SIR पर उठा विवाद
प्रशांत किशोर ने हाल ही में दावा किया था कि चुनाव आयोग, भाजपा और NDA की मिलीभगत से बिहार में वोटर लिस्ट से गरीब, वंचित और प्रवासी मजदूरों के नाम हटाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को पता है कि बिहार से बाहर काम करने वाले लोग NDA के खिलाफ वोट देंगे, इसलिए उनकी साजिश चल रही है। जवाब में अमित शाह ने कहा कि मतदाता सूची की शुद्धिकरण प्रक्रिया स्वतंत्र रूप से चुनाव आयोग द्वारा संचालित है और इसमें केवल गैर-भारतीयों के नाम हटाए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
अमित शाह ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि आधार कार्ड धारक को वोट देने का अधिकार है और चुनाव आयोग को नागरिकता तय करने का हक नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि SIR प्रक्रिया पारदर्शी है और इसका मकसद अवैध मतदाताओं को हटाना है। शाह ने प्रशांत किशोर के आरोपों को आधारहीन बताते हुए कहा कि बिहार की जनता NDA पर भरोसा करती है।
NDA का जीत का दावा
सीतामढ़ी में जनसभा को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA सरकार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आएगी। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग बिहार के विकास को रोकना चाहते हैं, उन्हें जनता जवाब देगी। शाह ने यह भी उल्लेख किया कि केंद्र सरकार बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के लिए कई योजनाएं लागू कर रही है।
विपक्ष का पलटवार
विपक्षी दलों, खासकर जन सुराज के प्रशांत किशोर और राजद के नेताओं ने शाह के बयान की आलोचना की है। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने दावा किया कि SIR के बहाने 25-30 हजार वोटरों के नाम प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से हटाए गए हैं, जिससे विधायकों में हार का डर है। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया NDA के पक्ष में मतदाता सूची को प्रभावित करने की साजिश है।
बिहार में सियासी माहौल
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR और वोटर लिस्ट को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि 61.1 लाख गैर-मौजूद मतदाताओं की पहचान की गई है, जिनके नाम हटाए जा सकते हैं। यह प्रक्रिया बिहार की कई सीटों पर नतीजों को प्रभावित कर सकती है। शाह के बयान ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है, और अब सभी की नजरें आगामी चुनाव पर टिकी हैं।