भाटी बोले- SIR में BLO-टीचरों पर बढ़ता दबाव चिंताजनक: ड्रॉप आउट रेट को प्राथमिकता से रोका जाएं, विधानसभा की प्रश्न-संदर्भ समिति के रखे मुद्दे
बाड़मेर के शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने राजस्थान विधानसभा की प्रश्न-संदर्भ समिति में शिक्षा विभाग की कई गंभीर समस्याएं उठाईं। SIR प्रक्रिया में BLO व शिक्षकों पर बढ़ते दबाव, स्कूलों की घटती संख्या, बढ़ता ड्रॉपआउट रेट, रिक्त पदों की भर्ती और नए पद सृजन जैसे मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई की मांग की। समिति ने इन मुद्दों पर सकारात्मक चर्चा की और विभाग से रिपोर्ट एवं कार्ययोजना मांगी।
बाड़मेर। राजस्थान विधानसभा की प्रश्न एवं संदर्भ समिति की बैठक में बाड़मेर जिले के शिव विधानसभा क्षेत्र के विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने शिक्षा विभाग से जुड़े अनेक गंभीर मुद्दों को बेबाकी से उठाया। उन्होंने विभाग की इन समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित करने का आग्रह किया, ताकि प्रदेश की शिक्षण व्यवस्था को मजबूती मिल सके और छात्रों का भविष्य सुरक्षित हो सके। विधायक भाटी ने विशेष रूप से स्कूल इनरोलमेंट रजिस्ट्रेशन (SIR) प्रक्रिया में BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) और शिक्षकों पर बढ़ते दबाव को चिंताजनक बताते हुए इस पर तत्काल ध्यान देने की मांग की। इसके अलावा, स्कूलों की संख्या में हो रही गिरावट, ड्रॉपआउट रेट में वृद्धि, रिक्त पदों की भर्ती और नए पदों के सृजन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी उन्होंने समिति के समक्ष अपनी बात रखी।
SIR प्रक्रिया: BLO और शिक्षकों पर अनुचित बोझ विधानसभा की बैठक के दौरान रविंद्र सिंह भाटी ने शिक्षा विभाग की SIR प्रक्रिया पर गहन चिंता व्यक्त की। SIR प्रक्रिया, जो स्कूलों में नामांकन को ट्रैक करने और रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करने के लिए चलाई जाती है, में BLO और शिक्षकों पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। भाटी ने कहा कि यह प्रक्रिया मूल रूप से छात्रों के नामांकन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, लेकिन अब यह शिक्षकों के लिए एक बोझ बन चुकी है। BLO को घर-घर जाकर नामांकन संबंधी जानकारी एकत्र करने का दायित्व सौंपा गया है, जबकि शिक्षक भी इस प्रक्रिया में अतिरिक्त कागजी कार्रवाई और फील्ड वर्क में उलझे हुए हैं। उन्होंने समिति को बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में, खासकर बाड़मेर जैसे दूरस्थ जिलों में, BLO और शिक्षकों को संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। स्मार्टफोन, इंटरनेट कनेक्टिविटी और वाहनों की अनुपलब्धता के कारण यह कार्य और कठिन हो जाता है। भाटी ने चेतावनी दी कि यदि इस दबाव को कम नहीं किया गया, तो शिक्षकों का मनोबल गिरेगा और शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी। उन्होंने सुझाव दिया कि SIR प्रक्रिया को सरल बनाया जाए, डिजिटल टूल्स को मजबूत किया जाए और BLO-शिक्षकों को प्रोत्साहन राशि या अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाए। समिति के सदस्यों ने इस मुद्दे पर सहमति जताई और विभाग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी।
ड्रॉपआउट रेट: प्राथमिकता से रोकने की मांग एक अन्य प्रमुख मुद्दे के रूप में विधायक भाटी ने ड्रॉपआउट रेट को उठाया। उन्होंने कहा कि राजस्थान के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में छात्रों का स्कूल छोड़ना एक गंभीर समस्या बन चुका है। विशेष रूप से प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर ड्रॉपआउट रेट में वृद्धि चिंताजनक है। आंकड़ों के हवाले से उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में बाड़मेर जिले में ही सैकड़ों छात्र स्कूलों से गायब हो चुके हैं, जिसका मुख्य कारण आर्थिक तंगी, परिवहन सुविधाओं की कमी और जागरूकता का अभाव है।भाटी ने जोर देकर कहा, "ड्रॉपआउट रेट को रोकना राज्य सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए अभिभावक जागरूकता अभियान चलाए जाएं, छात्रवृत्ति योजनाओं को प्रभावी बनाया जाए और स्कूलों में मध्याह्न भोजन तथा यातायात सुविधाओं को मजबूत किया जाए।" उन्होंने समिति से अनुरोध किया कि ड्रॉपआउट रोकथाम के लिए एक विशेष टास्क फोर्स गठित की जाए, जो जिला स्तर पर कार्य करे। समिति ने इस सुझाव को सराहनीय बताते हुए शिक्षा विभाग को तीन माह के अंदर ड्रॉपआउट दर कम करने की कार्ययोजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
स्कूलों की संख्या में गिरावट: गुणवत्ता प्रभावित शिक्षा व्यवस्था की एक और कमजोरी के रूप में भाटी ने स्कूलों की संख्या में हो रही कमी का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कई ग्रामीण इलाकों में छोटे-छोटे स्कूलों को बंद कर बड़े स्कूलों में विलय किया जा रहा है, जिससे छात्रों को दूर जाना पड़ रहा है। बाड़मेर जैसे रेगिस्तानी जिले में, जहां दूरी पहले से ही एक समस्या है, यह कदम छात्रों के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। "स्कूल बंद करने से न केवल नामांकन प्रभावित हो रहा है, बल्कि शिक्षा का अधिकार भी छीना जा रहा है," भाटी ने कहा।उन्होंने मांग की कि स्कूलों के विलय से पहले स्थानीय समुदाय की राय ली जाए और वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके अलावा, डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सोलर पैनल और इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएं। समिति ने इस पर चर्चा करते हुए विभाग से स्कूलों की संख्या और वितरण पर एक विस्तृत सर्वेक्षण कराने का फैसला लिया।
रिक्त पदों की भर्ती और नए पद सृजन: तत्काल कार्रवाई जरूरी बैठक में रिक्त पदों का मुद्दा भी प्रमुखता से उठा। विधायक भाटी ने बताया कि शिक्षा विभाग में हजारों पद खाली पड़े हैं, जिससे शिक्षकों का कार्यभार बढ़ रहा है। प्राथमिक स्तर पर सहायक शिक्षकों की कमी से कक्षाएं प्रभावित हो रही हैं, जबकि माध्यमिक स्तर पर विषय विशेषज्ञों की कमी है। उन्होंने कहा, "रिक्त पदों को भरना और नए पद सृजन करना अनिवार्य है, ताकि छात्र-शिक्षक अनुपात सुधरे।"भाटी ने सुझाव दिया कि भर्ती प्रक्रिया को तेज किया जाए, मेगा भर्ती अभियान चलाया जाए और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विशेष आरक्षण नीति अपनाई जाए। इसके अलावा, शिक्षकों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर भी जोर दिया। समिति ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि रिक्त पदों की सूची तैयार कर भर्ती कैलेंडर जारी किया जाए।