अजमेर में बीसीएमओ-यूडीसी को किया एपीओ: वेतन भुगतान न करने और कार्मिकों को प्रताड़ित करने का लगाया आरोप

अजमेर के सरवाड़ ब्लॉक में कर्मचारियों का वेतन कई महीनों तक नहीं देने और स्टाफ को लगातार प्रताड़ित करने के गंभीर आरोपों के बाद ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. कविता पन्नीकर और वरिष्ठ सहायक दीपक शर्मा को जांच के बाद एपीओ (Awaiting Posting Orders) कर दिया गया है।

Nov 21, 2025 - 16:45
अजमेर में बीसीएमओ-यूडीसी को किया एपीओ: वेतन भुगतान न करने और कार्मिकों को प्रताड़ित करने का लगाया आरोप

अजमेर, 21 नवंबर 2025: राजस्थान के अजमेर जिले में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सरवाड़ ब्लॉक में एक बड़ी कार्रवाई की गई है। यहां ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी (बीसीएमओ) डॉ. कविता पन्नीकर और वरिष्ठ सहायक (यूडीसी) दीपक शर्मा को विभागीय स्तर पर निलंबित (एपीओ) कर दिया गया है। यह कार्रवाई विभागीय कर्मचारियों की शिकायतों की जांच के बाद की गई है, जिसमें वेतन भुगतान में देरी, स्टाफ को अनावश्यक प्रताड़ना और अन्य प्रशासनिक अनियमितताओं के गंभीर आरोप शामिल हैं। यह घटना स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है और विभाग में सुधार की मांग को बल दे रही है।

शिकायतों का विवरण: वेतन और प्रताड़ना के आरोप शिकायतों की शुरुआत सरवाड़ ब्लॉक के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा की गई थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, डॉ. कविता पन्नीकर और दीपक शर्मा पर कई गंभीर आरोप लगे हैं:वेतन भुगतान में देरी: कई माह से कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं किया गया, जिससे स्टाफ आर्थिक संकट में फंस गया। कुछ कर्मचारियों ने बताया कि बेसिक सैलरी से लेकर अन्य भत्तों तक का भुगतान लंबित था, जो विभागीय नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। कर्मचारियों को प्रताड़ना: स्टाफ को अनावश्यक रूप से डांटा-फटकारा जाता था और कार्यभार से अधिक जिम्मेदारियां सौंपी जाती थीं। कुछ मामलों में, छोटी-मोटी गलतियों पर धमकियां दी जाती थीं, जिससे कार्य वातावरण विषाक्त हो गया था। एक प्रभावित कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमें रोजाना अपमानित किया जाता था, जबकि हमारी बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो रही थीं।" अन्य प्रशासनिक लापरवाही: दवाओं और उपकरणों की अनियमित खरीद-बिक्री, रिकॉर्ड में हेराफेरी और स्वास्थ्य योजनाओं के तहत लाभार्थियों को समय पर सहायता न पहुंचाने जैसे आरोप भी सामने आए हैं। इन अनियमितताओं से सरवाड़ क्षेत्र के ग्रामीणों की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुईं। ये शिकायतें पिछले कुछ महीनों से जिला मुख्यालय तक पहुंच रही थीं, लेकिन हाल ही में एक औपचारिक जांच टीम गठित की गई, जिसके बाद यह सख्त कदम उठाया गया।

जांच प्रक्रिया: विभागीय स्तर पर त्वरित कार्रवाई चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच का आदेश दिया। जिला कलेक्टर के निर्देश पर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया, जिसमें वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, प्रशासनिक विशेषज्ञ और स्वतंत्र पर्यवेक्षक शामिल थे। जांच में निम्नलिखित कदम उठाए गए:कर्मचारियों के बयान दर्ज: प्रभावित स्टाफ के 20 से अधिक बयान लिए गए, जिनमें वेतन रिकॉर्ड और घटनाओं के प्रमाण संलग्न थे। दस्तावेजों की जांच: वेतन पंजी, स्टॉक रजिस्टर और प्रशासनिक फाइलों का ऑडिट किया गया, जिसमें कई विसंगतियां पाई गईं। साइट विजिट: सरवाड़ स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया गया, जहां स्टाफ की कमी और उपकरणों की खराब स्थिति सामने आई। जांच रिपोर्ट में आरोपों को सत्यापित पाया गया, जिसके आधार पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) अजमेर ने निलंबन का आदेश जारी किया। डॉ. कविता पन्नीकर को तुरंत जिला से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया है, जबकि दीपक शर्मा को मुख्यालय में अटैच किया गया। निलंबन अवधि के दौरान उनका वेतन आधी सैलरी पर सीमित रहेगा, और विभागीय जांच आगे जारी रहेगी।

प्रभाव और विभागीय प्रतिक्रिया;  यह निलंबन सरवाड़ ब्लॉक के स्वास्थ्य ढांचे पर तत्काल प्रभाव डालेगा। स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों में स्टाफ की संख्या पहले से कम है, और इस कार्रवाई से सेवाओं में और व्यवधान हो सकता है। हालांकि, जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि नए अधिकारी जल्द नियुक्त किए जाएंगे। सीएमएचओ ने कहा, "हम स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपना रहे हैं। ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।"कर्मचारी संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया है। अजमेर डिस्ट्रिक्ट मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया, "यह एक सकारात्मक संकेत है। अब हम उम्मीद करते हैं कि सभी लंबित वेतन 15 दिनों में जारी हो जाएंगे।" दूसरी ओर, कुछ स्थानीय निवासियों ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग की है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां डॉक्टरों की कमी लंबे समय से समस्या बनी हुई है।

पृष्ठभूमि: अजमेर स्वास्थ्य विभाग की चुनौतियां अजमेर जिले में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग पिछले वर्षों से कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। कोविड-19 महामारी के बाद से स्टाफ की कमी, बजट की किल्लत और प्रशासनिक भ्रष्टाचार के आरोप बढ़े हैं। सरवाड़ ब्लॉक, जो अजमेर के ग्रामीण इलाकों में आता है, विशेष रूप से प्रभावित रहा है, जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) की स्थिति दयनीय है। हालिया एक सर्वे में पाया गया कि जिले के 40% से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर अनुपस्थित रहते हैं।यह घटना राज्य स्तर पर भी चर्चा का विषय बनी हुई है। स्वास्थ्य मंत्री ने जिला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऐसी शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई हो और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम और नियमित ऑडिट से ऐसी समस्याओं को रोका जा सकता है।