93 की उम्र में दौड़ीं, 103 तक जीतीं, और अमर हो गईं!

93 की उम्र में दौड़ शुरू कर 103 तक विश्व रिकॉर्ड जीतने वाली मान कौर की कहानी हर किसी को हैरान और प्रेरित करती है। 105 साल की उम्र में दुनिया छोड़ने वाली यह "चमत्कारी दादी" हमेशा याद रहेगी।

Jul 17, 2025 - 15:07
93 की उम्र में दौड़ीं, 103 तक जीतीं, और अमर हो गईं!

93 की उम्र में दौड़ शुरू कर 103 तक विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली मान कौर की कहानी हर दिल को छूती है। चंडीगढ़ की इस "चमत्कारी दादी" ने 105 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन उनकी प्रेरणा आज भी जिंदा है।

एक साधारण शुरुआत, असाधारण कहानी

कल्पना करें, 93 साल की उम्र, जब ज्यादातर लोग आराम की जिंदगी चुनते हैं, तब मान कौर ने ट्रैक पर दौड़ना शुरू किया। 1 मार्च 1916 को पंजाब के पटियाला में जन्मीं मान कौर की जिंदगी आसान नहीं थी। जन्म के एक महीने बाद माँ को खो दिया, पिता की आर्थिक तंगी में पलीं, और दादी के प्यार में बड़ी हुईं। कम उम्र में शादी के बाद 1960 में वह अपने पति के साथ चंडीगढ़ चली गईं। उनके पास कोई जन्म प्रमाण पत्र नहीं था, लेकिन उनके बेटे गुरदेव सिंह का 81 साल पुराना जन्म प्रमाण पत्र बताता है कि वह उस वक्त 20 की थीं। सिर्फ पंजाबी बोलने वाली, 5 फीट की यह छोटी-सी महिला एक दिन दुनिया को हैरान करने वाली थी।

बेटे ने जगाया जुनून

मान कौर की जिंदगी में खेल का रंग उनके बेटे गुरदेव सिंह ने भरा, जो खुद एक मास्टर्स एथलीट थे। 2007 में, 93 साल की उम्र में, गुरदेव ने उन्हें चंडीगढ़ मास्टर्स एथलेटिक्स मीट में हिस्सा लेने के लिए मनाया। मान कौर ने हँसते हुए इसे "मजाक" समझा, लेकिन जब उन्होंने पहला स्वर्ण पदक जीता, तो वह रुकने का नाम ही नहीं लिया। उनकी कहानी यहीं से शुरू हुई, और वह विश्व रिकॉर्ड की राह पर दौड़ पड़ीं।

रिकॉर्ड जो दुनिया ने देखे

मान कौर ने 100 साल से ज्यादा उम्र की श्रेणी में ऐसी उपलब्धियाँ हासिल कीं, जो किसी चमत्कार से कम नहीं। उनकी कुछ खास जीतें:

  • 2011, सैक्रामेंटो, यूएसए: वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स में 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक और विश्व रिकॉर्ड। उन्हें "एथलीट ऑफ द ईयर" का खिताब मिला।

  • 2012, ताइवान: एशियन मास्टर्स में 100 मीटर दौड़ में सोना।

  • 2013, हंट्समैन वर्ल्ड सीनियर गेम्स: शॉटपुट और जैवलिन थ्रो में पाँच मेडल।

  • 2016, वैंकूवर: अमेरिकन मास्टर्स गेम्स में 100 मीटर दौड़ का विश्व रिकॉर्ड तोड़ा (1 मिनट 21 सेकंड) और शॉटपुट, जैवलिन में मेडल जीते।

  • 2017, ऑकलैंड, न्यूजीलैंड: 100 मीटर दौड़ में 74 सेकंड का समय और स्वर्ण पदक। वह दुनिया की सबसे उम्रदराज स्काईवॉक करने वाली इंसान बनीं।

  • 2018, मलागा, स्पेन: 200 मीटर और जैवलिन थ्रो में स्वर्ण।

  • 2019, पोलैंड: 60 मीटर, 200 मीटर, शॉटपुट, और जैवलिन में चार स्वर्ण।

  • गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड: जैवलिन थ्रो में 5.12 मीटर का रिकॉर्ड।

