गांवों से निकलकर आई युवतियों और महिलाओं की रील्स से हुई शुरुआत पहुंच रही हैं अपराध की दुनिया तक

बाड़मेर में ग्रामीण युवतियां और महिलाएं शिक्षा, नौकरी या वैवाहिक असंतोष के कारण शहर की ओर पलायन कर रही हैं। शहर की चमक-दमक और सोशल मीडिया की चकाचौंध उन्हें गलत रास्ते पर ले जा रही है, जिससे अपराध, नशे की लत और पारिवारिक टूटन बढ़ रही है। यह प्रवृत्ति समाज, खासकर युवा पीढ़ी और स्कूली छात्राओं के लिए खतरा बन रही है। जागरूकता, शिक्षा, रोजगार और कानूनी कदमों से इस समस्या का समाधान जरूरी है।

Apr 14, 2025 - 11:57
गांवों से निकलकर आई युवतियों और महिलाओं की रील्स से हुई शुरुआत पहुंच रही हैं अपराध की दुनिया तक
प्रतीकात्मक AI जेनरेटेड तस्वीर

बाड़मेर: ग्रामीण क्षेत्रों से शहर की चकाचौंध में भटकतीं युवतियां,समाज पर बढ़ता खतरा

बाड़मेर, 14 अप्रैल 2025: राजस्थान का बाड़मेर जिला, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और रेगिस्तानी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, आज एक गंभीर सामाजिक समस्या से जूझ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों से बाड़मेर शहर में पढ़ाई, नौकरी, बच्चों की शिक्षा या व्यक्तिगत कारणों जैसे पति से असंतोष के चलते आने वाली युवतियां और महिलाएं शहर की चमक-दमक में खो रही हैं। यह प्रवृत्ति न केवल उनके जीवन को प्रभावित कर रही है, बल्कि समाज, खासकर युवा पीढ़ी और स्कूली छात्राओं पर भी इसका गहरा नकारात्मक असर पड़ रहा है।

### ग्रामीण क्षेत्रों से शहर की ओर पलायन
बाड़मेर के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा और रोजगार के सीमित अवसरों के कारण कई युवतियां और महिलाएं बेहतर भविष्य की तलाश में शहर का रुख करती हैं। कुछ अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने, कुछ स्वयं पढ़ाई करने, तो कुछ नौकरी की तलाश में बाड़मेर शहर आती हैं। वहीं, कुछ महिलाएं वैवाहिक जीवन में असंतोष या पति की नापसंदगी के कारण अकेले रहने का फैसला करती हैं। शुरुआत में उनका इरादा आत्मनिर्भर बनने का होता है, लेकिन शहर की हाई-प्रोफाइल जिंदगी और चकाचौंध उनकी सोच को बदल देती है।

### चकाचौंध और गलत राह की ओर कदम
शहर में आकर कई युवतियां आधुनिक जीवनशैली और सामाजिक दबावों के चलते अपनी मूल पहचान खो बैठती हैं। सामाजिक विश्लेषकों के अनुसार, शहर की आकर्षक जीवनशैली, महंगे कपड़े, रेस्तरां, और सोशल मीडिया पर लोकप्रियता की चाह उन्हें गलत रास्ते पर ले जाती है। कुछ युवतियां त्वरित पैसा कमाने के लिए गलत संगत में पड़ जाती हैं। तस्करों, माफियाओं और धनाढ्य लोगों से दोस्ती के चलते वे अवैध गतिविधियों में शामिल हो रही हैं। नशे की लत, ब्लैकमेलिंग और यहां तक कि अपराध की दुनिया में कदम रखना उनके लिए आम बात हो रही है।

### सोशल मीडिया का दुरुपयोग
सोशल मीडिया ने इस समस्या को और बढ़ावा दिया है। कई युवतियां और महिलाएं इंस्टाग्राम और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर रील्स बनाकर खुद को धनवान और आधुनिक दिखाने की होड़ में लगी हैं। ये रील्स न केवल उनकी वास्तविकता से परे होती हैं, बल्कि अन्य युवतियों और स्कूली छात्राओं को भी गलत दिशा में ले जा रही हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता का कहना हैं, “सोशल मीडिया पर दिखावे की संस्कृति ने युवा पीढ़ी को भौतिकवाद की ओर धकेल दिया है। यह एक गंभीर सामाजिक संकट है।”

### परिवार और बच्चों पर असर
यह प्रवृत्ति केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक ढांचे को भी तोड़ रही है। कई महिलाएं अपने पति और बच्चों को छोड़कर इस चकाचौंध भरी जिंदगी को चुन रही हैं। इसके परिणामस्वरूप परिवार टूट रहे हैं, और बच्चों पर इसका मनोवैज्ञानिक असर पड़ रहा है। स्थानीय शिक्षक रमेश कुमार ने बताया, “स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राएं इन रील्स और जीवनशैली से प्रभावित होकर पढ़ाई से ज्यादा फैशन और दिखावे पर ध्यान दे रही हैं। यह उनके भविष्य के लिए खतरनाक है।”

### समाज पर पड़ रहा प्रभाव
यह समस्या अब बाड़मेर के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर रही है। युवा लड़कियों के बीच गलत आदर्श स्थापित हो रहे हैं, जिससे उनकी शिक्षा और नैतिक मूल्यों पर असर पड़ रहा है। इसके अलावा, अपराध और नशे की बढ़ती घटनाएं भी इस प्रवृत्ति से जुड़ी हैं। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “शहर में छोटे-मोटे अपराधों में युवतियों की संलिप्तता बढ़ रही है, जो पहले असामान्य था।”

### समाधान की दिशा में कदम
इस समस्या से निपटने के लिए सामाजिक संगठनों और प्रशासन को मिलकर काम करने की जरूरत है। कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:
1. **जागरूकता अभियान**: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में युवतियों और महिलाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं, जो उन्हें आत्मनिर्भरता और नैतिकता का महत्व समझाएं।
2. **शिक्षा और रोजगार के अवसर**: ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराए जाएं, ताकि पलायन कम हो।
3. **सोशल मीडिया पर नियंत्रण**: सोशल मीडिया पर भ्रामक और अनैतिक सामग्री को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
4. **परामर्श केंद्र**: शहर में युवतियों और महिलाओं के लिए परामर्श केंद्र स्थापित किए जाएं, जहां वे अपनी समस्याएं साझा कर सकें और सही मार्गदर्शन पा सकें।
5. **कानूनी कार्रवाई**: तस्करों और माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जो इन युवतियों को गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं।

### निष्कर्ष
बाड़मेर में यह समस्या केवल एक शहर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह न केवल युवतियों और महिलाओं के भविष्य को खतरे में डालेगा, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों को भी नष्ट कर देगा। समाज, प्रशासन और परिवारों को एकजुट होकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि हमारी युवा पीढ़ी सही रास्ते पर चल सके और एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके।

*(नोट: यह खबर सामान्य जानकारी और सामाजिक चिंतन के आधार पर तैयार किया गया है। किसी भी व्यक्ति या समूह को लक्षित नहीं किया गया है।)*

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