खेजड़ी बचाओ आंदोलन: बाड़मेर में सोलर कंपनी की पेड़ कटाई के खिलाफ विधायक रविंद्र सिंह भाटी का धरना, रेतीले टीले में गुजारी रात....
बाड़मेर में सोलर कंपनी की खेजड़ी पेड़ कटाई के खिलाफ ग्रामीणों का हल्ला! शिव उपखंड के बरियाड़ा-खोड़ाल में धरना, निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने धोरों में गुजारी रात। #खेजड़ी_बचाओ टॉप ट्रेंड, पर्यावरण और संस्कृति की जंग में ग्रामीण अडिग, प्रशासन पर पक्षपात का आरोप। मांग: पेड़ कटाई बंद, ओरण-गोचर भूमि सुरक्षित!

बाड़मेर, राजस्थान: पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर जिले में सोलर कंपनी द्वारा खेजड़ी के पेड़ों की कटाई के खिलाफ ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा है। शिव उपखंड के बरियाड़ा और खोड़ाल गांव में स्थानीय लोग सौर ऊर्जा परियोजना के लिए हो रही पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे हैं। इस आंदोलन में निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने भी कदम रखा और रविवार रात धरना स्थल पर ग्रामीणों के साथ रात गुजारी। सोमवार को भी वे धरने पर डटे रहे, जिससे यह मुद्दा सोशल मीडिया पर #खेजड़ी_बचाओ के रूप में टॉप ट्रेंड में शामिल हो गया।
क्या है पूरा मामला?
बाड़मेर के शिव उपखंड में एक निजी सोलर कंपनी पर आरोप है कि वह सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए खेजड़ी के पेड़ों को धड़ल्ले से काट रही है। खेजड़ी, जिसे राजस्थान का राज्य वृक्ष माना जाता है, न केवल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और पारिस्थितिकी का अभिन्न हिस्सा भी है। ग्रामीणों का कहना है कि सोलर कंपनी बिना पर्याप्त पर्यावरणीय मंजूरी और स्थानीय समुदाय की सहमति के पेड़ काट रही है, जिससे क्षेत्र की जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है। बरियाड़ा और खोड़ाल गांव के लोग इस कटाई के खिलाफ कई दिनों से धरना दे रहे हैं। उनका मांग है कि खेजड़ी के पेड़ों को बचाया जाए और सोलर प्रोजेक्ट के लिए वैकल्पिक जमीन का उपयोग किया जाए। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि ओरण और गोचर भूमि, जो सामुदायिक उपयोग के लिए आरक्षित हैं, को सोलर कंपनियों को आवंटित करने से पहले राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाना चाहिए।
रविंद्र सिंह भाटी का आंदोलन में कदम
निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी, जो पहले भी ओरण और गोचर भूमि बचाने के लिए अपने आंदोलनों से चर्चा में रहे हैं, इस बार भी ग्रामीणों के समर्थन में उतरे। रविवार को वे धरना स्थल पर पहुंचे और रातभर ग्रामीणों के साथ रेगिस्तान के धोरों में डटे रहे। भाटी ने कहा, “खेजड़ी सिर्फ एक पेड़ नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरण का आधार है। हम सोलर प्रोजेक्ट का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन यह पर्यावरण और किसानों के हक की कीमत पर नहीं होना चाहिए।” उन्होंने सरकार से मांग की कि सोलर कंपनियों को पेड़ कटाई से पहले पर्यावरणीय ऑडिट और स्थानीय समुदाय की सहमति लेना अनिवार्य किया जाए। भाटी ने यह भी चेतावनी दी कि यदि ग्रामीणों की मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
सोशल मीडिया पर छाया #खेजड़ी_बचाओ
यह मुद्दा अब सोशल मीडिया पर भी जोर पकड़ चुका है। #खेजड़ी_बचाओ हैशटैग के साथ लोग इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं और सोलर कंपनियों की मनमानी के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय समुदायों ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की बात कही है।
