गांवों में बाढ़ का कहर: पीने के पानी और खाने की किल्लत, प्रशासन की मदद का इंतजार
जालोर, राजस्थान में भारी बारिश से सुजानपुरा और पावटा जैसे गांवों में बाढ़ ने पीने के पानी और खाद्य सामग्री की भारी किल्लत पैदा कर दी है, सड़कें बंद हैं और घर जलमग्न हैं, लेकिन प्रशासन से कोई राहत नहीं मिली। ग्रामीणों ने तत्काल सहायता और पुरानी रपट की समस्या के स्थायी समाधान की मांग की है।

लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने राजस्थान के जालोर जिले में तबाही मचा दी है। लूनी नदी का उफान ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गया है, जिसने सुराचंद ग्राम पंचायत के सुजानपुरा और टांपी ग्राम पंचायत के पावटा गांव को चारों ओर से पानी में डुबो दिया है। गांवों में पीने के पानी और खाद्य सामग्री की भारी कमी हो गई है, और जनजीवन पूरी तरह ठप हो चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक कोई राहत नहीं पहुंची है, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
गांवों का संपर्क टूटा, सड़कें जलमग्न
लूनी नदी के उफान के कारण सुजानपुरा गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क, खासरवी-सुजानपुरा मार्ग, पर 3 से 4 फीट पानी बह रहा है। इस वजह से वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद हो गई है। ग्रामीणों को अगर कोई जरूरी काम हो तो उन्हें पानी में उतरकर या तैरकर गांव से बाहर निकलना पड़ रहा है। पंचायत मुख्यालय से जुड़ने वाला ग्रेवल रास्ता भी पानी के भारी भराव के कारण बंद हो चुका है।
इसी तरह, पावटा गांव की स्थिति भी दयनीय बनी हुई है। गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क पर लूनी नदी का पानी बह रहा है, और आम रास्ते व खेत पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। कई घरों में पानी घुसने की खबरें भी सामने आ रही हैं, जिससे ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया है।
पीने का पानी और खाना तक नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पीने के पानी और खाद्य सामग्री की भारी किल्लत हो गई है। एक ग्रामीण ने दुखी मन से कहा, "न खाने को कुछ है, न पीने को साफ पानी। बच्चे और बुजुर्ग भूखे-प्यासे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं पहुंची।" ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल राहत सामग्री, पीने का पानी, और मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाने की मांग की है। साथ ही, पानी निकासी और आवागमन के लिए वैकल्पिक रास्तों की व्यवस्था की गुहार लगाई है।
पुरानी रपट, पुरानी परेशानी
खासरवी से सुजानपुरा को जोड़ने वाली सड़क पर बनी पुरानी रपट हर साल बारिश के मौसम में ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन जाती है। यह रपट बारिश में डूब जाती है, जिससे आवागमन ठप हो जाता है। ग्रामीण मदनलाल मोदी ने बताया कि इस समस्या को लेकर तत्कालीन मंत्री से शिकायत की गई थी, जिन्होंने रपट की जगह पुलिया बनाने का वादा किया था। लेकिन वह वादा हवा-हवाई साबित हुआ। वर्तमान विधायक जीवाराम चौधरी ने भी चुनाव के दौरान पुलिया निर्माण का आश्वासन दिया था, मगर दो साल बीत जाने के बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई।
प्रशासन का दावा, ग्रामीणों की शिकायत
चितलवाना के उपखंड अधिकारी देसलाराम परिहार ने बताया कि लूनी नदी के उफान से प्रभावित गांवों में राहत कार्य शुरू किए गए हैं। मेडिकल और अन्य सुविधाओं के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक कोई ठोस मदद नहीं पहुंची है।
ग्रामीणों की पुकार: समय रहते मदद पहुंचे
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते राहत नहीं पहुंची तो हालात और भयावह हो सकते हैं। बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है। ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन तुरंत कदम उठाए, ताकि उनकी मुश्किलें कम हो सकें।