नवजात को गोद में उठाए माता-पिता की जद्दोजहद, सड़कें-घर-घाट सब पानी में डूबे
7 जिलों में गंगा-यमुना की बाढ़ ने तबाही मचाई, घाट, सड़कें और मकान डूबे, लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। प्रशासन राहत कार्यों में जुटा, लेकिन स्थिति गंभीर बनी हुई है।

संगम नगरी प्रयागराज इस समय अभूतपूर्व बाढ़ संकट से जूझ रही है। गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है, जिससे शहर के घाट, सड़कें और रिहायशी इलाके जलमग्न हो गए हैं। किला घाट से लेकर झूंसी तक का इलाका पानी में डूब चुका है, और अब यह पहचानना मुश्किल हो गया है कि कहां गंगा बह रही है और कहां यमुना। इस प्रलयकारी बाढ़ ने न केवल प्रयागराज, बल्कि उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है।
बाढ़ का भयावह मंजर: नवजात को बचाने की जद्दोजहद
प्रयागराज के बघाड़ा इलाके से एक दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई है, जिसमें माता-पिता अपने नवजात बच्चे को हाथों में उठाकर कमर तक भरे पानी से गुजरते नजर आए। यह दृश्य बाढ़ की भयावहता को दर्शाता है, जहां लोग अपनी जान और अपनों को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। बेला कछार, राजापुर, तेलियरगंज, सोनौटी और बघाड़ा जैसे निचले इलाके गंगा के रौद्र रूप की चपेट में हैं। रसूलाबाद घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुका है, और वहां बने मंदिर भी पानी में डूब गए हैं। संगम के पास स्थित प्रसिद्ध लेटे हनुमान मंदिर की दीवारों तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है, जो इस संकट की गंभीरता को दर्शाता है।
17 जिलों में बाढ़ का कहर, यमुना और सहायक नदियां उफान पर
उत्तर प्रदेश के 17 जिले इस समय बाढ़ की मार झेल रहे हैं। प्रयागराज, वाराणसी, मिर्जापुर, बलिया, गाजीपुर, आगरा, इटावा, औरैया, हमीरपुर, कानपुर देहात, फतेहपुर, बांदा, चित्रकूट, बस्ती, अयोध्या, संत कबीर नगर और उन्नाव में बाढ़ ने तबाही मचाई है। यमुना की सहायक नदियां जैसे केन और बेतवा भी उफान पर हैं, जिससे बांदा और हमीरपुर जैसे जिलों में स्थिति और गंभीर हो गई है। फतेहपुर में यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, और जिले की तीनों तहसीलों में सड़कें और गांव पानी में डूब चुके हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, मॉनसून की भारी बारिश और पहाड़ों से आ रहे अतिरिक्त पानी ने गंगा और यमुना के जलस्तर को खतरनाक स्तर तक पहुंचा दिया है। मध्य प्रदेश और राजस्थान से यमुना में आने वाला पानी और उत्तराखंड से गंगा में छोड़ा गया पानी इस संकट को और बढ़ा रहा है। गाजीपुर में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 1 मीटर ऊपर दर्ज किया गया है, जबकि मिर्जापुर में यह 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है।
जनजीवन पर असर: स्कूल बंद, सड़कें ठप, बिजली आपूर्ति बाधित
बाढ़ ने प्रयागराज और आसपास के इलाकों में जनजीवन को पूरी तरह ठप कर दिया है। गारापुर-झूंसी मार्ग का 2 किलोमीटर लंबा हिस्सा डूब चुका है, जिससे बदरा, सोनौटी, ढोलबजवा और पुरवा जैसे गांवों का शहर से संपर्क टूट गया है। लोग नावों के सहारे साइकिल, बाइक और जरूरी सामान ला रहे हैं। स्कूल बंद हैं, बच्चे पढ़ाई से वंचित हैं, और बिजली आपूर्ति बाधित होने से राशन, दूध और दवाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं का संकट गहरा गया है।
दारागंज के श्मशान घाट पर भी पानी पहुंच चुका है, जिससे अंतिम संस्कार जैसे धार्मिक कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। लोग अस्थायी व्यवस्थाओं के सहारे इन रीति-रिवाजों को निभाने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रशासन का राहत कार्य: कितना कारगर?
प्रशासन ने बाढ़ से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। जिले में 88 बाढ़ चौकियां अलर्ट मोड पर हैं, और सिंचाई विभाग के कंट्रोल रूम से गंगा-यमुना के जलस्तर की 24 घंटे निगरानी की जा रही है। जल पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें संगम क्षेत्र में तैनात हैं, और 30 नावें राहत कार्यों के लिए लगाई गई हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए हैं। 11 मंत्रियों की एक टीम गठित की गई है, जिसमें मंत्री नंदगोपाल गुप्ता को प्रयागराज और मिर्जापुर की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि राहत कार्यों की गति और प्रभावशीलता अभी भी अपेक्षाओं से कम है। कई इलाकों में जरूरी सामान की कमी और बिजली की अनुपस्थिति ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कुछ लोग 1978 की भयावह बाढ़ की याद ताजा कर रहे हैं, जब जलस्तर 88 मीटर तक पहुंच गया था।
मौसम विभाग की चेतावनी: अभी और बिगड़ सकते हैं हालात
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले कुछ दिनों तक उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि गंगा और यमुना के निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो सकती है। हालांकि, यमुना की सहायक नदियों केन और बेतवा में जलस्तर का दबाव धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन गंगा के अपस्ट्रीम क्षेत्रों में स्थिति अभी भी चिंताजनक है।
लोगों की आपबीती: उम्मीद के सहारे जिंदगी
बघाड़ा के रहने वाले रामलाल, जिनका घर बाढ़ में डूब चुका है, बताते हैं, “हमारा सब कुछ पानी में बह गया। बच्चों को लेकर सुरक्षित जगह पर जाना पड़ा। सरकार से मदद की उम्मीद है, लेकिन अभी तो सिर्फ नाव ही हमारा सहारा है।” वहीं, रसूलाबाद घाट के पास रहने वाली राधा देवी कहती हैं, “हर साल बाढ़ आती है, लेकिन इस बार का कहर कुछ ज्यादा ही है। मंदिर तक पानी पहुंच गया, अब पूजा-पाठ भी मुश्किल हो गया है।”