मूक-बधिर युवती के साथ दरिंदगी, वीआईपी क्षेत्र में गैंगरेप ने उजागर की सुरक्षा की खामियां.
बलरामपुर की सड़कों पर एक मूक-बधिर युवती की चीखें भले ही सुनाई न दीं, लेकिन उसकी दर्दनाक कहानी ने पूरे देश को झकझोर दिया। 11 अगस्त की रात, 21 साल की युवती अपने मामा के घर से पैदल लौट रही थी, जब बाइक सवार दरिंदों ने उसे अगवा कर लिया। वीआईपी इलाके में, पुलिस चौकी से चंद कदम दूर, झाड़ियों में उसे अपनी हवस का शिकार बनाया गया। पुलिस ने मुठभेड़ में दो आरोपियों पकड़ा, लेकिन खराब सीसीटीवी और लचर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी का चेहरा है।

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में 11 अगस्त 2025 की रात एक दिल दहलाने वाली घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। एक 21 वर्षीय मूक-बधिर युवती के साथ सामूहिक बलात्कार की वारदात ने न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए, बल्कि जिले के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था की पोल भी खोल दी। यह घटना देहात कोतवाली क्षेत्र के बहादुरपुर पुलिस चौकी से मात्र 20 मीटर की दूरी पर हुई, जहां जिला मजिस्ट्रेट (डीएम), पुलिस अधीक्षक (एसपी), और जिला जज जैसे वरिष्ठ अधिकारियों के आवास और कार्यालय स्थित हैं।
घटना का विवरण
सोमवार की शाम, 21 वर्षीय मूक-बधिर युवती अपने मामा के घर से पैदल अपने घर लौट रही थी। दोनों घरों के बीच की दूरी लगभग एक किलोमीटर थी। रास्ते में, बाइक सवार कुछ युवकों ने उसे रोका और जबरन अपनी मोटरसाइकिल पर बैठा लिया। पुलिस के अनुसार, युवती को बहादुरपुर पुलिस चौकी के पीछे झाड़ियों में ले जाया गया, जहां उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। युवती की मूक-बधिर स्थिति के कारण वह न तो शोर मचा सकी और न ही मदद के लिए पुकार सकी। घटना के समय का एक सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें युवती सड़क पर अपनी जान बचाने के लिए भागती नजर आ रही है। फुटेज में तीन से चार बाइक सवार उसका पीछा करते दिख रहे हैं। यह फुटेज पुलिस अधीक्षक के आवास के पास लगे एक कैमरे में रिकॉर्ड हुआ, जो अब इस मामले में महत्वपूर्ण सबूत बन गया है।
पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की। पीड़िता के भाई की तहरीर पर मामला दर्ज किया गया, और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच शुरू की गई। पुलिस ने दो मुख्य आरोपियों, अंकुर वर्मा और हर्षित पांडे, की पहचान की। मंगलवार देर रात, पुलिस को सूचना मिली कि दोनों आरोपी कुकुरभुकवा गांव में छिपे हुए हैं और नेपाल भागने की फिराक में हैं। पुलिस ने जब उन्हें पकड़ने की कोशिश की, तो आरोपियों ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में दोनों आरोपी पैरों में गोली लगने से घायल हो गए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने बताया कि पीड़िता ने इशारों में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी, जिसके आधार पर विशेषज्ञों की मदद से जांच को आगे बढ़ाया गया। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि इस वारदात में अन्य लोग शामिल थे या नहीं।
पीड़िता की स्थिति और परिवार का गुस्सा
घटना के बाद युवती को बहादुरपुर पुलिस चौकी के पास झाड़ियों में बेहोश और बदहवास हालत में पाया गया। परिजनों ने उसे तुरंत जिला महिला अस्पताल पहुंचाया, जहां मेडिकल जांच में बलात्कार की पुष्टि हुई। फिलहाल, पीड़िता की हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन वह गहरे सदमे में है। पीड़िता के परिवार ने पुलिस और प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि जिस क्षेत्र में यह वारदात हुई, वह जिले का सबसे सुरक्षित हिस्सा माना जाता है, जहां डीएम, एसपी, और अन्य बड़े अधिकारियों के आवास हैं। इसके बावजूद, बहादुरपुर पुलिस चौकी के पास लगे तीन से चार सीसीटीवी कैमरे खराब पाए गए, जो इस घटना के समय काम नहीं कर रहे थे। परिवार ने सवाल उठाया कि जब इतने सुरक्षित क्षेत्र में उनकी बेटी सुरक्षित नहीं है, तो जिले के अन्य हिस्सों का क्या हाल होगा?
सामाजिक और प्रशासनिक सवाल
इस घटना ने बलरामपुर में अपराधियों के बेखौफ रवैये और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल फुटेज ने लोगों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। कई लोग उत्तर प्रदेश पुलिस के 'ऑपरेशन त्रिनेत्र' की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठा रहे हैं, जिसके तहत सीसीटीवी कैमरों के जरिए अपराधों पर निगरानी रखने का दावा किया जाता है। इस मामले में न केवल पुलिस चौकी के पास के कैमरे खराब थे, बल्कि पास के रेलवे फाटक का कैमरा भी काम नहीं कर रहा था।
यह घटना न केवल एक मूक-बधिर युवती के साथ हुई क्रूरता की कहानी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि महिलाओं की सुरक्षा, खासकर समाज के कमजोर वर्गों की, अभी भी एक बड़ा मुद्दा है। वीआईपी क्षेत्र में हुई इस वारदात ने प्रशासन की लापरवाही और सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है। पुलिस ने भले ही त्वरित कार्रवाई कर दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया हो, लेकिन इस घटना ने समाज और प्रशासन को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि ऐसी वारदातों को रोकने के लिए और क्या कदम उठाए जाने चाहिए।