उन्होंने 31 अंतरराष्ट्रीय और 13 से ज्यादा राष्ट्रीय स्वर्ण पदक जीते। 2016 में दिल्ली हाफ मैराथन में उनकी दौड़ ने सबके होश उड़ा दिए। मान कौर की हर जीत यह साबित करती थी कि उम्र सिर्फ एक नंबर है।

मेहनत और सादगी का जादू

मान कौर की ट्रेनिंग उनके बेटे गुरदेव संभालते थे, जो उनके कोच और ट्रैक पर साथी भी थे। सुबह 4 बजे उठकर वह नहातीं, कपड़े धोतीं, चाय बनातीं, और प्रार्थना के बाद पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला के ट्रैक पर दौड़ने पहुंचतीं। उनकी दिनचर्या थी:

  • रोज 20 किलोमीटर दौड़।

  • जिम में वर्कआउट।

  • 100 मीटर की दो तेज दौड़, 30 मीटर की चार दौड़, और 200 मीटर की हल्की दौड़।

उनका खाना उतना ही सादा था, जितना उनका दिल। छह रोटियाँ (अंकुरित गेहूं, काले चने, और जौ से बनी), सोया दूध, मौसमी फल, जूस, और कनाडा से लाया गया केफिर (दही जैसा पेय)। जंक फूड से वह कोसों दूर थीं। वह युवा लड़कियों को कहती थीं, "अच्छा खाओ, खेलो, और सपने देखो।"

सम्मान जो दिल जीत गए

मान कौर की उपलब्धियाँ सिर्फ मेडल तक नहीं रुकीं। उन्हें कई सम्मान मिले:

  • नारी शक्ति पुरस्कार (2020): 103 साल की उम्र में भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें यह सम्मान दिया, जो महिलाओं की ताकत का प्रतीक है।

  • पिंकथॉन की सितारा: मिलिंद सोमन की पिंकथॉन मैराथन ने उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया।

  • प्रधानमंत्री से मुलाकात: 2020 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर वह पीएम नरेंद्र मोदी से मिलीं, और उनकी सादगी ने सबका दिल जीत लिया।

एक ऐसी दादी, जो सबकी प्रेरणा बनी

मान कौर कहती थीं, "दौड़ना मेरा ध्यान है, मेरी खुशी है।" उनके लिए खेल सिर्फ जीत नहीं, जिंदगी जीने का तरीका था। वह कहती थीं, "स्वस्थ खाओ, मेहनत करो, और बड़ों का सम्मान करो।" पिंकथॉन जैसे आयोजनों में वह हजारों महिलाओं के लिए मिसाल बन गईं। उनकी मुस्कान और जुनून ने हर उम्र के लोगों को यह सिखाया कि सपनों की कोई उम्र नहीं होती।

अलविदा, पर यादें हमेशा

2021 में मान कौर को गॉल ब्लैडर और लिवर कैंसर का पता चला। इंदौर और डेरा बस्सी में इलाज के बाद 31 जुलाई 2021 को दिल का दौरा पड़ने से वह हमें छोड़ गईं। उनके पीछे दो बेटे, एक बेटी, नौ पोते-पोतियाँ, और 10 से ज्यादा परपोते-पोतियाँ हैं। मिलिंद सोमन ने ट्वीट किया, "शांति से दौड़ें, मान कौर, आप हमेशा हमारे दिलों में हैं।" उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू समेत कई हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।

मान कौर की कहानी हमें सिखाती है कि जिंदगी में कभी देर नहीं होती। चंडीगढ़ की इस छोटी-सी दादी ने 93 की उम्र में दौड़ शुरू की, 103 तक विश्व रिकॉर्ड बनाए, और 105 की उम्र में एक ऐसी विरासत छोड़ी जो हमेशा जिंदा रहेगी। उनकी कहानी #RunDadiRun के रूप में हर उस इंसान को प्रेरित करती है, जो सपने देखने की हिम्मत रखता है। मान कौर, आप सचमुच एक प्रेरणा हैं!

Yashaswani Journalist at The Khatak .