भारत के कच्चे तेल आपूर्तिकर्ताओं की संख्या बढ़कर 40 हुई, उत्पादन में भी इजाफा: हरदीप पुरी
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि भारत अब 40 देशों से कच्चा तेल आयात कर रहा है, जो पहले 27 देशों तक सीमित था। इसके साथ ही, अंडमान सागर में नए तेल भंडार की खोज और घरेलू उत्पादन में वृद्धि से भारत ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। रूस, अमेरिका, और गुयाना जैसे देशों से आयात बढ़ा है, जबकि मध्य पूर्व के तनाव के बावजूद भारत में ईंधन की कीमतें और आपूर्ति स्थिर हैं।

18 जून 2025, नई दिल्ली: केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने घोषणा की है कि भारत अब 40 देशों से कच्चा तेल आयात कर रहा है, जो पहले 27 देशों तक सीमित था। इसके साथ ही, देश में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। यह जानकारी भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और वैश्विक ऊर्जा बाजार में बढ़ती स्थिति को दर्शाती है। यह खबर ऐसे समय में आई है जब मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव के कारण वैश्विक तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है।
कच्चे तेल आपूर्तिकर्ताओं की संख्या में वृद्धि
हरदीप पुरी ने बताया कि भारत ने अपनी तेल आयात रणनीति में विविधीकरण किया है। पहले भारत मुख्य रूप से मध्य पूर्व के देशों जैसे सऊदी अरब, इराक, और यूएई पर निर्भर था, लेकिन अब रूस, अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, गुयाना, सूरीनाम, और अर्जेंटीना जैसे देशों से भी तेल आयात किया जा रहा है।
रूस की भूमिका: रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रियायती दरों पर रूसी तेल का आयात बढ़ाया। वित्त वर्ष 2024 में रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया, जिसका हिस्सा कुल आयात का 36% था।
अमेरिका से आयात: मार्च 2025 में भारत ने अमेरिका से 67% अधिक कच्चा तेल आयात किया, जो प्रतिदिन 2,44,000 बैरल तक पहुंच गया। गुयाना और सूरीनाम जैसे नए तेल उत्पादक देशों से आयात शुरू करना भारत की रणनीति का हिस्सा है, जिससे आपूर्ति की कमी का जोखिम कम होता है।
इस विविधीकरण का उद्देश्य वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में अस्थिरता और भू-राजनीतिक जोखिमों से निपटना है।
कच्चे तेल और गैस उत्पादन में इजाफा
भारत में घरेलू तेल और गैस उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं:
अंडमान सागर में खोज: पुरी ने हाल ही में अंडमान सागर में एक बड़े कच्चे तेल और गैस भंडार की खोज की पुष्टि की। इसकी तुलना गुयाना में मिले 11.6 अरब बैरल के भंडार से की जा रही है। यदि यह खोज पूरी तरह सफल रही, तो भारत की ऊर्जा जरूरतें काफी हद तक पूरी हो सकती हैं, और अर्थव्यवस्था में पांच गुना वृद्धि का अनुमान है।
अन्वेषण क्षेत्र में विस्तार: पिछले एक दशक में भारत ने अपने तलछटी बेसिन में तेल और गैस अन्वेषण क्षेत्र को 6% से बढ़ाकर 10% किया है, और 2030 तक इसे 15% तक ले जाने का लक्ष्य है।
नए क्षेत्रों में उत्पादन: असम, गुजरात, राजस्थान, मुंबई, और कृष्णा-गोदावरी बेसिन के अलावा, अब अंडमान सागर जैसे नए क्षेत्रों में भी उत्पादन शुरू होने की संभावना है।
उत्पादन लक्ष्य: पुरी ने जनवरी 2024 में बताया था कि मई-जून 2025 तक भारत प्रतिदिन 45,000 बैरल तेल का उत्पादन शुरू करेगा, जो कुल उत्पादन का 7% होगा।
ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने ऊर्जा नीति को उपलब्धता, वहनीयता, और स्थिरता पर केंद्रित किया है।
रिफाइनिंग क्षमता: भारत में 23 आधुनिक रिफाइनरियां संचालित हो रही हैं, जिनकी कुल क्षमता 257 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष है।
भंडारण सुविधाएं: विशाखापत्तनम, मैंगलोर, और पुदुर में विशाल तेल भंडार बनाए गए हैं, जबकि ओडिशा और राजस्थान में नए भंडार विकसित किए जा रहे हैं।
हरित ऊर्जा: इथेनॉल ब्लेंडिंग को 2013-14 के 1.53% से बढ़ाकर अप्रैल 2025 तक 20% कर दिया गया है। ग्रीन हाइड्रोजन और बायोफ्यूल जैसे वैकल्पिक ईंधन पर भी जोर दिया जा रहा है।
सीएनजी और पीएनजी: देश भर में 8,000 सीएनजी स्टेशन और 733 जिलों में पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) की सुविधा उपलब्ध है।
पुरी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में भारत का तेल और गैस क्षेत्र समुद्र की गहराई से आसमान की नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है। हमने विवादों और संघर्षों के कारण 2006-16 का समय गंवाया, लेकिन अब प्रोडक्शन शेयरिंग से रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल अपनाकर हम तेजी से प्रगति कर रहे हैं।”
भारत का 40 देशों से तेल आयात और घरेलू उत्पादन में वृद्धि ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। अंडमान सागर में तेल भंडार की खोज और हरित ऊर्जा पर जोर भारत को वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में एक मजबूत खिलाड़ी बना सकता है। वैश्विक तनाव के बावजूद, भारत की नीतियां और रणनीतियां यह सुनिश्चित कर रही हैं कि देश में ईंधन की उपलब्धता और कीमतें स्थिर रहें।
भारत के लिए एक सकारात्मक संदेश है, जो न केवल ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति को दर्शाती है, बल्कि आर्थिक विकास और वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती ताकत को भी रेखांकित करती है।