जयपुर: वनरक्षक भर्ती परीक्षा-2020 पेपर लीक मामले में SOG की सनसनीखेज कार्रवाई, तीन और गिरफ्तार

राजस्थान में वनरक्षक भर्ती परीक्षा-2020 के पेपर लीक मामले में SOG ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई की। एक महिला वनरक्षक प्यारी कुमारी, वनरक्षक उमाराम, और दलाल रमेश कुमार को गिरफ्तार किया गया। यह कार्रवाई पहले गिरफ्तार स्टेशन मास्टर कंवराराम जाट की पूछताछ के आधार पर हुई, जिसने खुलासा किया कि 13 नवंबर 2022 को उदयपुर में आयोजित परीक्षा का पेपर लीक हुआ था। अब तक 33 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें 13 वनरक्षक और 20 दलाल शामिल हैं। SOG इस नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने और गुजरात से जुड़े स्रोतों की जांच कर रही है। सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत सख्त कार्रवाई जारी है।

May 23, 2025 - 17:26
जयपुर: वनरक्षक भर्ती परीक्षा-2020 पेपर लीक मामले में SOG की सनसनीखेज कार्रवाई, तीन और गिरफ्तार

राजस्थान में वनरक्षक भर्ती परीक्षा-2020 के पेपर लीक का मामला एक बार फिर सुर्खियों में छाया हुआ है। इस बार स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने गुरुवार को ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए इस घोटाले के तारों को और उजागर किया है। इस सनसनीखेज मामले में SOG ने एक महिला वनरक्षक सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो लोग लीक हुए पेपर की मदद से नौकरी हासिल करने में कामयाब रहे थे। साथ ही, एक बिचौलिए को भी हिरासत में लिया गया है, जिसने लाखों रुपये के लेन-देन में अहम भूमिका निभाई थी। यह कार्रवाई न केवल इस घोटाले की गहराई को दर्शाती है, बल्कि भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता की जरूरत को भी रेखांकित करती है।

13 नवंबर 2022 को उदयपुर में आयोजित वनरक्षक भर्ती परीक्षा-2020 के पेपर लीक का यह मामला राजस्थान में भर्ती घोटालों की एक और कड़ी है। SOG की जांच में सामने आया कि इस परीक्षा के पेपर को लीक करने का एक संगठित नेटवर्क सक्रिय था, जिसमें सरकारी कर्मचारी, दलाल, और कुछ अभ्यर्थी शामिल थे। इस बार की कार्रवाई में SOG ने पहले गिरफ्तार किए गए स्टेशन मास्टर कंवराराम जाट की पूछताछ के आधार पर नए खुलासे किए। कंवराराम ने बताया कि उसने वनरक्षक उमाराम और प्यारी कुमारी को परीक्षा से पहले ही सॉल्व्ड पेपर उपलब्ध कराया था। इस पेपर की मदद से दोनों ने न केवल परीक्षा पास की, बल्कि वन विभाग में नौकरी भी हासिल कर ली।

इसके अलावा, SOG ने एक दलाल रमेश कुमार को भी गिरफ्तार किया, जिसने पेपर लीक करवाने और अभ्यर्थियों को पेपर पढ़वाने के लिए मोटी रकम का सौदा किया था। जांच में पता चला कि उमाराम को पेपर पढ़ने के लिए 1 लाख रुपये और प्यारी कुमारी को 3 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। वहीं, रमेश कुमार ने एक अन्य वनरक्षक टिमो के लिए 8 लाख रुपये का सौदा किया, जिसमें से 7 लाख रुपये मुख्य सरगना एनडी सारण को दिए गए।

SOG की इस कार्रवाई में निम्नलिखित तीन लोग गिरफ्तार किए गए:

