हैदराबाद में फर्जी सरोगेसी का सनसनीखेज खुलासा: सरोगेसी के नाम पर बच्चों की तस्करी.

हैदराबाद के यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर में चल रहे अवैध सरोगेसी और बच्चों की तस्करी के रैकेट का पर्दाफाश हुआ। डॉ. नम्रता समेत 11 लोग गिरफ्तार। यह गिरोह गरीब परिवारों से बच्चे खरीदकर नि:संतान दंपतियों को लाखों में बेचता था। एक दंपति के 35 लाख रुपये खर्च करने के बाद डीएनए टेस्ट से बच्चा उनका नहीं निकला, जिससे यह घोटाला उजागर हुआ। पुलिस ने क्लिनिक सील कर जांच तेज कर दी है।

Aug 1, 2025 - 17:50
Aug 1, 2025 - 17:51
हैदराबाद में फर्जी सरोगेसी का सनसनीखेज खुलासा: सरोगेसी के नाम पर बच्चों की तस्करी.

हैदराबाद से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर की आड़ में अवैध सरोगेसी और नवजात बच्चों की तस्करी का संगठित रैकेट संचालित हो रहा था। पुलिस ने इस घिनौने कारोबार का पर्दाफाश करते हुए सेंटर की संचालिका डॉ. अथलुरी नम्रता सहित 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। यह रैकेट नि:संतान दंपतियों को जैविक संतान का झांसा देकर लाखों रुपये ठग रहा था, जबकि वास्तव में गरीब परिवारों से बच्चे खरीदकर उन्हें फर्जी दस्तावेजों के साथ बेचा जा रहा था।

कैसे सामने आया घोटाला?

मामला तब उजागर हुआ जब राजस्थान के एक दंपति, जो अब सिकंदराबाद में रहते हैं, ने गोपालपुरम पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की। इस दंपति ने अगस्त 2024 में यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर से सरोगेसी के लिए संपर्क किया था। डॉ. नम्रता ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनके स्पर्म और अंडाणु का उपयोग कर सरोगेट मां के जरिए उनका जैविक बच्चा पैदा होगा। इसके लिए दंपति से 35 लाख रुपये वसूले गए, जिसमें प्रसव शुल्क के नाम पर अतिरिक्त राशि भी शामिल थी। जून 2025 में, दंपति को बताया गया कि विशाखापत्तनम में सरोगेट मां ने एक लड़के को जन्म दिया है। बच्चे को लेने के बाद उन्हें संदेह हुआ क्योंकि बच्चे का चेहरा उनके परिवार से मेल नहीं खाता था। जब उन्होंने सरोगेट मां के डीएनए सत्यापन की मांग की, तो क्लिनिक ने टालमटोल शुरू कर दी। आखिरकार, दंपति ने दिल्ली में स्वतंत्र डीएनए टेस्ट करवाया, जिससे पता चला कि बच्चा जैविक रूप से उनका नहीं है। इस खुलासे के बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज की, जिसने पूरे रैकेट की पोल खोल दी।

रैकेट का संचालन और कार्यप्रणाली

पुलिस जांच में सामने आया कि यह रैकेट तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कई शहरों, जैसे हैदराबाद, विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा और गुंटूर में फैला हुआ था। डॉ. नम्रता और उनके सहयोगी गरीब और कमजोर वर्ग की गर्भवती महिलाओं को निशाना बनाते थे। इन महिलाओं को पैसे या अन्य प्रलोभन देकर गर्भधारण जारी रखने के लिए राजी किया जाता था। इसके बाद उनके नवजात बच्चों को फर्जी मेडिकल रिकॉर्ड और जन्म प्रमाण पत्र बनाकर नि:संतान दंपतियों को बेच दिया जाता था। एक मामले में, असम के एक दंपति से उनका नवजात बच्चा मात्र 90,000 रुपये में खरीदा गया। इस बच्चे को विशाखापत्तनम में प्रसव के बाद दो दिन में ही हैदराबाद लाया गया और शिकायतकर्ता दंपति को 35 लाख रुपये में बेच दिया गया। पुलिस ने बच्चे के जैविक माता-पिता को भी गिरफ्तार कर लिया है और बच्चे को शिशु विहार में भेज दिया गया है। 

