जालोर सदियों पुरानी परंपरा पर ब्रेक, अफीम की मनुहार बंद कराने में जुटा समाज और प्रशासन
पुलिस की सख्ती और लोगों की स्वप्रेरणा से 323 शादियों में नहीं हुई अफीम की परंपरागत पेशकश...

जालोर जिले में एक ऐतिहासिक सामाजिक बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। सदियों से सामाजिक आयोजनों में चली आ रही अफीम की मनुहार की परंपरा अब टूट रही है। शादियों, मौताणे, और अन्य सामाजिक समारोहों में अफीम या डोडा की पेशकश को अनिवार्य मानने वाली यह परंपरा अब स्वेच्छा और कानून दोनों के दबाव में थमती नजर आ रही है।
पुलिस की पहल बनी बदलाव की धुरी
जालोर पुलिस ने इस दिशा में बड़ा अभियान चलाया है। अब तक 323 आयोजनों को अफीम रहित किया जा चुका है। पुलिस अधीक्षक ज्ञानचंद्र यादव ने अब तक जिले भर में 2 लाख से अधिक लोगों को नशा न परोसने और न अपनाने की शपथ दिलाई है। शादी समारोहों में सादी वर्दी में पुलिसकर्मी तैनात किए जा रहे हैं। अफीम को 'चाय' बताकर परोसने की कोशिशों पर भी अब रोक लगाई जा रही है।
वीडियो वायरल से बढ़ी सख्ती
हाल ही में एक आयोजन में चाय के नाम पर अफीम परोसे जाने का वीडियो वायरल हुआ। इसके बाद दो मामलों में एफआईआर दर्ज हुई और सख्ती और बढ़ाई गई। अब आयोजक खुद पुलिस को सूचना देकर आयोजन को अफीम-मुक्त रखने की मंशा जाहिर कर रहे हैं।
सामाजिक समर्थन भी मजबूत
देवासी, रावणा राजपूत, कलबी चौधरी, मेघवाल, विश्नोई, सुथार, लुहार, मुस्लिम समाज सहित कई समुदायों ने एसपी को पत्र लिखकर इस पहल का समर्थन किया है। संत और साधु भी खुलकर आगे आ रहे हैं। अफीम की इस मनुहार के चलते मेजबानों को 1 से 3 लाख तक खर्च करना पड़ता था, जिससे अब उन्हें राहत मिल रही है।
जिलावार कार्रवाई पुलिस ने विभिन्न थाना क्षेत्रों में सैकड़ों आयोजनों में कार्रवाई की है
बागरा: 51 आयोजन
बिशनगढ़: 46
जसवंतपुरा: 26
चितलवाना: 30
झाब: 31
रानीवाड़ा: 32
अन्य क्षेत्रों में भी कार्रवाई जारी
रेंज स्तर पर विस्तार
इस पहल की सफलता को देखते हुए अब जोधपुर रेंज के अन्य जिलों में भी यह मुहिम शुरू होने जा रही है। इसका उद्देश्य है नशामुक्त, स्वास्थ्यपूर्ण और आर्थिक रूप से सशक्त समाज की दिशा में कदम बढ़ाना।