जोधपुर में रेलवे इंजीनियर को रिश्वतखोरी में 3 साल की सजा, 50 हजार का जुर्माना....
जोधपुर की सीबीआई विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा प्रहार करते हुए उत्तर पश्चिम रेलवे, सूरतगढ़ के वरिष्ठ अनुभाग अभियंता राम हरि मीणा को रिश्वतखोरी के मामले में तीन साल की जेल और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। 8 सितंबर 2019 को सीबीआई ने मीणा को सूरतगढ़-अनूपगढ़ रेलवे सेक्शन में पाइपलाइन बिछाने की अनुमति के लिए 25,000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों धर दबोचा था। जांच के बाद 16 दिसंबर 2019 को आरोप पत्र दाखिल हुआ, और 31 जुलाई 2025 को अदालत ने मीणा को दोषी करार दिया। यह फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रतीक है।

जोधपुर की केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने एक हाई-प्रोफाइल रिश्वतखोरी मामले में उत्तर पश्चिम रेलवे, सूरतगढ़ के वरिष्ठ अनुभाग अभियंता राम हरि मीणा को तीन साल के साधारण कारावास और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई की कठोर कार्रवाई का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो सरकारी अधिकारियों के लिए एक चेतावनी के रूप में सामने आया है।
मामले का विवरण
यह घटना 8 सितंबर 2019 को शुरू हुई, जब सीबीआई को एक शिकायत प्राप्त हुई कि राम हरि मीणा, जो उस समय सूरतगढ़ में उत्तर पश्चिम रेलवे के वरिष्ठ अनुभाग अभियंता के रूप में कार्यरत थे, ने एक व्यक्ति से रिश्वत की मांग की थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि मीणा ने सूरतगढ़-अनूपगढ़ रेलवे सेक्शन में रेलवे ट्रैक के नीचे पाइपलाइन बिछाने की अनुमति देने के लिए 25,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी। यह पाइपलाइन स्थानीय स्तर पर किसी परियोजना के लिए आवश्यक थी, और अनुमति के बिना काम आगे नहीं बढ़ सकता था।शिकायत के आधार पर, सीबीआई ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। उन्होंने एक जाल (ट्रैप) तैयार किया, जिसमें शिकायतकर्ता को रिश्वत की राशि देने के लिए कहा गया, ताकि मीणा को रंगे हाथों पकड़ा जा सके। 8 सितंबर 2019 को, सीबीआई की टीम ने सूरतगढ़ में एक सुनियोजित ऑपरेशन चलाया और राम हरि मीणा को 25,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए मौके पर गिरफ्तार कर लिया। इस ऑपरेशन में सीबीआई ने रिश्वत की राशि को जब्त कर लिया और मीणा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।
जांच और कानूनी प्रक्रिया
गिरफ्तारी के बाद, सीबीआई ने मामले की गहन जांच शुरू की। जांच के दौरान, अधिकारियों ने शिकायतकर्ता के बयान, रिश्वत की राशि, और अन्य संबंधित सबूतों को एकत्र किया। जांच में यह पाया गया कि मीणा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए शिकायतकर्ता पर अनुचित दबाव डाला और रिश्वत की मांग की थी। सभी सबूतों को व्यवस्थित करने के बाद, सीबीआई ने 16 दिसंबर 2019 को जोधपुर की विशेष सीबीआई अदालत में राम हरि मीणा के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।आरोप पत्र में मीणा पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध का आरोप लगाया गया। इसके बाद, मामले की सुनवाई जोधपुर की विशेष अदालत में शुरू हुई। ट्रायल के दौरान, सीबीआई ने शिकायतकर्ता के बयान, रंगे हाथों गिरफ्तारी के सबूत, और अन्य गवाहों के बयानों को प्रस्तुत किया। बचाव पक्ष ने भी अपनी दलीलें पेश कीं, लेकिन सबूतों और गवाहों की गवाही के आधार पर अदालत ने 31 जुलाई 2025 को राम हरि मीणा को रिश्वतखोरी का दोषी करार दिया।
सजा का ऐलान
2 अगस्त 2025 को, जोधपुर की विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश ने राम हरि मीणा को सजा सुनाई। अदालत ने उन्हें तीन साल के साधारण कारावास और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा दी। जुर्माना न चुकाने की स्थिति में अतिरिक्त सजा का प्रावधान भी शामिल किया गया। यह सजा भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश देती है और यह दर्शाती है कि सरकारी अधिकारियों को अपने पद का दुरुपयोग करने की कीमत चुकानी पड़ सकती है।
राम हरि मीणा को मिली सजा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मामला न केवल रेलवे विभाग, बल्कि सभी सरकारी क्षेत्रों में कार्यरत अधिकारियों के लिए एक सबक है कि रिश्वतखोरी जैसे अपराध गंभीर परिणाम भुगत सकते हैं। जोधपुर की सीबीआई अदालत का यह फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य सहनशीलता की नीति को और मजबूत करता है।