भारत के नए उपराष्ट्रपति बने CP राधाकृष्णन,452 वोटों के साथ हासिल की जीत.
सीपी राधाकृष्णन ने 9 सितंबर 2025 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में 452 वोटों के साथ शानदार जीत हासिल कर भारत के नए उपराष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त किया। एनडीए उम्मीदवार राधाकृष्णन ने विपक्षी इंडिया गठबंधन के बी सुदर्शन रेड्डी (300 वोट) को हराया। 14 सांसदों की क्रॉस वोटिंग और 15 अमान्य वोटों ने एनडीए की जीत को और मजबूत किया। यह चुनाव पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफे के बाद हुआ। राधाकृष्णन की जीत एनडीए की रणनीतिक सफलता और दक्षिण भारत में भाजपा की बढ़ती ताकत का प्रतीक है।

9 सितंबर 2025 को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के लिए हुए चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने शानदार जीत हासिल की। उन्होंने विपक्षी इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के बड़े अंतर से हराया। राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए। इस चुनाव में क्रॉस वोटिंग ने एनडीए की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि विपक्ष के 14 सांसदों ने एनडीए के पक्ष में मतदान किया।
चुनाव की पृष्ठभूमि
यह उपराष्ट्रपति चुनाव असामान्य परिस्थितियों में आयोजित हुआ। मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जुलाई 2025 में स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद यह चुनाव समय से पहले कराया गया। यह 1987 के बाद पहला समयपूर्व उपराष्ट्रपति चुनाव था। चुनाव आयोग ने 1 अगस्त 2025 को मतदान और मतगणना का कार्यक्रम घोषित किया था। मतदान संसद परिसर के वसुंधरा भवन में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चला, और परिणाम देर शाम घोषित किए गए।
मतदान और परिणाम
उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के कुल 786 सांसदों में से 780 मतदाता पात्र थे, क्योंकि 6 सीटें रिक्त थीं। कुल 767 सांसदों ने मतदान किया, जिनमें से 15 वोट (लगभग 2%) अमान्य घोषित हुए। वैध 752 वोटों में से:
सीपी राधाकृष्णन (एनडीए): 452 वोट (60%)
बी सुदर्शन रेड्डी (इंडिया गठबंधन): 300 वोट (40%)
जीत के लिए 394 वोटों की आवश्यकता थी, जिसे राधाकृष्णन ने आसानी से हासिल कर लिया। एनडीए के पास शुरू में 427 सांसदों का समर्थन था, जिसमें वाईएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों का समर्थन शामिल था, जो कुल 438 वोट बनता था। इसके अतिरिक्त, विपक्ष के 14 सांसदों की क्रॉस वोटिंग ने राधाकृष्णन की जीत को और मजबूत किया।
क्रॉस वोटिंग का प्रभाव
चुनाव में क्रॉस वोटिंग सबसे चर्चित मुद्दा रहा। विपक्षी गठबंधन ने दावा किया था कि उनके पास 315 सांसदों का समर्थन है, लेकिन परिणामों से साफ हुआ कि उनके 14-15 वोट एनडीए के पक्ष में चले गए। बीजू जनता दल (बीजेडी), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) और कुछ निर्दलीय सांसदों ने मतदान से दूरी बनाए रखी, जिससे विपक्ष की स्थिति और कमजोर हुई। क्रॉस वोटिंग ने विपक्षी गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठाए और एनडीए की रणनीति की सफलता को उजागर किया।
विपक्ष की रणनीति और चुनौतियां
विपक्षी इंडिया गठबंधन ने इस चुनाव को वैचारिक लड़ाई के रूप में पेश किया। सुदर्शन रेड्डी ने सांसदों से “अंतरात्मा की आवाज” पर वोट देने की अपील की थी, जो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की प्रसिद्ध अपील से प्रेरित थी। हालांकि, उनकी रणनीति विपक्षी एकजुटता को बनाए रखने में असफल रही। बीजेडी, बीआरएस और एसएडी जैसे दलों के मतदान से दूरी बनाने और क्रॉस वोटिंग ने विपक्ष को बड़ा झटका दिया।
एनडीए की रणनीति
एनडीए ने न केवल अपने सांसदों को एकजुट रखा, बल्कि निर्दलीय और तटस्थ दलों को अपने पक्ष में करने की रणनीति पर भी काम किया। भाजपा नेताओं ने मतदान से पहले रणनीतिक बैठकें कीं, जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र के सांसदों के साथ चर्चा हुई। एनडीए ने दक्षिण भारत से दो मजबूत उम्मीदवारों (राधाकृष्णन तमिलनाडु से और रेड्डी तेलंगाना से) के बीच मुकाबले को “मिशन साउथ” का हिस्सा बताया, जिसका उद्देश्य दक्षिण भारत में भाजपा की पैठ बढ़ाना था।अमान्य वोट और सुधार की जरूरत15 वोटों का अमान्य होना (कुल वोटों का 2%) एक चिंता का विषय रहा। यह सांसदों की मतदान प्रक्रिया में गलतियों या जानबूझकर अमान्य वोट डालने की संभावना को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि गुप्त मतदान और एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है ताकि ऐसी खामियां कम की जा सकें।
राजनीतिक प्रभाव
सीपी राधाकृष्णन की जीत ने एनडीए की स्थिति को और मजबूत किया है, खासकर राज्यसभा में, जहां उपराष्ट्रपति सभापति की भूमिका निभाते हैं। यह जीत 2029 के लोकसभा चुनावों के लिए एनडीए की रणनीति को बल देगी। वहीं, विपक्षी गठबंधन को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा, क्योंकि उनकी एकजुटता पर सवाल उठे हैं।
शपथ ग्रहण: सीपी राधाकृष्णन 12 सितंबर 2025 को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा शपथ लेंगे।
राज्यसभा सभापति: उपराष्ट्रपति के रूप में राधाकृष्णन राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करेंगे।
राजनीतिक प्रभाव: एनडीए को विधेयकों को पास करने में आसानी होगी, जबकि विपक्ष को अपनी रणनीति को मजबूत करने की जरूरत होगी।
प्रतिक्रियाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राधाकृष्णन को बधाई देते हुए उनकी सादगी और जनसेवा की सराहना की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी उनकी जीत को लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक बताया। राधाकृष्णन ने कहा, “यह जीत भारत के लोगों की है। मैं संविधान की रक्षा और राष्ट्र निर्माण में योगदान दूंगा।”
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में सीपी राधाकृष्णन की जीत ने एनडीए की रणनीतिक कुशलता और विपक्ष की कमजोरियों को उजागर किया। क्रॉस वोटिंग और विपक्षी दलों की अनुपस्थिति ने एनडीए को भारी बढ़त दिलाई। यह जीत न केवल एनडीए की राजनीतिक ताकत को दर्शाती है, बल्कि दक्षिण भारत में भाजपा की बढ़ती पैठ का भी संकेत देती है।