करंट की चपेट में आए दो युवक, 19 वर्षीय हंसराज की दर्दनाक मौत....
जोधपुर के 19 वर्षीय हंसराज लखारा की करंट लगने से दर्दनाक मौत और 32 वर्षीय राकेश की जिंदगी खतरे में पड़ गई। अग्रवाल एग्रो इंडस्ट्री में सोलर के काम के दौरान लोहे की सीढ़ी बिजली के तार से टकराने से यह हादसा हुआ। फैक्ट्री मालिक की लापरवाही पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि वह मौके पर नहीं आया। परिजन एम्स अस्पताल के बाहर धरने पर हैं, न्याय और मुआवजे की मांग कर रहे हैं। हंसराज के परिवार का इकलौता सहारा छिन गया, और राकेश जिंदगी-मौत से जूझ रहा है। यह हादसा कार्यस्थल पर सुरक्षा की कमी को उजागर करता है।

जोधपुर में एक दिल दहला देने वाला हादसा सामने आया है, जिसमें 19 वर्षीय हंसराज लखारा की करंट लगने से मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसका पड़ोसी और दोस्त राकेश (32) गंभीर रूप से झुलस गया। यह दुखद घटना अग्रवाल एग्रो इंडस्ट्री में उस समय हुई, जब दोनों युवक सोलर पैनल के काम के लिए फैक्ट्री में गए थे। इस हादसे ने न केवल दो परिवारों पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया, बल्कि फैक्ट्री मालिक की लापरवाही पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हादसे का दर्दनाक विवरण
जानकारी के अनुसार, हंसराज लखारा, जो सोलर पैनल का काम करता था, अपने पड़ोसी राकेश, पुत्र बाबू सिंह, के साथ अग्रवाल एग्रो इंडस्ट्री में काम करने गया था। दोनों को फैक्ट्री मालिक के निर्देश पर 25 से 30 फीट ऊंचाई पर सोलर पैनल संबंधित कार्य के लिए लोहे की सीढ़ी ले जाने को कहा गया। काम के दौरान अचानक लोहे की सीढ़ी बिजली के तार से टकरा गई, जिसके चलते दोनों युवक करंट की चपेट में आ गए। 19 वर्षीय हंसराज की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 32 वर्षीय राकेश गंभीर रूप से झुलस गया। उसे तुरंत जोधपुर के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वह जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, राकेश की हालत अत्यंत नाजुक बनी हुई है।
परिवार का गुस्सा और दर्द
हादसे की खबर सुनते ही दोनों युवकों के परिवारों में कोहराम मच गया। हंसराज के परिजनों का कहना है कि वह परिवार का छोटा बेटा था और घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण कम उम्र में ही काम पर जाने को मजबूर था। इस हादसे ने उनके परिवार को गहरे सदमे में डुबो दिया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। राकेश के परिवार की स्थिति भी कम दुखद नहीं है, क्योंकि वह अपने घर का इकलौता कमाने वाला सदस्य था। परिजनों का गुस्सा फैक्ट्री मालिक पर फूटा है, जो हादसे के समय मौके पर मौजूद नहीं था। उनका आरोप है कि मालिक ने बिना किसी सुरक्षा उपायों के दोनों युवकों को खतरनाक काम करने के लिए कहा। हादसे के बाद भी मालिक ने परिवारों से संपर्क नहीं किया, जिससे परिजनों का आक्रोश और बढ़ गया।
AIIMS अस्पताल में धरना, न्याय की मांग
हादसे के बाद से हंसराज और राकेश के परिजन जोधपुर के एम्स अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, न तो वे हंसराज का अंतिम संस्कार करेंगे और न ही धरना समाप्त करेंगे। परिजनों की मांग है कि फैक्ट्री मालिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए। परिजनों का कहना है कि हंसराज और राकेश की जिंदगी एक लापरवाही की भेंट चढ़ गई। हंसराज की मृत्यु ने परिवार की आर्थिक स्थिति को और कमजोर कर दिया, जबकि राकेश की जिंदगी अब भी खतरे में है। इस घटना ने न केवल परिवारों को तोड़ दिया, बल्कि कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों की कमी को भी उजागर किया है।
सुरक्षा मानकों पर सवाल
यह हादसा कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी का एक और उदाहरण है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतने खतरनाक काम के लिए कोई सुरक्षा उपकरण क्यों नहीं दिए गए? लोहे की सीढ़ी को बिजली के तारों के पास ले जाने की अनुमति कैसे दी गई? और सबसे बड़ा सवाल, फैक्ट्री मालिक ने इस हादसे के बाद चुप्पी क्यों साध रखी है?
समाज में शोक और आक्रोश
इस घटना ने स्थानीय समुदाय में शोक और आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। लोग इस बात से नाराज हैं कि एक मासूम जिंदगी खत्म हो गई और दूसरी जिंदगी खतरे में है, केवल इसलिए क्योंकि कार्यस्थल पर बुनियादी सुरक्षा नियमों का पालन नहीं किया गया। परिजनों के धरने को स्थानीय लोगों का भी समर्थन मिल रहा है, जो इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
जोधपुर का यह हादसा न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि कार्यस्थल पर सुरक्षा को कितनी गंभीरता से लेने की जरूरत है। हंसराज की मौत और राकेश की नाजुक हालत ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक लापरवाही की कीमत मासूम जिंदगियों को चुकानी पड़ेगी? परिजनों की न्याय की पुकार और उनके दर्द को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब यह प्रशासन और फैक्ट्री मालिक की जिम्मेदारी है कि वे इस मामले में तुरंत कदम उठाएं और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाएं।