66 साल की उम्र में सपनों को पंख: फूल सिंह मीणा का प्रेरणादायक शिक्षा सफर

फूल सिंह मीणा, उदयपुर ग्रामीण से तीन बार के विधायक, ने 67 साल की उम्र में शिक्षा की मिसाल कायम की। सातवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ने वाले मीणा ने अपनी बेटियों की प्रेरणा से 2013 में पढ़ाई दोबारा शुरू की। उन्होंने 10वीं, 12वीं, बीए पास किया और अब एमए पॉलिटिकल साइंस के फाइनल ईयर में हैं। उनका लक्ष्य पीएचडी करना और समाज में शिक्षा को बढ़ावा देना है। उनकी कहानी दृढ़ संकल्प और शिक्षा के महत्व को दर्शाती है।

May 24, 2025 - 12:38
May 24, 2025 - 13:02
66 साल की उम्र में सपनों को पंख: फूल सिंह मीणा का प्रेरणादायक शिक्षा सफर

कहते हैं कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती, और इस कहावत को साकार किया है राजस्थान के उदयपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से तीन बार के विधायक फूल सिंह मीणा ने। 66 साल की उम्र में, जहां लोग रिटायरमेंट की योजना बनाते हैं, फूल सिंह मीणा ने अपनी पढ़ाई को नया आयाम दिया और एमए पॉलिटिकल साइंस के फाइनल ईयर में पहुंच गए। यह कहानी न केवल उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति की है, बल्कि उनकी पांच बेटियों की प्रेरणा और समाज के प्रति उनके समर्पण की भी गवाही देती है। 

शुरुआती जीवन: मजबूरी में छूटी पढ़ाई

15 अगस्त 1959 को भीलवाड़ा जिले के गाडोली गांव में जन्मे फूल सिंह मीणा का बचपन साधारण था। उनके पिता स्व. माधोसिंह मीणा की मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। महज सातवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद, पारिवारिक परिस्थितियों के कारण उन्हें पढ़ाई छोड़कर खेती और मजदूरी शुरू करनी पड़ी। वह अपने ननिहाल बिशनपुरा, हिंडोली, बूंदी जाकर खेती में जुट गए और बाद में आर्थिक तंगी के चलते मजदूरी भी की। उस समय उनके लिए शिक्षा एक दूर का सपना थी, लेकिन उनके मन में हमेशा पढ़ाई पूरी करने की इच्छा बनी रही।

राजनीति में प्रवेश और नई शुरुआत

फूल सिंह मीणा का राजनीतिक सफर 1997 में शुरू हुआ, जब उनकी पत्नी शांति देवी उदयपुर नगर परिषद के चुनाव में बीजेपी से लड़ीं, हालांकि वह हार गईं। इसके बाद 2009 में फूल सिंह को बीजेपी से वार्ड पार्षद का टिकट मिला और वह जीत गए। 2013 में उन्हें उदयपुर ग्रामीण विधानसभा सीट से टिकट मिला, और उन्होंने 13,764 मतों से जीत हासिल की। 2018 में 18,707 मतों और 2023 में 27,000 मतों के अंतर से जीतकर वह लगातार तीन बार विधायक बने।

लेकिन राजनीति में सफलता के साथ-साथ फूल सिंह को एक कमी खलती थी। वह जब स्कूलों में बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने जाते, तो उन्हें अपनी अधूरी पढ़ाई का मलाल होता। वह सोचते, "मैं खुद पढ़ा-लिखा नहीं हूं, तो किस हक से दूसरों को शिक्षा की सलाह दूं?"

बेटियों की प्रेरणा: पढ़ाई की नई शुरुआत

2013 में फूल सिंह मीणा की जिंदगी में एक नया मोड़ आया। उनकी पांच बेटियों, जिनमें से चार पोस्ट-ग्रेजुएट हैं और एक पुणे में लॉ की पढ़ाई कर रही है, ने उन्हें पढ़ाई फिर से शुरू करने के लिए प्रेरित किया। बेटियों का कहना था, "पापा, आप दूसरों को शिक्षा की बात करते हैं, तो पहले खुद को शिक्षित करना जरूरी है।" बेटियों ने 2013 में उनके लिए ओपन स्कूल से 10वीं कक्षा का फॉर्म भरवाया।