गिरफ्तारियां और जब्त सामग्री

हैदराबाद नॉर्थ जोन की डीसीपी एस. रश्मि पेरुमल के नेतृत्व में पुलिस ने गोपालपुरम, विशाखापत्तनम और अन्य स्थानों पर यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर की शाखाओं पर छापेमारी की। इस दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज, चिकित्सा उपकरण, बिना लाइसेंस वाली आईवीएफ सामग्री और स्पर्म सैंपल जब्त किए गए, जिन्हें फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।  

गिरफ्तार आरोपियों में शामिल हैं:

डॉ. अथलुरी नम्रता (64): रैकेट की मुख्य सरगना और सेंटर की मालकिन। 

पी. जयंत कृष्णा (25): डॉ. नम्रता का बेटा, जो पैसे का प्रबंधन करता था।

डॉ. नरगुला सदानंदम (41): गांधी अस्पताल का एनेस्थेटिस्ट, जो क्लिनिक में सहयोग करता था।

सी. कल्याणी अच्चय्याम्मा (40) और जी. चेन्ना राव (37): क्लिनिक के कर्मचारी।

धनश्री संतोषी (38): एजेंट, जो गरीब परिवारों से बच्चों की खरीद-फरोख्त में शामिल थी।

पंकज सोनी: इंडियन स्पर्म टेक नामक बिना लाइसेंस वाली फर्म का क्षेत्रीय प्रबंधक।

अन्य सहयोगी, जो प्रजनन सामग्री की तस्करी में शामिल थे।

डॉ. नम्रता का आपराधिक इतिहास

जांच में पता चला कि डॉ. नम्रता का आपराधिक इतिहास पुराना है। 2016 में, एक एनआरआई दंपति ने उन पर इसी तरह का आरोप लगाया था, जिसके बाद तेलंगाना मेडिकल काउंसिल ने उनका लाइसेंस पांच साल के लिए निलंबित कर दिया था। 2020 में, विशाखापत्तनम पुलिस ने उन्हें नवजात तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके बावजूद, 2021 से उनका क्लिनिक बिना वैध लाइसेंस के संचालित हो रहा था। हैदराबाद, विशाखापत्तनम और गुंटूर में उनके खिलाफ 10 से अधिक मामले दर्ज हैं।

अंतरराज्यीय नेटवर्क का खुलासा

पुलिस को शक है कि यह रैकेट गुजरात, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों तक फैला हुआ था। क्लिनिक इंडियन स्पर्म टेक नामक एक बिना लाइसेंस वाली फर्म के साथ मिलकर स्पर्म और अंडाणुओं की अवैध तस्करी कर रहा था। गरीब महिलाओं और दिहाड़ी मजदूरों को लालच देकर सरोगेट मां बनाया जाता था, और कई मामलों में भिखारियों से भी स्पर्म लिए जाने की बात सामने आई है। पुलिस अब इस नेटवर्क में शामिल अन्य फर्टिलिटी सेंटर्स और एजेंटों की तलाश में है। 

पुलिस की कार्रवाई और भविष्य की जांच

डीसीपी रश्मि पेरुमल ने बताया कि पुलिस 50 से अधिक सुरागों की जांच कर रही है और अन्य पीड़ित दंपतियों की पहचान करने की कोशिश में है। स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा परिषद से भी इस मामले में रिपोर्ट मांगी गई है। पुलिस ने क्लिनिक को सील कर दिया है और फोरेंसिक जांच के जरिए जब्त सामग्री की गहन पड़ताल शुरू कर दी है।

सामाजिक प्रभाव और सवाल

यह मामला न केवल फर्टिलिटी क्लिनिक्स की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि सरोगेसी और आईवीएफ जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सख्त नियमों की जरूरत को भी रेखांकित करता है। नि:संतान दंपतियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ और गरीब परिवारों का शोषण इस रैकेट की क्रूरता को दर्शाता है। पुलिस का कहना है कि जांच अभी जारी है, और इस रैकेट के और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। इस बीच, पीड़ित दंपति और समाज इस बात से स्तब्ध है कि फर्टिलिटी के नाम पर ऐसा घिनौना धंधा इतने लंबे समय तक चलता रहा।