पति का आरोप- पत्नी को पढ़ाया, शिक्षक बनते ही छोड़ा; पत्नी बोली- बाल विवाह था, याद तक नहीं
पंकज ने यह भी कहा कि अनूप ने सालों तक उनकी कोई सुध नहीं ली, लेकिन जैसे ही उन्हें सरकारी शिक्षक की नौकरी मिली, वह उनके पीछे पड़ गए। पंकज का दावा है कि बाल विवाह के समय उनकी उम्र इतनी कम थी कि उन्हें उस घटना की समझ तक नहीं थी, और अब वह उससे जुड़ी कोई बात याद भी नहीं करना चाहतीं।

भरतपुर जिले के भुसावर क्षेत्र से एक हृदयविदारक पारिवारिक विवाद का मामला सामने आया है, जो न केवल व्यक्तिगत रिश्तों की जटिलता को उजागर करता है, बल्कि सामाजिक और कानूनी मुद्दों पर भी सवाल उठाता है। सलेमपुर खुर्द के रहने वाले अनूप कुमार ने अपनी पत्नी पंकज कुमारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि उन्होंने मजदूरी कर अपनी पत्नी को पढ़ाया-लिखाया और शिक्षक बनवाया, लेकिन नौकरी लगते ही पत्नी ने उन्हें छोड़ दिया और सरकारी दस्तावेजों में खुद को अविवाहित बताया। दूसरी ओर, पंकज कुमारी का कहना है कि उनकी शादी बाल विवाह थी, जिसकी उन्हें कोई स्मृति नहीं, और अनूप ने फर्जी विवाह प्रमाण पत्र बनवाया। यह मामला अब जिला कलेक्टर और अपर जिला न्यायाधीश तक पहुंच चुका है।
मजदूरी से कोचिंग तक: अनूप का दावा
अनूप कुमार, जो पेशे से मजदूर हैं, ने जिला कलेक्टर को दिए अपने परिवाद में बताया कि 14 नवंबर 2021 को उनकी शादी नगला हवेली की पंकज कुमारी के साथ सादगीपूर्ण तरीके से, बिना दहेज के हुई थी। अनूप के अनुसार, शादी के बाद उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, फिर भी उन्होंने अपनी पत्नी की पढ़ाई के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने बताया कि उन्होंने भरतपुर के सूरजपोल दरवाजे के पास किराए का कमरा लिया और पंकज को कोचिंग दिलवाई। अनूप का कहना है कि उन्होंने पंकज को बीएसटीसी (बेसिक स्कूल टीचिंग सर्टिफिकेट) करवाया और शिक्षक भर्ती की तैयारी में भी पूरा सहयोग किया।
उनके प्रयासों का फल तब मिला जब साल 2023 में पंकज रूपवास तहसील के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक बन गईं। लेकिन अनूप का कहना है कि शिक्षक बनते ही पंकज का व्यवहार बदल गया। उन्होंने आरोप लगाया कि 2 मई 2025 को पंकज ने उनके साथ रहने और परिवार की आर्थिक मदद करने से साफ इंकार कर दिया। अनूप के अनुसार, पंकज ने शादी से पहले वादा किया था कि नौकरी लगने पर वह परिवार की आर्थिक मदद करेंगी और अनूप की पढ़ाई का भी खर्च उठाएंगी। लेकिन अब वह न केवल रिश्ता तोड़ रही हैं, बल्कि रीट 2023 (लेवल-1) भर्ती के दस्तावेज सत्यापन में खुद को अविवाहित बताकर कानूनी उल्लंघन भी कर रही हैं।
अनूप ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की गहन जांच की जाए और पंकज के खिलाफ उचित कार्रवाई हो। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी जिंदगी की सारी मेहनत पत्नी के भविष्य पर लगाई, लेकिन बदले में उन्हें विश्वासघात मिला।
बाल विवाह का दावा: पंकज की कहानी
दूसरी ओर, पंकज कुमारी ने इस पूरे मामले को एक अलग नजरिए से पेश किया है। उनका कहना है कि उनकी शादी अनूप के साथ तब हुई थी, जब वह नाबालिग थीं। पंकज के अनुसार, यह एक बाल विवाह था, जिसके बारे में उन्हें कोई स्पष्ट स्मृति नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि अनूप ने उनके दस्तावेज चुराकर फर्जी विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र बनवाया। पंकज का कहना है कि बालिग होने के बाद उन्होंने अनूप के साथ कोई शादी नहीं की और न ही कोई वैवाहिक रिश्ता कायम रखा।
पंकज ने यह भी कहा कि अनूप ने सालों तक उनकी कोई सुध नहीं ली, लेकिन जैसे ही उन्हें सरकारी शिक्षक की नौकरी मिली, वह उनके पीछे पड़ गए। पंकज का दावा है कि बाल विवाह के समय उनकी उम्र इतनी कम थी कि उन्हें उस घटना की समझ तक नहीं थी, और अब वह उससे जुड़ी कोई बात याद भी नहीं करना चाहतीं।
कानूनी जंग और सामाजिक सवाल
यह मामला अब जिला कलेक्टर और अपर जिला न्यायाधीश के पास पहुंच चुका है। अनूप ने पंकज के दस्तावेज सत्यापन में गलत जानकारी देने के आरोप की जांच की मांग की है, जबकि पंकज ने बाल विवाह और फर्जी दस्तावेजों का मुद्दा उठाया है। यह विवाद न केवल एक पारिवारिक मसला है, बल्कि बाल विवाह, दस्तावेजों की वैधता और सामाजिक जिम्मेदारियों जैसे गंभीर मुद्दों को भी सामने लाता है।