श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम: गोविंद देवजी मंदिर में भक्तों का सैलाब

जयपुर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जा रही है, गोविंद देवजी मंदिर में भक्तों की भीड़ और विशेष श्रृंगार के साथ उत्सव चरम पर है।

Aug 16, 2025 - 15:31
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम: गोविंद देवजी मंदिर में भक्तों का सैलाब

गुलाबी नगरी जयपुर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। शहर के मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियां जोर-शोर से की गई हैं, और भक्तों का उत्साह चरम पर है। खासकर, श्री गोविंद देवजी मंदिर में तड़के 4:30 बजे से शुरू हुए मंगला झांकी दर्शन के साथ ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। आज ठाकुर जी साल में सबसे ज्यादा 13 घंटे भक्तों को दर्शन देंगे, जिससे मंदिर परिसर में भक्ति का अद्भुत माहौल बना हुआ है।

गोविंद देवजी मंदिर में विशेष श्रृंगार और व्यवस्था

श्री गोविंद देवजी मंदिर में ठाकुर जी का विशेष श्रृंगार किया गया है। भगवान को नए पीत वस्त्र धारण कराए गए हैं, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। मंगला आरती और ग्वाल आरती में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। मंदिर प्रशासन ने भक्तों की सुविधा के लिए चार अलग-अलग दर्शन लाइनों की व्यवस्था की है, जिनमें पासधारक, बिना जूते-चप्पल वाले आमजन, जूता-चप्पल पहने आमजन और जगमोहन श्रेणी शामिल हैं। जलेब चौक से मंदिर तक भक्तों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं।

सुरक्षा के लिए मंदिर परिसर में एक हजार से अधिक कार्यकर्ता और पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। दस मेटल डिटेक्टर, सीसीटीवी कैमरे और कंट्रोल रूम की व्यवस्था के साथ-साथ भीड़ और मौसम को ध्यान में रखते हुए शेड और एलईडी स्क्रीन भी लगाए गए हैं। यह सभी व्यवस्थाएं भक्तों को सुगम और सुरक्षित दर्शन सुनिश्चित करने के लिए की गई हैं।

राधा दामोदर मंदिर में परंपरागत उत्सव

चौड़ा रास्ता स्थित श्री राधा दामोदर मंदिर में जन्माष्टमी का उत्सव परंपरागत रूप से दिन में मनाया गया। मंदिर में ठाकुर जी ढाई साल के बालक स्वरूप में विराजमान हैं, जिसके चलते यहां जन्मोत्सव दिन में और नंदोत्सव शाम को आयोजित होता है। यह परंपरा वृंदावन से करीब 500 सालों से चली आ रही है और जयपुर में पिछले 300 सालों से निभाई जा रही है।

मंदिर के पुजारी मलय गोस्वामी ने बताया कि उत्सव की शुरुआत सुबह 5:30 बजे मंगला आरती से हुई। इसके बाद सुबह 7:30 से 10:30 बजे तक श्रृंगार दर्शन हुए। सुबह 11 बजे जन्म व्रत कथा का आयोजन किया गया, और दोपहर 12 बजे से जन्मोत्सव शुरू हुआ। इस दौरान जगमोहन में विशेष झांकी सजाई गई, जिसमें ठाकुर जी का सर्व सिद्धि, पांचगव्य और पंचामृत से अभिषेक किया गया। यह अभिषेक करीब एक घंटे तक चला। झांकी में माखन-मिश्री, धनिए की पंजीरी और छप्पन भोग का भव्य प्रदर्शन किया गया। दोपहर 1:30 बजे महाआरती के बाद प्रसाद वितरण हुआ।

जन्मोत्सव के दौरान ठाकुर जी को झूले में विराजमान किया गया और उन्हें पीले रंग की नई अधिवास पोशाक पहनाई गई। मंदिर परिसर के बाहर आतिशबाजी और 21 तोपों की सलामी ने उत्सव को और भव्य बना दिया। जिया बैंड की प्रस्तुति ने माहौल को भक्तिमय कर दिया। नंदोत्सव का आयोजन शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक होगा, जिसमें भक्त भजन-कीर्तन और विशेष झांकियों के दर्शन करेंगे।

गुप्त वृंदावन धाम में रंग-बिरंगी सजावट

जगतपुरा स्थित गुप्त वृंदावन धाम मंदिर में भी जन्माष्टमी की धूम है। मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है, और भगवान श्रीकृष्ण और बलराम का विभिन्न फलों के रस से अभिषेक किया जा रहा है। भगवान की विशेष पोशाक वृंदावन में तैयार की गई है, जिसमें जरदोजी की कढ़ाई की गई है। मंगला आरती में भगवान ने नवरत्न धारण किए, और कर्नाटक से मंगवाए गए सेवंती फूलों से पुष्प अलंकार किया गया। मंदिर परिसर को देश के विभिन्न हिस्सों से लाए गए फूलों से सजाया गया है।

अर्धरात्रि को महाआरती के साथ भगवान का महाभिषेक होगा, जिसमें लाखों भक्त हरे कृष्ण महामंत्र और जयघोष के साथ नंदलाला का स्वागत करेंगे। मंदिर प्रबंधन ने भक्तों की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं, और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध सुनिश्चित किए हैं।

शहर के अन्य मंदिरों में भी उत्साह

जयपुर के अन्य प्रमुख मंदिरों जैसे गोपीनाथ जी, ब्रजनिधि, आनंद कृष्ण बिहारी और श्री कृष्ण बलराम मंदिर में भी जन्माष्टमी का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। श्री कृष्ण बलराम मंदिर में कर्नाटक से मंगवाए गए पुष्पों से भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया है। इन मंदिरों में भक्तों की भीड़ और भक्ति का उत्साह देखते ही बनता है।

भक्तों में उत्साह, प्रशासन की मुस्तैदी

जयपुर में जन्माष्टमी का उत्सव न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। मंदिरों में भक्तों का उत्साह और प्रशासन की चुस्त व्यवस्था इस पर्व को और भी यादगार बना रही है। भक्तों को पूरे दिन दर्शन का अवसर मिलेगा, और मंदिर प्रबंधन ने सभी व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है।

जयपुर की यह जन्माष्टमी भक्ति, परंपरा और उत्सव का एक अनूठा संगम है, जो गुलाबी नगरी की सांस्कृतिक धरोहर को और समृद्ध कर रही है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .