फर्जी दूतावास का भंडाफोड़: 44 लाख कैश, VIP नंबर प्लेट वाली लग्जरी गाड़ियां बरामद, STF की बड़ी कार्रवाई
फर्जी दूतावास का पर्दाफाश, हर्षवर्धन जैन गिरफ्तार; एसटीएफ ने जाली दस्तावेज, नकली पासपोर्ट, और 44.70 लाख रुपये नकद सहित कई सबूत जब्त किए।

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक शख्स ने काल्पनिक देशों के नाम पर फर्जी दूतावास चलाकर लोगों को ठगने का धंधा चला रखा था। यूपी एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) की नोएडा यूनिट ने मंगलवार रात कविनगर के एक किराए के मकान पर छापा मारकर इस फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ किया। इस कार्रवाई में मुख्य आरोपी हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार किया गया, जो खुद को वेस्ट आर्कटिक, सबोरगा, पॉल्विया और लोडोनिया जैसे काल्पनिक देशों का राजदूत बताकर लोगों को गुमराह करता था। हैरानी की बात यह है कि ये देश दुनिया के नक्शे पर कहीं मौजूद ही नहीं हैं!
क्या-क्या बरामद हुआ?
एसटीएफ की छापेमारी में हर्षवर्धन के ठिकाने से चौंकाने वाली चीजें बरामद हुईं। इनमें शामिल हैं:
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चार लग्जरी गाड़ियां: इन पर फर्जी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी थीं।
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12 फर्जी डिप्लोमैटिक पासपोर्ट: काल्पनिक माइक्रोनेशन देशों के नाम पर बनाए गए।
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जाली दस्तावेज: विदेश मंत्रालय की मोहर के साथ कूटरचित दस्तावेज।
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दो फर्जी पैन कार्ड और दो फर्जी प्रेस कार्ड।
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34 मोहरें: विभिन्न देशों और कंपनियों की नकली मोहरें।
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44.70 लाख रुपये नकद: कई देशों की विदेशी मुद्रा।
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18 डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट: फर्जी गाड़ियों के लिए इस्तेमाल।
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मॉर्फ्ड तस्वीरें: प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य बड़े नेताओं के साथ फोटोशॉप की गई तस्वीरें।
कैसे चलता था फर्जीवाड़ा?
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सुशील घुले ने बताया कि हर्षवर्धन जैन कविनगर के केबी-35 में एक किराए की कोठी में 'वेस्ट आर्कटिक दूतावास' चला रहा था। वह खुद को इन काल्पनिक देशों का कॉन्सुल या राजदूत बताता था। उसका मुख्य मकसद विदेशों में नौकरी या कारोबार के नाम पर लोगों से मोटी रकम वसूलना था। इसके लिए वह शेल कंपनियों के जरिए हवाला रैकेट भी संचालित करता था। हर्षवर्धन की कोठी के बाहर लग्जरी गाड़ियां खड़ी रहती थीं, जिन पर फर्जी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट और झंडे लगे होते थे, ताकि लोग उसे वीआईपी समझें।
आपराधिक इतिहास भी उजागर
जांच में पता चला कि हर्षवर्धन का आपराधिक इतिहास पुराना है। साल 2011 में उसके पास से एक अवैध सैटेलाइट फोन बरामद हुआ था, जिसके लिए कविनगर थाने में मामला दर्ज है। इसके अलावा, उसका नाम कुख्यात तांत्रिक चंद्रास्वामी और अंतरराष्ट्रीय हथियार डीलर अदनान खगोशी से भी जुड़ा हुआ है। एसटीएफ का मानना है कि हर्षवर्धन का नेटवर्क केवल भारत तक सीमित नहीं था, बल्कि इसके तार विदेशी अपराधियों से भी जुड़े हो सकते हैं।
दूतावास का मतलब
दूतावास किसी देश का वह आधिकारिक कार्यालय होता है, जो दूसरे देश में अपने राजनयिक और राजनीतिक हितों का प्रतिनिधित्व करता है। यह दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने, नागरिकों को पासपोर्ट-वीजा जैसी सेवाएं देने, और सांस्कृतिक-आर्थिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का काम करता है। लेकिन हर्षवर्धन ने इसकी आड़ में फर्जी दस्तावेज और नकली पहचान बनाकर लोगों को ठगने का धंधा शुरू कर दिया था, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता था।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच
एसटीएफ ने हर्षवर्धन जैन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (जालसाजी के इरादे से दस्तावेज बनाना), 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग) और पासपोर्ट एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। कविनगर थाने में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। एसटीएफ ने एक विशेष टीम गठित की है, जो हर्षवर्धन के नेटवर्क और उसके अंतरराष्ट्रीय कनेक्शनों की गहराई से पड़ताल कर रही है।