RSS प्रमुख भागवत बोले- निर्भरता न बने मजबूरी: पहलगाम हमले ने खोला दोस्त-दुश्मनों का राज, सुरक्षा के लिए सतर्क और ताकतवर बनें
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के विजयादशमी उत्सव में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने देश की सुरक्षा और आर्थिक स्वावलंबन पर गहन चिंतन व्यक्त किया। नागपुर के रेसकोर्स मैदान में आयोजित भव्य समारोह में भागवत ने अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि यह घटना दोस्तों और दुश्मनों के बीच की रेखा को स्पष्ट कर देती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश को सतर्क रहते हुए अपनी ताकत बढ़ानी होगी, ताकि ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।
पहलगाम हमले से सबक: धर्म पूछकर की गई हत्या ने खोली आंखें
भागवत ने अपने भाषण की शुरुआत में हाल ही में पहलगाम में हुए क्रूर हमले का उल्लेख किया। अप्रैल 2025 में आतंकियों ने 26 भारतीय पर्यटकों की हत्या कर दी, जिसमें उनकी धार्मिक पहचान पूछकर निशाना बनाया गया। संघ प्रमुख ने कहा, "यह हमला हमें बता गया कि कौन सच्चा मित्र है और कौन छिपा हुआ शत्रु। धर्म के नाम पर हिंसा करने वाले कभी दोस्त नहीं हो सकते।" उन्होंने देशवासियों से अपील की कि सुरक्षा के लिए सतर्कता और शक्ति संचय आवश्यक है। "सभी के साथ मित्रता रखें, लेकिन अपनी रक्षा के लिए तैयार रहें। कमजोरी दुश्मनों को आमंत्रित करती है," भागवत ने चेतावनी दी। इस संदर्भ में उन्होंने हिंदू समाज की एकता पर बल दिया, जो राष्ट्र की मजबूती का आधार है।
अमेरिकी टैरिफ नीति पर कड़ा रुख: निर्भरता न बने मजबूरी
आर्थिक मोर्चे पर बोलते हुए मोहन भागवत ने अमेरिका की नई टैरिफ नीति का जिक्र किया, जो भारतीय निर्यात को प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा, "बाहरी निर्भरता कभी-कभी मजबूरी बन जाती है, जो देश के हितों के विरुद्ध है। हमें स्वदेशी उत्पादों और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में और तेजी से कदम बढ़ाने होंगे।" भागवत ने स्वदेशी आंदोलन को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया। "अपने उत्पादों पर भरोसा करें, ताकि विदेशी दबाव हमें झुकने न पड़े। आरएसएस हमेशा से स्वदेशी को बढ़ावा देता आया है, और यह समय है कि समाज इस दिशा में सक्रिय हो," उन्होंने जोर दिया। यह बयान वर्तमान वैश्विक व्यापार युद्ध के बीच विशेष रूप से प्रासंगिक है।
हिंदू एकता और स्वदेशी: विजयादशमी का संदेश
विजयादशमी के पावन अवसर पर भागवत ने हिंदू समाज को एकजुट रहने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि संगठन ही राष्ट्र की प्रगति का मूल मंत्र है। आरएसएस के शताब्दी वर्ष के रूप में इस उत्सव को याद करते हुए उन्होंने संगठन के 100 वर्षों के योगदान को रेखांकित किया। स्वदेशी के अलावा, उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता पर भी बल दिया। "हिंदू संस्कृति में सभी का समावेश है, लेकिन एकता के बिना हम कमजोर रहेंगे," भागवत ने कहा। समारोह में शस्त्र पूजा और राष्ट्रीय गान के साथ उत्सव संपन्न हुआ।
गुरु तेग बहादुर और गांधी की शहादत: प्रेरणा के स्रोत
भाषण के दौरान भागवत ने सिख गुरु तेग बहादुर की शहादत को याद किया, जो धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं। "गुरु तेग बहादुर का बलिदान हमें सिखाता है कि अन्याय के विरुद्ध खड़े होना ही सच्ची विजय है," उन्होंने कहा। इसी क्रम में महात्मा गांधी के अहिंसा और स्वदेशी के योगदान को भी श्रद्धांजलि दी गई। "गांधीजी ने दिखाया कि सत्य और अहिंसा से ही राष्ट्र निर्माण संभव है। आज भी उनके सिद्धांत प्रासंगिक हैं," भागवत ने जोर दिया।