हनुमान बेनीवाल को कोर्ट से राहत: विधायक आवास खाली कराने की कार्रवाई पर लगी रोक
राजस्थान हाईकोर्ट ने सांसद हनुमान बेनीवाल को राहत देते हुए विधायक आवास खाली करने की कार्रवाई पर रोक लगा दी और सरकार से जवाब मांगा। बेनीवाल ने याचिका में प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन का आरोप लगाया था।

राजस्थान हाईकोर्ट ने नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल को बड़ी राहत दी है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने बेनीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए विधायक आवास खाली करने की चल रही प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी है। साथ ही, कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। बेनीवाल ने अपनी याचिका में दावा किया था कि आवास खाली कराने की प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हो रहा है।
याचिका में बेनीवाल ने उठाए गंभीर सवाल
हनुमान बेनीवाल के अधिवक्ताओं, सुमित्रा चौधरी और प्रेमचंद शर्मा, ने कोर्ट को बताया कि संपदा अधिकारी ने सरकार के एक प्रार्थना पत्र के आधार पर 1 जुलाई को बेनीवाल को आवास खाली करने का नोटिस जारी किया था। इस नोटिस की पहली सुनवाई 11 जुलाई को हुई। अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि संपदा अधिकारी अनावश्यक जल्दबाजी दिखा रहे हैं और बेनीवाल की ओर से दायर आवेदनों को मनमाने ढंग से खारिज किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि संपदा अधिकारी ने आवेदनों को न केवल ठुकराया, बल्कि उनके साथ अपमानजनक टिप्पणियां भी कीं, जो उनके पक्षपातपूर्ण रवैये को दर्शाता है। बेनीवाल ने याचिका में मांग की कि संपदा अधिकारी द्वारा जारी नोटिस और उस पर आधारित कार्रवाई को रद्द किया जाए।
विधायक आवास का मामला
हनुमान बेनीवाल को लगभग दो वर्ष पूर्व जयपुर में विधानसभा के सामने विधायक आवास में फ्लैट नंबर A-3/703 आवंटित किया गया था। हाल ही में लोकसभा चुनाव में बेनीवाल के सांसद बनने के बाद राज्य सरकार ने जून 2025 में उनके विधायक आवास को खाली कराने के लिए संपदा अधिकारी के समक्ष प्रार्थना पत्र दायर किया। इसके बाद संपदा अधिकारी ने इस मामले में सुनवाई शुरू की थी।
कोर्ट का फैसला और अगला कदम
हाईकोर्ट ने बेनीवाल की याचिका को गंभीरता से लेते हुए संपदा अधिकारी की कार्रवाई पर तत्काल रोक लगा दी। कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह फैसला बेनीवाल के लिए अस्थायी राहत लेकर आया है, क्योंकि अब उन्हें तत्काल आवास खाली करने की जरूरत नहीं होगी।
प्राकृतिक न्याय का सवाल
बेनीवाल ने अपनी याचिका में यह भी तर्क दिया कि संपदा अधिकारी की कार्रवाई निष्पक्ष नहीं है और यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। उनके अधिवक्ताओं ने कोर्ट में कहा कि संपदा अधिकारी का रवैया पक्षपातपूर्ण रहा है और उनकी कार्रवाई में पारदर्शिता की कमी है।
इस मामले में कोर्ट द्वारा सरकार से जवाब मांगा जाना इस विवाद में एक नया मोड़ ला सकता है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार इस नोटिस का जवाब किस तरह देती है और कोर्ट इस मामले में अंतिम फैसला क्या सुनाता है। फिलहाल, बेनीवाल को कोर्ट से मिली राहत ने उनके पक्ष को मजबूती दी है।