विश्व पर्यावरण दिवस 2025: सैनिटरी पैड से परफ्यूम तक, रोज़मर्रा की चीज़ें कैसे बन रही हैं धरती की दुश्मन
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 पर जानें कैसे सैनिटरी पैड, टूथपेस्ट, परफ्यूम और वॉशिंग पाउडर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये रोज़मर्रा की चीज़ें प्लास्टिक और केमिकल्स के ज़रिए जल, मिट्टी और वायु प्रदूषण बढ़ाती हैं। इको-फ्रेंडली विकल्प अपनाकर हम धरती को बचा सकते हैं।

5 जून, 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के मौके पर पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इस साल की थीम "प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना" (Ending Plastic Pollution) है, जो प्लास्टिक कचरे के खतरों पर ध्यान केंद्रित करती है। इस अवसर पर जानिए, कैसे रोजमर्रा की चीजें जैसे सैनिटरी पैड, परफ्यूम, टूथपेस्ट और वॉशिंग पाउडर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
1. सैनिटरी पैड: स्वच्छता के साथ पर्यावरण को नुकसान
सैनिटरी पैड महिलाओं की स्वच्छता के लिए जरूरी हैं, लेकिन इनका 90% हिस्सा प्लास्टिक से बना होता है, जो सैकड़ों वर्षों तक नष्ट नहीं होता। भारत में हर साल करीब 43.4 करोड़ सैनिटरी नैपकिन इस्तेमाल होते हैं, जो 113,000 टन गैर-कम्पोस्टेबल कचरा पैदा करते हैं। इनमें मौजूद केमिकल्स जैसे डायोक्सिन और फ्यूरन न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ाते हैं।
समाधान:
- बायोडिग्रेडेबल या कॉटन पैड का इस्तेमाल करें।
- मेंस्ट्रुअल कप या पीरियड पैंटी जैसे पर्यावरण-अनुकूल विकल्प अपनाएं।
2. टूथपेस्ट: छोटी ट्यूब, बड़ा खतरा
टूथपेस्ट की प्लास्टिक ट्यूब्स 500 साल तक नष्ट नहीं होतीं। भारत में हर साल 100 करोड़ टूथपेस्ट ट्यूब्स बिकती हैं, जो पर्यावरण के लिए गंभीर चुनौती हैं। इनमें मौजूद माइक्रोप्लास्टिक और केमिकल्स जलस्रोतों में मिलकर जलीय जीवों को नुकसान पहुंचाते हैं।
समाधान:
- मटर के दाने जितना (1-2 ग्राम) टूथपेस्ट इस्तेमाल करें।
- नीम, लौंग या बेकिंग सोडा जैसे प्राकृतिक विकल्पों वाले टूथपेस्ट चुनें।
- ट्यूब को रीसाइकल करें या बांस के टूथब्रश का उपयोग करें।
3. परफ्यूम: खुशबू के पीछे प्रदूषण
परफ्यूम और डिओडोरेंट्स में मौजूद वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स (VOCs) वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं, जो कारों के उत्सर्जन जितना नुकसानदेह हो सकता है। इनकी प्लास्टिक बोतलें भी कचरे का बड़ा कारण हैं।
समाधान:
- प्राकृतिक एसेंशियल ऑयल्स या हर्बल परफ्यूम्स का इस्तेमाल करें।
- खाली बोतलों को रीयूज या रीसाइकल करें।
4. वॉशिंग पाउडर: माइक्रोप्लास्टिक का स्रोत
कपड़े धोने से हर बार लगभग 7 लाख माइक्रोप्लास्टिक कण निकलते हैं, जो जलस्रोतों में मिलकर जलीय जीवन को नुकसान पहुंचाते हैं। वॉशिंग पाउडर में मौजूद केमिकल्स मिट्टी और पानी को प्रदूषित करते हैं।
समाधान:
- इको-फ्रेंडली डिटर्जेंट का उपयोग करें।
- वॉशिंग मशीन में माइक्रोप्लास्टिक फिल्टर लगाएं।
- हाथ से कपड़े धोने को प्राथमिकता दें।
विश्व पर्यावरण दिवस का महत्व
विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत 1972 में स्टॉकहोम सम्मेलन में हुई थी, और पहली बार 1974 में इसे मनाया गया। इस साल सऊदी अरब इसकी मेजबानी कर रहा है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि छोटे-छोटे कदम, जैसे प्लास्टिक का कम इस्तेमाल और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को अपनाना, धरती को बचाने में बड़ा बदलाव ला सकता है।
सैनिटरी पैड, टूथपेस्ट, परफ्यूम और वॉशिंग पाउडर जैसी रोजमर्रा की चीजें सुविधा तो देती हैं, लेकिन पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा भी हैं। विश्व पर्यावरण दिवस 2025 हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी आदतों में बदलाव लाएं और इको-फ्रेंडली विकल्प अपनाकर धरती को स्वच्छ और सुरक्षित बनाएं।