राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के निलंबित सदस्य बाबूलाल कटारा को 2022 के ग्रेड सेकेंड टीचर भर्ती पेपर लीक मामले में जयपुर की विशेष सीबीआई अदालत ने बड़ा झटका दिया है। 4 अप्रैल 2025 को अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी, जबकि उनके भांजे विजय कटारा को जमानत पर राहत मिली। बाबूलाल को अप्रैल 2023 में राजस्थान पुलिस के विशेष अभियान समूह (SOG) ने गिरफ्तार किया था, और तब से वह जेल में हैं। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी जांच की, जिसमें 60 लाख रुपये के लेनदेन का खुलासा हुआ। यह मामला राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
पेपर लीक का सनसनीखेज मामला
2022 में 21 से 24 दिसंबर के बीच आयोजित ग्रेड सेकेंड शिक्षक भर्ती परीक्षा का सामान्य ज्ञान प्रश्नपत्र लीक होने के बाद यह मामला सुर्खियों में आया। SOG की जांच में पता चला कि RPSC के तत्कालीन सदस्य बाबूलाल कटारा ने प्रश्नपत्र को निलंबित सरकारी स्कूल उप-प्राचार्य अनिल कुमार मीणा उर्फ शेर सिंह को 60 लाख रुपये में बेचा। मीणा ने इस पेपर को भूपेंद्र सारण और सुरेश ढाका जैसे मुख्य सरगनाओं को 8-10 लाख रुपये प्रति उम्मीदवार के हिसाब से बेचा। इस लीक के कारण परीक्षा रद्द कर दी गई, और 55 लोगों, जिनमें 37 उम्मीदवार शामिल थे, को गिरफ्तार किया गया।
सीबीआई कोर्ट का फैसला
जयपुर की विशेष सीबीआई अदालत ने बाबूलाल कटारा की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। अदालत ने राजस्थान हाई कोर्ट के अन्य आरोपियों की जमानत खारिज करने के फैसले का हवाला दिया। 24 फरवरी 2025 को हाई कोर्ट ने इस मामले में अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज करते हुए कहा था कि सार्वजनिक परीक्षाओं के पेपर लीक का समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। सीबीआई कोर्ट ने इस आधार पर बाबूलाल को जमानत देने से इनकार किया। हालांकि, उनके भांजे विजय कटारा को जमानत दी गई, क्योंकि उनके खिलाफ सबूतों की कमी थी।
बाबूलाल कटारा की गिरफ्तारी और जांच
अप्रैल 2023 में SOG ने बाबूलाल कटारा, उनके भांजे विजय कटारा, और RPSC के ड्राइवर गोपाल सिंह को गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि बाबूलाल ने प्रश्नपत्र लीक करने के लिए 60 लाख रुपये लिए। प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की और 5 जून 2023 को 15 ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड बरामद हुए। ED ने बाबूलाल, अनिल मीणा, और अन्य की 3.11 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया। सितंबर 2023 में ED ने बाबूलाल और अनिल मीणा को PMLA के तहत गिरफ्तार किया और तीन दिन की हिरासत में लिया।
भांजे को राहत, बाबूलाल पर शिकंजा
विजय कटारा, जो बाबूलाल का भांजा है, को इस मामले में सीमित भूमिका के कारण जमानत मिली। SOG की जांच में विजय का प्रत्यक्ष लेनदेन या पेपर लीक में सक्रिय भागीदारी साबित नहीं हुई। दूसरी ओर, बाबूलाल के खिलाफ सबूतों में उनके बेडशीट जैसे भौतिक साक्ष्य शामिल हैं, जो जांच में महत्वपूर्ण साबित हुए। 10 जून 2025 को सरकार ने बाबूलाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी, जिसके बाद उनके खिलाफ ट्रायल शुरू हुआ। जनवरी 2024 में राज्यपाल कलराज मिश्रा ने बाबूलाल को RPSC से निलंबित कर दिया था।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
इस मामले ने राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर कार्रवाई में देरी का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि पेपर लीक से युवाओं का भविष्य खतरे में पड़ता है। विपक्षी बीजेपी ने भी RPSC अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को हटाने की मांग की थी। इस मामले में कुल 55 लोगों की गिरफ्तारी और परीक्षा रद्द होने से हजारों उम्मीदवारों को नुकसान हुआ, जिन्होंने सालों तक मेहनत की थी।