बाड़मेर में भू - माफीयाओ का खेल: 100 से ज्यादा फर्जी कॉलोनियां , सरकारी जमीनों पर कब्जे का खुलासा?
बाड़मेर, राजस्थान: बाड़मेर में भू-माफियाओं ने अवैध कॉलोनियों का ऐसा जाल बिछाया है, जो प्रशासन की नाकामी और लापरवाही को उजागर कर रहा है। जिला मुख्यालय के आसपास, खासकर बायपास हाईवे के दोनों तरफ, बाड़मेर मगरा, जालिपा, महाबार और टाउनशिप क्षेत्रों में भू-माफिया सरकारी जमीन, गौचर जमीन और कृषि भूमि पर बेखौफ होकर कॉलोनियाँ काट रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि शहरी सुधार ट्रस्ट (UIT) और ग्राम पंचायतों की अनदेखी इस खेल का सबसे बड़ा आधार बनी हुई है।
बाड़मेर रिपोर्ट जसवंत सिंह :राजस्थान: बाड़मेर में भू-माफियाओं ने अवैध कॉलोनियों का ऐसा जाल बिछाया है, जो प्रशासन की नाकामी और लापरवाही को उजागर कर रहा है। जिला मुख्यालय के आसपास, खासकर बायपास हाईवे के दोनों तरफ, बाड़मेर मगरा, जालिपा, महाबार और टाउनशिप क्षेत्रों में भू-माफिया सरकारी जमीन, गौचर जमीन और कृषि भूमि पर बेखौफ होकर कॉलोनियाँ काट रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि शहरी सुधार ट्रस्ट (UIT) और ग्राम पंचायतों की अनदेखी इस खेल का सबसे बड़ा आधार बनी हुई है।
100 से ज्यादा फर्जी कॉलोनियाँ: जांच में सामने आया है कि बाड़मेर में कुल 100 से अधिक ऐसी आवासीय कॉलोनियाँ काटी गई हैं, जो कहीं भी पंजीकृत नहीं हैं। इन कॉलोनियों में सरकारी नियमों की कोई पालना नहीं की जा रही। हमारी टीम ने 22 से ज्यादा कॉलोनियों की पड़ताल की, जो पूरी तरह फर्जी पाई गईं। इनमें से 8 कॉलोनियाँ तो सरकारी और गौचर जमीन पर अवैध रूप से काटी जा रही थीं। यह आंकड़ा भू-माफियाओं की बेलगाम गतिविधियों और प्रशासन की उदासीनता का जीता-जागता सबूत है।
शिकायतें बेकार, कार्रवाई शून्य: स्थानीय लोगों ने कई बार UIT, ग्राम पंचायतों और प्रशासनिक अधिकारियों से इन अवैध कॉलोनियों की शिकायत की, लेकिन न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही मौके पर जांच के लिए कोई टीम भेजी गई। यह लापरवाही सवाल खड़ा करती है कि आखिर प्रशासन की चुप्पी के पीछे क्या राज है? भू-माफिया खुले आम भूखंड बेच रहे हैं, जबकि कानूनन कृषि भूमि और सरकारी जमीन पर ऐसा करना सख्त मना है।बाड़मेर में पहली बार यह देखा जा रहा है कि भू-माफियाओं को नेताओं से ज्यादा प्रशासनिक अमले का समर्थन मिल रहा है। ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी और कुछ जगहों पर तो इसने भी बड़े अधिकारियों की संलिप्तता की बात सामने आ रही है।
सरकार की साख पर सवाल : इन गतिविधियों से प्रशासन और सरकार की छवि को गहरा नुकसान पहुंच रहा है। अवैध कॉलोनियों में भूखंड खरीदने वाले लोग पानी, बिजली और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। जनता का गुस्सा बढ़ रहा है और सरकार पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इस लूट को रोकने के लिए कब कदम उठाया जाएगा?
चुनावी मुद्दा बनने की आहट: बाड़मेर को "बेच खाने" का यह मसला आगामी चुनावों में नेताओं के लिए सिरदर्द बन सकता है। बीते समय में बाड़मेर के एक पूर्व विधायक पर भू-माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप लगा था, जिसके चलते उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। अब जनता के बीच यह चर्चा गर्म है कि क्या मौजूदा सरकार इस बार भी चुप रहेगी या कुछ ठोस करेगी?
क्या होगा अगला कदम?: यह खुलासा बाड़मेर में भू-माफियाओं के खिलाफ तत्काल और सख्त कार्रवाई की जरूरत को रेखांकित करता है। 100 से ज्यादा फर्जी कॉलोनियाँ और सरकारी जमीन पर कब्जे का यह खेल अब और बर्दाश्त के काबिल नहीं। जनता की नजर प्रशासन और सरकार पर टिकी है कि क्या इस बार भू-माफियाओं की कमर टूटेगी, या यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?