पहले भी उठ चुकी है ऐसी आवाजें
यह पहला मौका नहीं है जब बाड़मेर और आसपास के जिलों में सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए पेड़ों की कटाई का विरोध हुआ है। जैसलमेर के बईया गांव में पिछले साल नवंबर 2024 में भी अडानी सोलर पावर कंपनी के खिलाफ ग्रामीणों ने धरना दिया था, जिसमें रविंद्र सिंह भाटी ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। उस दौरान भी पुलिस ने 14 लोगों को हिरासत में लिया था, लेकिन भाटी के हस्तक्षेप के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था।
इसके अलावा, बीकानेर जिले में भी खेजड़ी बचाने के लिए पिछले 7 महीनों से आंदोलन चल रहा है। पर्यावरण जीवरक्षा संस्थान के उपाध्यक्ष मोहनलाल विश्नोई ने बताया कि सोलर प्लांट्स के लिए पेड़ों की कटाई को रोकने और ट्री प्रोटेक्शन एक्ट में संशोधन की मांग को लेकर बाड़मेर में बाजार बंद रहा था।
सोलर कंपनी और प्रशासन का रुख
सोलर कंपनियों का कहना है कि वे सरकार की अक्षय ऊर्जा नीतियों के तहत काम कर रही हैं और पेड़ों की कटाई के लिए आवश्यक मंजूरी ली गई है। हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन इस मामले में सोलर कंपनियों का पक्ष ले रहा है और उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है। रविंद्र सिंह भाटी ने भी पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। पिछले साल जैसलमेर में भाटी के खिलाफ राजकार्य में बाधा डालने का मुकदमा दर्ज हुआ था, जब उन्होंने पुलिस की जीप से दो प्रदर्शनकारियों को छुड़ाया था। इस बार भी भाटी के खिलाफ सोलर कंपनियों की शिकायत पर मुकदमा दर्ज होने की आशंका जताई जा रही है, लेकिन वे अपने रुख पर अडिग हैं।
पर्यावरण और संस्कृति पर खतरा
खेजड़ी का पेड़ राजस्थान की मरुस्थली पारिस्थितिकी का आधार है। यह न केवल ऑक्सीजन प्रदान करता है, बल्कि मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखने और स्थानीय जीव-जंतुओं के लिए आश्रय प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण है। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, बीकानेर जिले में पिछले 14 वर्षों में 5 लाख से ज्यादा खेजड़ी के पेड़ कट चुके हैं। बाड़मेर और जैसलमेर जैसे जिलों में भी सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हो रही है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन और सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंच रहा है।
ग्रामीणों और रविंद्र सिंह भाटी के नेतृत्व में यह आंदोलन अब और व्यापक होने की ओर बढ़ रहा है। भाटी ने कहा कि वे इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाएंगे, जैसा कि उन्होंने फरवरी 2025 में सौर ऊर्जा संयंत्रों के पर्यावरणीय प्रभाव और किसानों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई थी। पर्यावरण प्रेमी संगठनों ने भी इस आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया है और मांग की है कि सरकार खेजड़ी कटाई पर सख्त कानून बनाए।
इस बीच, बाड़मेर के धरना स्थल पर तनाव बना हुआ है। पुलिस की मौजूदगी बढ़ा दी गई है, और प्रशासन इस मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की कोशिश कर रहा है। लेकिन ग्रामीण और विधायक भाटी अपनी मांगों पर अडिग हैं कि जब तक ओरण और गोचर भूमि को सुरक्षित नहीं किया जाता और पेड़ों की कटाई पर रोक नहीं लगती, तब तक धरना जारी रहेगा।
खेजड़ी_बचाओ आंदोलन अब केवल बाड़मेर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे राजस्थान में पर्यावरण और संस्कृति की रक्षा का प्रतीक बन चुका है।