ट्रम्प की टैरिफ नीति: भारत के आईफोन निर्यात पर कोई असर नहीं, मौका या चुनौती?
ट्रम्प की नई टैरिफ नीति से भारत के आईफोन निर्यात पर कोई असर नहीं, स्मार्टफोनों को 25% टैरिफ से छूट। भारत ने चीन को पछाड़कर अमेरिका को सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्यातक बना, उत्पादन और निर्यात में 50% से अधिक की वृद्धि।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नई टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार में हलचल मचा दी है, लेकिन भारत के लिए राहत की खबर है। 1 अगस्त 2025 से लागू होने वाले 25% टैरिफ से स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स को छूट दी गई है। यह भारत के लिए एक सुनहरा अवसर हो सकता है, खासकर तब जब भारत हाल ही में चीन को पछाड़कर अमेरिका का सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्यातक बन गया है। लेकिन ट्रम्प की नीति और उनकी 'अमेरिका फर्स्ट' सोच भारत के लिए भविष्य में क्या मायने रखती है? आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं।
भारत का स्मार्टफोन निर्यात: नया रिकॉर्ड
भारत ने हाल ही में स्मार्टफोन निर्यात के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। मार्केट रिसर्च फर्म कैनालिस की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की पहली छमाही (जनवरी-जून) में भारत ने 23.9 मिलियन (2.39 करोड़) आईफोन का उत्पादन किया, जो पिछले साल की तुलना में 53% अधिक है। साइबरमीडिया रिसर्च के मुताबिक, भारत से आईफोन निर्यात 22.88 मिलियन (2.28 करोड़) यूनिट तक पहुंच गया, जो पिछले साल के 15.05 मिलियन (1.5 करोड़) की तुलना में 52% की वृद्धि दर्शाता है।
इसके साथ ही, 2025 की पहली छमाही में भारत से करीब 1.94 लाख करोड़ रुपये के आईफोन निर्यात किए गए, जो पिछले साल के 1.26 लाख करोड़ रुपये से काफी अधिक है। अमेरिका में बिकने वाले 78% आईफोन अब भारत में बन रहे हैं, और अप्रैल-जून 2025 में अमेरिका को आयातित स्मार्टफोनों में भारत की हिस्सेदारी 44% रही, जबकि वियतनाम की 30% और चीन की हिस्सेदारी इससे कम रही। यह भारत की मेक इन इंडिया और प्रोडक्शन लिंक्ड इनिशिएटिव (PLI) नीतियों की सफलता का सबूत है।
ट्रम्प की टैरिफ नीति: स्मार्टफोनों को क्यों छूट?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 1 अगस्त 2025 से भारत से आयात होने वाले सामानों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। हालांकि, स्मार्टफोन, कंप्यूटर और सेमीकंडक्टर जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को इस टैरिफ से छूट दी गई है। अमेरिकी वाणिज्य विभाग (US Commerce Department) इन सेक्टर्स की जांच कर रहा है, और जब तक यह रिपोर्ट पूरी नहीं होती, स्मार्टफोनों पर टैरिफ से राहत जारी रहेगी।
ट्रम्प ने पहले मई 2025 में एपल के सीईओ टिम कुक को साफ शब्दों में कहा था कि अमेरिका में बिकने वाले आईफोन का उत्पादन अमेरिका में ही होना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ' पर लिखा, "मैंने टिम कुक को चेतावनी दी थी कि अगर एपल अमेरिका में आईफोन नहीं बनाएगा, तो कम से कम 25% टैरिफ देना होगा।" ट्रम्प की यह 'अमेरिका फर्स्ट' नीति भारत जैसे देशों को चुनौती दे सकती है, लेकिन स्मार्टफोन पर छूट ने फिलहाल भारत के लिए राहत की सांस दी है।
एपल की भारत में रणनीति: मेक इन इंडिया का फायदा
एपल ने भारत को अपने वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में तेजी से अपनाया है। कंपनी की 'चीन-प्लस-वन' रणनीति के तहत भारत एक कम जोखिम वाला और लागत प्रभावी विकल्प बन गया है। भारत की मेक इन इंडिया और PLI स्कीम्स ने फॉक्सकॉन, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पेगाट्रॉन जैसे एपल के पार्टनर्स को भारत में निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है।
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सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन: जियोपॉलिटिकल तनाव और कोविड-19 लॉकडाउन जैसी समस्याओं के बाद एपल ने चीन पर अपनी निर्भरता कम करने का फैसला किया। भारत में उत्पादन बढ़ाकर कंपनी ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है।
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सरकारी प्रोत्साहन: PLI स्कीम के तहत कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन मिल रहा है, जिससे भारत में मैन्युफैक्चरिंग लागत कम हुई है। फॉक्सकॉन ने तेलंगाना में एयरपॉड्स का उत्पादन शुरू किया है, और कर्नाटक में 2.7 बिलियन डॉलर (₹23,139 करोड़) का प्लांट स्थापित करने की योजना है।
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बढ़ता बाजार: भारत का स्मार्टफोन मार्केट तेजी से बढ़ रहा है, और एपल की बाजार हिस्सेदारी 6-7% तक पहुंच गई है। लोकल प्रोडक्शन से कंपनी को स्थानीय मांग को पूरा करने में मदद मिल रही है।
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निर्यात का अवसर: भारत में बने 70% आईफोन एपल निर्यात करता है। 2024 में भारत से आईफोन निर्यात 12.8 बिलियन डॉलर (₹1,09,655 करोड़) तक पहुंच गया, और 2025 में यह और बढ़ने की उम्मीद है।
ट्रम्प की नीति: अवसर या चुनौती?
ट्रम्प की टैरिफ नीति ने भारत के अन्य निर्यात क्षेत्रों, जैसे ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल और रत्न-आभूषण, पर असर डाला है, लेकिन स्मार्टफोन सेक्टर की छूट भारत के लिए एक बड़ा अवसर है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इस मौके का फायदा उठाकर वैश्विक स्मार्टफोन मार्केट में अपनी स्थिति और मजबूत कर सकता है।
हालांकि, ट्रम्प की 'अमेरिका में बनाओ' नीति भविष्य में चुनौतियां पेश कर सकती है। अगर अमेरिका स्मार्टफोनों पर भी टैरिफ लगाता है, तो एपल को अपनी ग्लोबल सप्लाई चेन में बदलाव करना पड़ सकता है। साइबरमीडिया रिसर्च के उपाध्यक्ष प्रभु राम के अनुसार, टैरिफ लागू होने पर भारत से आईफोन निर्यात की लागत बढ़ सकती है, जिससे अमेरिकी बाजार में मांग प्रभावित हो सकती है।
भारत की स्थिति: मजबूत लेकिन सतर्क रहने की जरूरत
भारत सरकार और उद्योग जगत इस स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं। वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते पर जोर दिया है, जिसका लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक ले जाना है। इस समझौते से टैरिफ की चुनौतियों को कम करने में मदद मिल सकती है।
इसके अलावा, भारत वैकल्पिक बाजारों जैसे यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका पर ध्यान दे रहा है, ताकि निर्यात विविधीकरण (Export Diversification) को बढ़ावा मिले। यह दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता के लिए फायदेमंद हो सकता है।