-बिरंगी दुकानों, खाने के स्टॉल्स और कुश्ती दंगल ने मेले में रौनक बढ़ाई। पंजाबी कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। मेला कमेटी ने बेहतर पार्किंग व्यवस्था की। 1965 और 1972 के चमत्कारों ने मzar की मान्यता को और बढ़ाया।

भारत-पाकिस्तान सीमा के नजदीक राजस्थान के बिंजौर गांव में रविवार को लैला-मजनूं की मzar पर वार्षिक मेला शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु मzar पर सजदा करने और मन्नतें मांगने पहुंचे। मेले में नवविवाहित जोड़े, प्रेम में असफल और विवाह की प्रतीक्षा कर रहे युवक-युवतियां शामिल हुए, जिन्होंने लैला-मजनूं से अपने प्रेम की सफलता की दुआ मांगी।
मेले की सुरक्षा के लिए बीएसएफ, पुलिस, आइबी और सीआइडी के जवान तैनात रहे। सीमा क्षेत्र होने के कारण अतिरिक्त सतर्कता बरती गई। मेले में विभिन्न राज्यों से आए दुकानदारों ने खिलौनों, चूड़ियों, सौंदर्य प्रसाधनों, पारंपरिक वस्त्रों और खाने-पीने के स्टॉल्स लगाए, जहां भारी भीड़ देखी गई। मेला कमेटी ने इस बार पार्किंग व्यवस्था को भी बेहतर बनाया। मौसम सुहावना रहा, हल्के बादलों ने तेज धूप से राहत दी।
मेला कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह और मुख्य सेवादार बाबा दलीप सिंह ने बताया कि वे 1962 से गांव में रह रहे हैं। 1965 की बाढ़ में मzar का पानी से बचा रहना चमत्कार माना गया। 1972 में एक और चमत्कार के बाद मzar की मान्यता और मेले की लोकप्रियता बढ़ी। मेले में कुश्ती प्रतियोगिता हुई, जिसमें देशभर से पहलवानों ने हिस्सा लिया और विजेताओं को सम्मानित किया गया। पंजाबी कलाकारों ने पंजाबी अखाड़ा प्रस्तुत कर मनोरंजन किया। एक कलाकार ने बताया कि वे पांच साल से बिना शुल्क मेले में हिस्सा ले रहे हैं।
यह मेला प्रेम, आस्था और सांस्कृतिक एकता का अनूठा संगम रहा।