बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर 7 मई को 4 हुए मॉक ड्रिल: भारत-पाक तनाव के बीच रेलवे सुरक्षा और सिविल डिफेंस की तैयारियां परखी गईं

7 मई 2025 को बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर सुबह 4 बजे भारत-पाक तनाव के बीच एक सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित की गई। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर "ऑपरेशन अभ्यास" के तहत हुई इस ड्रिल में हवाई और आतंकी हमले की स्थिति का अनुकरण किया गया। यात्रियों और कर्मचारियों को सायरन, ब्लैकआउट, और निकासी के तरीके सिखाए गए। रेलवे सुरक्षा बल, पुलिस, और प्रशासन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह ड्रिल 1971 के युद्ध की यादों को ताजा करते हुए नागरिकों में सुरक्षा जागरूकता और आत्मविश्वास बढ़ाने में सफल रही।

May 7, 2025 - 17:20
बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर 7 मई को 4 हुए मॉक ड्रिल: भारत-पाक तनाव के बीच रेलवे सुरक्षा और सिविल डिफेंस की तैयारियां परखी गईं

7 मई 2025 को राजस्थान के बाड़मेर जिले के रेलवे स्टेशन पर  एक व्यापक सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। यह मॉक ड्रिल केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर देश के 244 जिलों में आयोजित "ऑपरेशन अभ्यास" का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच आपातकालीन परिस्थितियों में रेलवे स्टेशनों जैसे महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा और नागरिकों की तैयारियों को परखना था। बाड़मेर, जो पाकिस्तान सीमा के निकट एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जिला है, में यह ड्रिल विशेष रूप से महत्वपूर्ण रही।

मॉक ड्रिल का विवरण

बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर मॉक ड्रिल की शुरुआत सायरन की तेज आवाज के साथ हुई। इस अभ्यास में हवाई हमले और आतंकी हमले जैसी आपातकालीन स्थिति का अनुकरण किया गया। रेलवे स्टेशन पर मौजूद यात्रियों, रेलवे कर्मचारियों और स्थानीय नागरिकों को प्रशिक्षित किया गया कि सायरन सुनते ही सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी है, जैसे कि स्टेशन के पास बनाए गए अस्थायी बंकरों या अन्य सुरक्षित क्षेत्रों में।

ड्रिल के दौरान निम्नलिखित गतिविधियां शामिल थीं:

  • सायरन और ब्लैकआउट अभ्यास: हवाई हमले की स्थिति में सायरन बजाकर लोगों को सतर्क किया गया। रेलवे स्टेशन की लाइटें बंद कर ब्लैकआउट की स्थिति बनाई गई ताकि दुश्मन के लिए स्थान को लक्षित करना मुश्किल हो।

  • नागरिक सुरक्षा प्रशिक्षण: यात्रियों और कर्मचारियों को जमीन पर लेटकर कानों को बंद करने, भीड़भाड़ से बचने और व्यवस्थित तरीके से निकासी करने के तरीके सिखाए गए।

  • रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और GRP की भूमिका: रेलवे सुरक्षा बल और सरकारी रेलवे पुलिस ने स्टेशन पर भीड़ को नियंत्रित करने और आपातकालीन निकासी की प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • आपातकालीन सेवाएं: स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें मौके पर मौजूद थीं, जो नकली घायलों को प्राथमिक उपचार और अस्पताल ले जाने का अभ्यास कर रही थीं।

पृष्ठभूमि और महत्व

यह मॉक ड्रिल 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के संदर्भ में आयोजित की गई। इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकियों ने 27 पर्यटकों की हत्या की थी, जिसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इन घटनाओं ने दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति की आशंका को बढ़ा दिया, जिसके चलते भारत सरकार ने सिविल डिफेंस तैयारियों को मजबूत करने का निर्णय लिया।

बाड़मेर रेलवे स्टेशन का चयन इसलिए किया गया क्योंकि यह सीमावर्ती क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवहन केंद्र है। 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भी इस क्षेत्र में सैन्य गतिविधियां देखी गई थीं, और स्थानीय लोग उस समय के सायरन और बंकरों की यादों को ताजा करते हैं। एक स्थानीय रेलवे कर्मचारी ने कहा, "1971 में हम सायरन सुनते ही बंकरों में छिपते थे। आज यह ड्रिल हमें उस समय की याद दिलाती है, लेकिन अब हमारी सेना और प्रशासन पहले से कहीं ज्यादा तैयार हैं।"

प्रशासन और रेलवे की भूमिका

बाड़मेर जिला प्रशासन, रेलवे प्रबंधन, और सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स ने इस मॉक ड्रिल को सफल बनाने के लिए कई दिनों तक तैयारियां कीं। बाड़मेर पुलिस और जिला प्रशासन ने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को ड्रिल के समय और महत्व के बारे में जागरूक किया। रेलवे स्टेशन पर विशेष रूप से बनाए गए पोस्टर और घोषणाओं के जरिए यात्रियों को पहले से सूचित किया गया था ताकि ड्रिल के दौरान कोई घबराहट न हो।

नागरिकों की प्रतिक्रिया

मॉक ड्रिल में शामिल यात्रियों और स्थानीय लोगों ने इसे एक उपयोगी और जागरूकता बढ़ाने वाला अभ्यास बताया। एक यात्री, रामलाल ने कहा, "हमें सिखाया गया कि आपात स्थिति में क्या करना है। यह जानकर आत्मविश्वास बढ़ा कि हमारी सरकार और रेलवे हमारी सुरक्षा के लिए इतने गंभीर हैं।" स्थानीय निवासियों ने भी इस ड्रिल को 1971 के युद्ध की तैयारियों से जोड़कर देखा और भारत की वर्तमान सैन्य ताकत पर गर्व व्यक्त किया।

प्रभाव और निष्कर्ष

बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर 7 मई को  हुआ मॉक ड्रिल न केवल रेलवे सुरक्षा और सिविल डिफेंस की तैयारियों को परखने में सफल रहा, बल्कि इसने नागरिकों में सुरक्षा के प्रति जागरूकता और आत्मविश्वास भी बढ़ाया। यह भारत की पहली ऐसी व्यापक सिविल डिफेंस ड्रिल थी, जो 1971 के बाद आयोजित की गई। इस अभ्यास ने रेलवे स्टेशनों जैसे महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा को मजबूत करने और युद्ध जैसी स्थिति में नागरिकों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह ड्रिल भारत सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि वह किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। बाड़मेर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में इस तरह के अभ्यास न केवल रणनीतिक महत्व रखते हैं, बल्कि स्थानीय लोगों में एकता और देशभक्ति की भावना को भी प्रबल करते हैं।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