हालांकि, विधायक बनने के बाद व्यस्तता के कारण वह 2014 में परीक्षा नहीं दे पाए। लेकिन बेटियों ने हार नहीं मानी और 2015 में फिर से फॉर्म भरवाया। इस बार फूल सिंह ने 10वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद 2016-17 में उन्होंने 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की। यह उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि 40 साल बाद उन्होंने स्कूल की किताबें फिर से खोली थीं।

बीए से एमए तक का सफर

10वीं और 12वीं पास करने के बाद फूल सिंह का आत्मविश्वास बढ़ा। उन्होंने 2018 में वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी से बीए में दाखिला लिया, जिसमें उन्होंने राजनीति विज्ञान, लोक प्रशासन और समाजशास्त्र जैसे विषय चुने। यह विषय उनके विधायकी कार्यों और सामाजिक जुड़ाव से मेल खाते थे। 2018 में उन्होंने बीए प्रथम वर्ष, 2019 में द्वितीय वर्ष पास किया, और 2023 में छह साल की कड़ी मेहनत के बाद बीए फाइनल ईयर उत्तीर्ण किया।

बीए पूरा करने के बाद फूल सिंह ने रुकने का नाम नहीं लिया। उन्होंने एमए पॉलिटिकल साइंस में दाखिला लिया और 2025 तक वह एमए के फाइनल ईयर में पहुंच गए। वह बताते हैं कि अंग्रेजी और कंप्यूटर शिक्षा में उन्हें कुछ दिक्कतें आईं, लेकिन बेटियों और उदयपुर के शिक्षक संजय लुणावत के सहयोग से उन्होंने हर बाधा को पार किया। संजय ने उन्हें ऑडियो और लिखित नोट्स उपलब्ध कराए, जिससे पढ़ाई आसान हुई।

प्रेरणा का स्रोत: बेटियां और पीएम मोदी

फूल सिंह मीणा अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपनी बेटियों के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी देते हैं। वह कहते हैं कि पीएम मोदी की "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" मुहिम ने उन्हें लड़कियों की शिक्षा के प्रति जागरूक किया। इसके तहत उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में लड़कियों को शिक्षित करने की मुहिम चलाई और खुद भी पढ़ाई में जुट गए।

वह कहते हैं, "शिक्षा के बिना एक जनप्रतिनिधि अधूरा है। अगर मैं पढ़ा-लिखा होऊंगा, तभी जनता के दुख-दर्द को बेहतर समझकर समाधान कर पाऊंगा।"

भविष्य की योजना: पीएचडी का सपना

फूल सिंह मीणा की नजर अब एमए पूरा करने और पीएचडी करने पर है। वह चाहते हैं कि उनके नाम के आगे "डॉक्टर" की उपाधि लगे, ताकि वह समाज को यह संदेश दे सकें कि शिक्षा के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। उनकी यह मेहनत न केवल उनके लिए, बल्कि उनके विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए भी प्रेरणा बन गई है। वह अपने क्षेत्र में शिक्षा का स्तर बढ़ाने और खासकर लड़कियों को पढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।

समाज के लिए प्रेरणा

फूल सिंह मीणा की कहानी उन लोगों के लिए एक मिसाल है, जो सोचते हैं कि उम्र बढ़ने के बाद पढ़ाई संभव नहीं है। उन्होंने न केवल अपनी पढ़ाई पूरी की, बल्कि अपने क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। स्कूलों में साइकिल वितरण, पंचायत भवन का उद्घाटन, और जनसुनवाई में लोगों की समस्याओं का समाधान करना उनके कार्यों का हिस्सा है।

उनके इस सफर को देखकर उनके क्षेत्र के लोग भी प्रेरित हो रहे हैं। वह कहते हैं, "मैं चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र का हर बच्चा शिक्षित हो, क्योंकि शिक्षा ही विकास का आधार है।

फूल सिंह मीणा की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है, जो अपनी परिस्थितियों के आगे हार मान लेता है। 66 साल की उम्र में एमए की पढ़ाई और पीएचडी का सपना देखने वाले इस विधायक ने साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प और परिवार का साथ हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उनकी बेटियों ने न केवल उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित किया, बल्कि उनके क्षेत्र के लोगों को भी शिक्षा का महत्व समझाया। फूल सिंह मीणा की यह कहानी हमें सिखाती है कि शिक्षा न केवल ज्ञान देती है, बल्कि आत्मविश्वास और समाज को बदलने की ताकत भी देती है।