दीपावली का पावन पर्व: आज दोपहर में अमावस्या का संयोग, जाने सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

भारतीय संस्कृति के सबसे उज्ज्वल और आनंदमय त्योहारों में से एक दीपावली आज पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व न केवल अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, बल्कि समृद्धि, धन-धान्य की प्राप्ति और पारिवारिक एकता का संदेश भी देता है। इस वर्ष विशेष संयोग बन रहा है, जब दीपावली के दिन दोपहर के समय अमावस्या का प्रभाव चरम पर होगा। ज्योतिषीय दृष्टि से यह समय पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए, इस उत्सव की तैयारियों, शुभ मुहूर्तों और पारंपरिक रीति-रिवाजों पर विस्तार से नजर डाले।

Oct 20, 2025 - 11:43
दीपावली का पावन पर्व: आज दोपहर में अमावस्या का संयोग, जाने सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

*अमावस्या का विशेष महत्व: दोपहर में चरमोत्कर्ष*

दीपावली का मूल आधार कार्तिक मास की अमावस्या ही है, जो आज दोपहर लगभग 12 बजे से अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देगी। अमावस्या का यह समय नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने और सकारात्मक शक्तियों को आकर्षित करने का सर्वोत्तम अवसर प्रदान करता है। इस दिन माता लक्ष्मी की आराधना विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है, क्योंकि अमावस्या रात्रि में चंद्रमा की अनुपस्थिति के कारण आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है।दोपहर के इस संयोग से पूजन का प्रभाव दोगुना हो जाता है, लेकिन इसे सही मुहूर्त में ही संपन्न करना चाहिए ताकि पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। अमावस्या के प्रभाव से पहले और बाद में सूर्योदय से सूर्यास्त तक का समय पूजा के लिए अनुकूल रहेगा, लेकिन रात्रि का काल तो दीप प्रज्वलन के लिए स्वाभाविक रूप से आदर्श है।

शुभ मुहूर्त: प्रदोषकाल और सिंह मुहूर्त सबसे उत्तमपूजन के लिए सटीक समय का चयन उत्सव की सफलता की कुंजी है। इस दीपावली पर दो सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त सामने आ रहे हैं—प्रदोषकाल और सिंह मुहूर्त।

 प्रदोषकाल: यह सायंकाल का वह समय है जब सूर्यास्त के आसपास सूर्य की किरणें कमजोर पड़ने लगती हैं, जो देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। आज प्रदोषकाल दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक रहेगा। इस दौरान दीपक जलाना, लक्ष्मी-गणेश पूजन और धनतेरस की तरह ही धातु वस्तुओं का दान करना शुभ फल देगा। ज्योतिषी बताते हैं कि प्रदोषकाल में की गई आरती से घर में सुख-समृद्धि का वास हो जाता है।

सिंह मुहूर्त: राशि चक्र की दृष्टि से सिंह राशि का प्रभाव आज दोपहर 1:30 बजे से 3:00 बजे तक रहेगा। यह मुहूर्त साहस, नेतृत्व और आर्थिक उन्नति का प्रतीक है। सिंह मुहूर्त में पूजन करने से व्यापारिक लाभ और पारिवारिक सौहार्द में वृद्धि होती है। इस समय गणेश जी की स्थापना और वास्तु शांति के उपाय अपनाने विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध होंगे।

अन्य मुहूर्त जैसे अभिजित मुहूर्त (दोपहर 5:55 बजे से 9:29 बजे तक) भी पूजन के लिए उपयोगी हैं, लेकिन प्रदोष और सिंह को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। पंचांग के अनुसार, आज का सम्पूर्ण दिन शुभ है, परंतु राहुकाल (रात 2 से 3 बजे तक) से बचें।घर-घर पूजन की धूम: पारंपरिक विधि और सामग्रीदीपावली पर हर घर में पूजन की धूम मच जाती है। सुबह से ही परिवारजन एकत्र होकर सफाई, सजावट और पूजन सामग्री की तैयारी में जुट जाते हैं। मुख्य पूजन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का किया जाता है, जो धन की देवी और विघ्नहर्ता के रूप में पूजे जाते हैं। 

पूजन विधि इस प्रकार है:

स्थान शुद्धिकरण: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और स्वास्तिक चिह्न बनाएं। 

कलश स्थापना: मंगल कलश में सुपारी, सुपाला और सिक्के डालकर स्थापित करें।

मूर्ति स्थापना: लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को लाल कपड़े पर रखें और फूलों से सजाएं।

आरती और मंत्र जाप: "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्मी..." मंत्र का जाप करें, उसके बाद 21 दीपक जलाएं। दान-पुण्य: पूजन के अंत में फल, मिठाई और वस्त्रों का दान करें।

आज के संयोग में अमावस्या के प्रभाव से पूजन का समय शाम 5 बजे के बाद शुरू करना उचित रहेगा। घरों में रंगोली, तोरण और फूलों की मालाओं से सजावट की जाएगी, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखती है।

आतिशबाजी की रौनक: सुरक्षा के साथ उत्सव का आनंददीपावली का एक अभिन्न अंग है आतिशबाजी, जो रात्रि में आकाश को रंग-बिरंगे फूलों से सजाती है। लेकिन पर्यावरण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सीमित और सुरक्षित तरीके से इसका उपयोग करें। केवल ग्रीन पटाखों का ही प्रयोग हो, जो कम धुंध पैदा करते हैं। बच्चे और बुजुर्गों को दूरी बनाए रखें, और आग बुझाने के साधन तैयार रखें। आतिशबाजी के माध्यम से बच्चे-बूढ़े सभी उत्सव में शरीक होते हैं, जो पारिवारिक बंधन को मजबूत बनाती है।

सांस्कृतिक संदेश और सावधानियां

दीपावली केवल उत्सव ही नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों का संग्रह है। यह राम-रावण की विजय, कृष्ण की नरकासुर पर जीत और व्यापारियों के नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन मिठाई वितरण, दीपमालिका और लक्ष्मी पूजन से घर में सकारात्मकता का संचार होता है। हालांकि, प्रदूषण, शोर और दुर्घटनाओं से बचाव के लिए सतर्क रहें। ज्योतिषी सुझाव देते हैं कि पूजन के बाद काले तिल का दान अमावस्या के दोष को कम करता है।