  1. उमाराम: बाड़मेर के गुढ़ामलानी का निवासी, वर्तमान में डीसीएफ कार्यालय, बाड़मेर में वनरक्षक के पद पर कार्यरत। उसने लीक हुए पेपर की मदद से परीक्षा पास की थी।
  2. प्यारी कुमारी: बाड़मेर के गुढ़ामलानी की रहने वाली, वर्तमान में वनरक्षक नाका, गुढ़ामलानी रेंज, धोरीमन्ना में कार्यरत। उसने भी लीक पेपर के जरिए नौकरी हासिल की थी।
  3. रमेश कुमार: बाड़मेर के सिणधरी का निवासी, इस घोटाले का प्रमुख दलाल। उसने अभ्यर्थियों को पेपर उपलब्ध कराने और सौदे तय करने में अहम भूमिका निभाई।


प्रशासन अब क्या करेगा?

SOG की यह कार्रवाई इस मामले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाइयों में से एक है। अब तक इस मामले में 33 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें 13 वनरक्षक और 20 दलाल व पेपर सॉल्व करने वाले शामिल हैं। इसके अलावा, SOG ने बांसवाड़ा की अपर जिला एवं सेशन कोर्ट में 18 अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है, जिनमें वनरक्षक, शिक्षक, ट्रैफिक पुलिसकर्मी, और स्टेशन मास्टर जैसे सरकारी कर्मचारी शामिल हैं।

SOG की अगली रणनीति:

  • आरोपियों से गहन पूछताछ: गिरफ्तार किए गए उमाराम, प्यारी कुमारी, और रमेश कुमार से SOG गहन पूछताछ कर रही है ताकि इस नेटवर्क के अन्य बड़े नामों का खुलासा हो सके। संभावना है कि पूछताछ में और सनसनीखेज तथ्य सामने आएंगे।
  • कोर्ट में पेशी और रिमांड: तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां SOG उनकी पुलिस रिमांड की मांग कर सकती है।
  • नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने की कोशिश: SOG इस मामले में शामिल पूरे नेटवर्क को खत्म करने के लिए ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है। जांच में यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि पेपर लीक का मुख्य स्रोत गुजरात के पालनपुर और अहमदाबाद से कैसे जुड़ा था।
  • सख्त कानूनी कार्रवाई: इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 419, 420, 467, 468, 471, आईटी एक्ट की धारा 66डी, और राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 2022 की धारा 3, 4, 6, 7, और 10 के तहत कार्रवाई की जा रही है।

यह पेपर लीक प्रकरण न केवल एक संगठित अपराध की कहानी है, बल्कि यह राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है। इस मामले में शामिल लोग न सिर्फ अभ्यर्थी थे, बल्कि कई सरकारी कर्मचारी, जैसे वनरक्षक, पुलिस कांस्टेबल, और स्टेशन मास्टर, भी इस गोरखधंधे में लिप्त पाए गए हैं। यह खुलासा कि पेपर गुजरात के पालनपुर और अहमदाबाद से लीक हुआ था, इस घोटाले के अंतरराज्यीय कनेक्शन को भी उजागर करता है।

इसके अलावा, इस मामले में लाखों रुपये के लेन-देन और सॉल्व्ड पेपर को प्रिंटर से प्रिंट कर अभ्यर्थियों को पढ़ाने की कहानी किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं है। SOG की कार्रवाई और इस नेटवर्क को ध्वस्त करने की उनकी कोशिशें न केवल जनता में विश्वास जगाती हैं, बल्कि भविष्य में ऐसी धांधलियों को रोकने के लिए एक मजबूत संदेश भी देती हैं।

SOG की जीरो टॉलरेंस नीति

राजस्थान सरकार और SOG ने पेपर लीक मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। अब तक विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में शामिल 86 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा चुका है, और 189 अन्य के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है। सरकार का साफ संदेश है कि भर्ती प्रक्रिया को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। SOG की जांच में और बड़े खुलासे होने की संभावना है। क्या इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड और पेपर लीक का मूल स्रोत पकड़ा जाएगा? क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाए जाएंगे? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में SOG की कार्रवाइयों से मिलेंगे।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