"33 साल का इंतजार: बाड़मेर सांसद ने उठाई किसानों की आवाज, मुआवजे और खेती की मांग तेज"
लोकसभा सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने संसद के शून्यकाल में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तारबंदी के कारण प्रभावित किसानों के दर्द को जोरदार तरीके से उठाया।

रिपोर्ट जसवंत सिंह शिवकर - बाड़मेर, राजस्थान: लोकसभा सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने संसद के शून्यकाल में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तारबंदी के कारण प्रभावित किसानों के दर्द को जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने बताया कि 1992 में राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर जिलों में हुई तारबंदी के चलते हजारों बीघा जमीन जीरो पॉइंट और तारबंदी के बीच अवाप्त हो गई थी। 33 साल बीत जाने के बावजूद न तो किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा मिला और न ही वे अपनी जमीन पर खेती कर पा रहे हैं। सांसद ने केंद्र सरकार से मांग की है कि किसानों को उचित मुआवजा दिलवाया जाए और खेती करने की अनुमति दी जाए।
तारबंदी का दंश: 1070 किमी का प्रभाव
सांसद बेनीवाल ने लोकसभा में बताया कि भारत-पाकिस्तान सीमा पर 1992 में की गई तारबंदी के कारण उनके संसदीय क्षेत्र बाड़मेर में 228 किलोमीटर और जैसलमेर में 464 किलोमीटर की दूरी प्रभावित हुई। इसके अलावा बीकानेर और श्रीगंगानगर जिलों को मिलाकर कुल 1070 किलोमीटर लंबी सीमा पर तारबंदी और जीरो पॉइंट के बीच किसानों की हजारों बीघा जमीन अवाप्ति में आ गई। यह तारबंदी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी थी, लेकिन इसका सबसे बड़ा खामियाजा सीमावर्ती इलाकों के किसानों को भुगतना पड़ा।
33 साल से अधर में मुआवजा और खेती का अधिकार
उम्मेदाराम बेनीवाल ने सदन में कहा कि तारबंदी के 33 साल बाद भी इन किसानों को न तो उनकी जमीन का मुआवजा मिला और न ही वे अपनी जमीन पर खेती कर पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि किसान लंबे समय से अपनी जमीन पर खेती करने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही। दूसरी ओर, पंजाब में सीमावर्ती इलाकों के किसानों को खेती करने की अनुमति दी गई है, जिसे आधार बनाकर बेनीवाल ने राजस्थान के किसानों के लिए भी समान अधिकार की मांग की।
"किसानों का नुकसान, सरकार की जिम्मेदारी"
सांसद ने केंद्र सरकार से अपील की कि इन 33 सालों में खेती न कर पाने से किसानों को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए विशेष बजट आवंटित किया जाए। उन्होंने कहा, "यह किसानों के साथ अन्याय है। उनकी जमीन छिन गई, मुआवजा नहीं मिला और खेती का अधिकार भी नहीं दिया जा रहा। सरकार को इस दिशा में तत्काल कदम उठाना चाहिए।" बेनीवाल ने मांग की कि किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा दिया जाए और उन्हें खेती करने की अनुमति प्रदान की जाए, ताकि वे अपनी आजीविका फिर से शुरू कर सकें।
पंजाब से तुलना, राजस्थान में भेदभाव क्यों?
बेनीवाल ने पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां सीमावर्ती क्षेत्रों में किसानों को खेती की अनुमति दी गई है, लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर राजस्थान के किसानों के साथ यह भेदभाव क्यों? सांसद ने इसे किसानों के प्रति सरकार की उदासीनता करार दिया और इस मुद्दे को जल्द से जल्द हल करने की मांग की।
संसद में गूंजा किसानों का मुद्दा
बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने इस मुद्दे को शून्यकाल में उठाकर सीमावर्ती किसानों की पीड़ा को राष्ट्रीय मंच पर ला दिया। उनकी इस पहल को क्षेत्र के किसानों ने सराहा है और उम्मीद जताई है कि उनकी मांगों पर जल्द कार्रवाई होगी। बेनीवाल का कहना है कि वे इस मुद्दे को तब तक उठाते रहेंगे, जब तक किसानों को उनका हक नहीं मिल जाता।