कलयुग का क्रूर दृश्य: चांदी के कड़ों के लिए बेटे ने रोका मां का अंतिम संस्कार

कोटपूतली-बहरोड़ जिले के लीलो का बास ढाणी में 15 मई 2025 को एक बेटे ने अपनी मृत मां के चांदी के कड़ों के लालच में अंतिम संस्कार रोक दिया। मां का शव चिता पर रखने से पहले वह चिता पर लेट गया और करीब दो घंटे तक हंगामा किया। ग्रामीणों के समझाने पर भी वह नहीं माना। अंततः चांदी के कड़े देने के बाद ही वह चिता से उठा, और अंतिम संस्कार हो सका। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसे लोग मानवता के लिए शर्मनाक बता रहे हैं।

May 16, 2025 - 10:30
कलयुग का क्रूर दृश्य: चांदी के कड़ों के लिए बेटे ने रोका मां का अंतिम संस्कार

राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ जिले में एक ऐसी घटना ने मानवता को झकझोर कर रख दिया, जो कलयुग के क्रूर चेहरे को बेनकाब करती है। एक बेटे ने अपनी मृत मां के चांदी के कड़ों के लालच में मां का अंतिम संस्कार रोक दिया। मां की चिता पर शव रखे जाने से पहले वह खुद चिता पर लेट गया और करीब दो घंटे तक हंगामा करता रहा। यह घटना न केवल मां की ममता को चांदी के कड़ों से तौलने की कोशिश थी, बल्कि रिश्तों के पतन का एक दुख है।"

यह शर्मनाक घटना 15 मई 2025 को कोटपूतली-बहरोड़ जिले के विराटनगर क्षेत्र में लीलो का बास ढाणी में घटी। एक महिला की मृत्यु के बाद उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थीं। मृतका के दो बेटों के बीच मां के चांदी के कड़ों को लेकर विवाद शुरू हो गया। एक बेटे ने जिद पकड़ ली कि अंतिम संस्कार से पहले उसे चांदी के कड़े चाहिए। अपनी मांग पूरी न होने पर उसने मां का शव चिता पर रखने से पहले खुद चिता पर लेटकर हंगामा शुरू कर दिया।

दो घंटे तक वह चिता पर लेटा रहा, चीखता-चिल्लाता रहा और ग्रामीणों के बार-बार समझाने के बावजूद नहीं माना। उसकी एक ही जिद थी—चांदी के कड़े चाहिए, वरना वह अंतिम संस्कार नहीं होने देगा। आखिरकार, परिवार वालों को श्मशान में ही चांदी के कड़े लाकर देने पड़े। तब जाकर वह चिता से उठा, और मां की अंतिम विदाई की प्रक्रिया पूरी हो सकी।

स्थानीय ग्रामीणों ने बेटे को समझाने की हर संभव कोशिश की। उन्होंने उसे मां की आत्मा की शांति, परिवार की इज्जत और सामाजिक मर्यादा का वास्ता दिया, लेकिन उसका लालच इन सबसे ऊपर रहा। ग्रामीणों का कहना है कि यह उनके जीवन की सबसे शर्मनाक घटना थी।

  "कलयुग का यह दौर इतना नीचे गिर गया है कि बेटा मां की ममता को चांदी के कड़ों से तौल रहा है।"

 "मां की ममता, जो हर युग में सबसे पवित्र मानी जाती है, उसे चांदी के कड़ों ने ललकारा। यह घटना मानवता के लिए कलंक है।"

इस मामले में पुलिस या प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक कार्रवाई या बयान की जानकारी नहीं मिली है। हालांकि, यह घटना स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है। 

कलयुग का दर्शन: मां की ममता बनाम 

यह घटना केवल एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि समाज में बढ़ते भौतिकवाद और नैतिक पतन का प्रतीक है। मां, जिसने अपने बच्चों को जन्म दिया, पाला-पोसा, उसकी ममता को चांदी के कड़ों के सामने तौला जाना न केवल उस बेटे की संवेदनहीनता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि रिश्तों की कीमत आज के दौर में कितनी कम हो गई है। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारा समाज वाकई सही दिशा में जा रहा है।

यह घटना समाज के लिए एक कड़ा सबक है। यह हमें बताती है कि बच्चों को केवल भौतिक सुख-सुविधाएं देना ही काफी नहीं, बल्कि उन्हें नैतिक मूल्य, रिश्तों की अहमियत और इंसानियत सिखाना भी जरूरी है। चांदी के कड़ों का लालच अगर मां की ममता से बड़ा हो सकता है, तो यह समाज के लिए ख़तरे का संकेत है


कोटपूतली-बहरोड़ की यह घटना एक ऐसी त्रासदी है, जो लंबे समय तक लोगों के जेहन में रहेगी। यह कलयुग का वह दौर है, जहां मां की ममता को चांदी के कड़ों ने चुनौती दी। यह घटना हमें अपने मूल्यों पर पुनर्विचार करने और समाज को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाने की प्रेरणा देती है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी शर्मनाक घटनाएं दोबारा न हों, और मां की ममता हमेशा हर भौतिक वस्तु से ऊपर रहे।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