बाड़मेर: चौहटन थाना क्षेत्र में भाई-बहन की ट्रेजिक मौत, डूबते भाई को बचाने कूदी बहन, दोनों की जान गई

बाड़मेर के चौहटन थाना क्षेत्र में एक दुखद हादसे में 3 वर्षीय छगन पुत्र जोगाराम और 8 वर्षीय पूजा पुत्री मांगीलाल, भाई-बहन, घर के पास खुले टांके में डूबकर मर गए। भाई को बचाने की कोशिश में बहन ने भी जान गंवा दी। ढक्कन खुला होने के कारण यह हादसा हुआ। परिवार सदमे में है, और मां बार-बार ढक्कन बंद न करने का पछतावा कर रही है।

Oct 27, 2025 - 11:54
बाड़मेर: चौहटन थाना क्षेत्र में भाई-बहन की ट्रेजिक मौत, डूबते भाई को बचाने कूदी बहन, दोनों की जान गई

बाड़मेर (राजस्थान), 27 अक्टूबर 2025: राजस्थान के बाड़मेर जिले के चौहटन थाना क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को सन्नाटे में डुबो दिया है। एक छोटे से टांके के पास खेलते हुए भाई-बहन की नृशंस मौत हो गई। भाई को डूबता देख उसकी बहन ने जान की बाजी लगा दी और उसे बचाने के लिए खुद पानी में कूद पड़ी। दर्दनाक बात यह है कि बहन चिल्ला भी नहीं पाई, क्योंकि उसके मुंह में पानी भर गया। दोनों भाई-बहन की मौके पर ही मौत हो गई, जिससे परिवार पर दुश्मन-सा आघात पहुंचा। मां के ढक्कन का खुला रह जाना इस त्रासदी का एक और दुखद पहलू है।

घटना की पूरी कहानी: खेल से मौत तक का सफर   चौहटन थाना क्षेत्र के लखवारा गांव में रहने वाला यह परिवार सामान्य किसान परिवार था। रविवार दोपहर करीब 12 बजे, जब धूप अपने पूरे जोर पर थी, दो मासूम बच्चे—लगभग  साल का भाई छगन और 8 साल की उसकी बहन पूजा —घर के पास बने एक छोटे से टांके के किनारे खेल रहे थे। टांका घर के आंगन में ही स्थित था, जो सिंचाई और घरेलू उपयोग के लिए बनाया गया था। गहराई महज 6-7 फीट की होने के बावजूद, इसकी दीवारें चिकनी और फिसलन भरी थीं, जो दुर्घटना का मुख्य कारण बनीं।बच्चे टांके के किनारे पर पत्थर फेंककर खेल रहे थे। अचानक, छगन फिसल गया और पानी में गिर पड़ा। पानी में छटपटाते हुए वह डूबने लगा। यह दृश्य देखते ही उसकी बड़ी बहन ने बिना एक पल गंवाए खुद को पानी में झोंक दिया। उसका इरादा साफ था—भाई को बचा लो, चाहे खुद की जान पर बने। लेकिन पानी की तेज धारा और टांके की गहराई ने दोनों को लील लिया। बहन ने भाई को सहारा देने की कोशिश की, लेकिन खुद भी फंस गई। सबसे दर्दनाक यह था कि बहन इतनी घबराई हुई थी कि वह चिल्ला भी नहीं पाई। उसके मुंह में पानी भर गया, और वह बस छटपटा सकी। कुछ ही मिनटों में दोनों शांत हो गए।पास ही काम कर रही उनकी देवी को जब शक हुआ, तो वह दौड़कर टांके के पास पहुंची। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, तो सामने का मंजर देखकर उसकी चीख निकल पड़ी। ढक्कन का खुला रह जाना इस घटना का एक और विडंबनापूर्ण मोड़ था—अगर ढक्कन बंद होता, तो शायद बच्चे इतने करीब न खेलते। मां की चीख सुनते ही पड़ोसी इकट्ठा हो गए। किसी ने किसी तरह बच्चों को बाहर निकाला, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

पीड़ित बच्चे: मासूमों के नाम और परिवार का दर्द।  मृतक बच्चों के नाम क्रमशः छगन पुत्र जोगाराम (उम्र 3 वर्ष) और उसकी चचेरी बहन पूजा पुत्री मांगीलाल (उम्र 8 वर्ष) बताए जा रहे हैं। इस घटना से परिवार टूट चुका है। मां का रो-रोकर बुरा हाल है; वह बार-बार कहती हैं, "मैंने ढक्कन बंद क्यों नहीं किया? मेरे बच्चे..." पिता सदमे में हैं और बोल पा रहे हैं। गांव वाले परिवार को सांत्वना देने पहुंचे, लेकिन दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा। यह घटना गांव में सुरक्षा के प्रति जागरूकता की कमी को उजागर करती है।

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई:

जांच जारी, मदद का ऐलान  चौहटन थाना पुलिस को सूचना मिलते ही वह मौके पर पहुंची,  प्रारंभिक जांच में इसे दुर्घटना ही बताया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है, जो मौत के सटीक कारण स्पष्ट करेगी। पुलिस ने परिवार को सांत्वना दी और मामले की गहन जांच शुरू कर दी है।