अलवर के सरकारी अस्पताल में इंसानियत शर्मसार: आईसीयू में बेहोश महिला मरीज के साथ नर्सिंग कर्मी ने किया दुष्कर्म, क्या अब अस्पताल भी सुरक्षित नहीं?
अलवर के ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 4 जून 2025 की रात एक 32 वर्षीय महिला मरीज के साथ आईसीयू में नर्सिंग कर्मचारी द्वारा दुष्कर्म की शर्मनाक घटना सामने आई। बेहोशी की हालत में हुई इस घटना का खुलासा तब हुआ, जब पीड़िता ने 5 जून को होश में आने के बाद अपने पति को आपबीती बताई। आरोपी ने गुनाह कबूल कर लिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की, और अस्पताल प्रशासन ने जांच टीम गठित की। यह घटना अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है।

राजस्थान के अलवर में स्थित ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक ऐसी दिल दहलाने वाली और शर्मसार करने वाली घटना ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया, जिसने अस्पतालों की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़े कर दिए। जहां लोग अपनी जान बचाने और इलाज के लिए अस्पतालों का रुख करते हैं, वहां एक 32 वर्षीय महिला मरीज की अस्मिता को ही लूट लिया गया। यह घिनौना कृत्य उस वक्त हुआ, जब महिला बेहोशी की हालत में आईसीयू में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही थी।
क्या हुआ उस रात?
4 जून 2025 की रात, जब घड़ी ने डेढ़ बजे का समय दिखाया, अस्पताल के आईसीयू में सन्नाटा पसरा था। पीड़िता के पति ने बताया कि उनकी पत्नी को 2 जून को ट्यूब के ऑपरेशन के लिए भर्ती किया गया था। ऑपरेशन के बाद 4 जून को उसे आईसीयू में शिफ्ट किया गया। रात 11 बजे गार्ड ने पति को कमरे से बाहर निकाल दिया, ताकि मरीज को "आराम" मिल सके। लेकिन इसी मौके का फायदा उठाकर एक नर्सिंग कर्मचारी ने अपनी हैवानियत दिखाई। उसने पर्दा लगाकर बेहोश और असहाय महिला के साथ दुष्कर्म किया।
पीड़िता की आपबीती: एक दर्दनाक सच
5 जून को जब महिला को होश आया, तो उसने टूटे मन और डरे हुए दिल से अपने पति को इस भयावह घटना के बारे में बताया। पीड़िता ने कहा कि वह पूरी तरह होश में नहीं थी और न ही हिल-डुल पा रही थी, जिसके चलते वह उस दरिंदे का विरोध भी नहीं कर सकी। उसकी हालत इतनी नाजुक थी कि वह अपनी अस्मिता लुटते हुए देखती रही, लेकिन कुछ कर न सकी।
6 जून को पीड़िता ने साहस जुटाकर डॉ. दीपिका के सामने अपनी आपबीती सुनाई। हैरानी की बात यह है कि जब जांच शुरू हुई, तो आरोपी नर्सिंग कर्मचारी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया, जिसने इस मामले को और भी गंभीर बना दिया।
पुलिस और प्रशासन का रुख
पीड़ित परिवार ने तुरंत एमआईए थाने में शिकायत दर्ज कराई। थाना अधिकारी अजीत बड़सरा ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच शुरू कर दी गई है। उधर, ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज के डीन असीम दास ने कहा कि इस घटना ने अस्पताल प्रशासन को भी सकते में डाल दिया है। मामले की गहराई से जांच के लिए एक विशेष प्रशासनिक जांच टीम गठित की गई है, जो इस बात का पता लगाएगी कि आखिर ऐसी शर्मनाक घटना कैसे हो सकी।
अस्पतालों पर भरोसा टूटा: सवाल बरकरार
यह घटना सिर्फ एक अपराध की कहानी नहीं, बल्कि उस विश्वास का टूटना है, जो लोग अस्पतालों पर करते हैं। अगर इलाज के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले स्थान पर ही महिलाएं सुरक्षित नहीं, तो आम जनता भरोसा कहां करे? यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है:
अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम हैं?
कर्मचारियों की भर्ती और उनकी पृष्ठभूमि की जांच कितनी सख्ती से होती है?
आईसीयू जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी क्यों नाकाफी थी?
समाज में आक्रोश, व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने न केवल अलवर, बल्कि पूरे देश में लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। अस्पताल, जो जिंदगी बचाने का प्रतीक माना जाता है, वहां ऐसी हैवानियत कैसे हो सकती है? सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर गुस्सा और निराशा देखने को मिल रही है। लोग मांग कर रहे हैं कि दोषी को सख्त से सख्त सजा दी जाए और अस्पतालों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं।
यह घटना एक चेतावनी है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सिर्फ इलाज की सुविधा ही काफी नहीं, बल्कि मरीजों की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा भी उतनी ही जरूरी है। क्या इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन और सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगी? या फिर यह सवाल हवा में ही लटके रहेंगे? समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यह घटना हर उस इंसान के लिए एक झटका है, जो अस्पतालों को उम्मीद की किरण मानता है।