स्वतंत्रता दिवस से पहले LoC पर डटे वीर जवान:सीमा की सुरक्षा, देश का गर्व.
नियंत्रण रेखा (LoC) पर स्वतंत्रता दिवस से पहले भारतीय सेना और बीएसएफ के जवान चट्टान की तरह डटे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकी साजिशों को नाकाम करते हुए, अत्याधुनिक हथियारों और "त्रिनेत्र" ड्रोन से लैस सैनिक दिन-रात चौकसी बरत रहे हैं। उरी सेक्टर में हाल की घुसपैठ नाकाम करने में शहीद बनोठ अनिल कुमार का बलिदान देश के प्रति समर्पण का प्रतीक है। ये जवान न केवल सीमा की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि देशवासियों में विश्वास और गर्व का संचार भी कर रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस के नजदीक आते ही नियंत्रण रेखा (LoC) पर भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने सुरक्षा व्यवस्था को अभेद्य बना दिया है। सेना के जवान और बीएसएफ के सैनिक दिन-रात सीमा पर मुस्तैद हैं, ताकि दुश्मन की कोई भी नापाक साजिश कामयाब न हो सके। ऑपरेशन सिंदूर के तहत सेना ने अपनी गश्त को और तेज कर दिया है, जिससे घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम किया जा सके और देशवासियों में सुरक्षा का विश्वास बना रहे।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ कड़ा प्रहार
इस साल मई में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना और बीएसएफ ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत सीमा पार आतंकी ठिकानों और पाकिस्तानी सैन्य चौकियों को निशाना बनाया था। इस ऑपरेशन के दौरान उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले में लगभग 8,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक रणनीतिक चौकी ने अहम भूमिका निभाई। इस चौकी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में हिजबुल मुजाहिदीन के लॉन्च पैड्स को नष्ट करने में सफलता हासिल की।
आधुनिक हथियारों और तकनीक से लैस सेना
भारतीय सेना के जवान अत्याधुनिक हथियारों और निगरानी उपकरणों के साथ LoC पर तैनात हैं। सैनिक रूस निर्मित AK-47, अमेरिका निर्मित SIG 716 असॉल्ट राइफल, और भारत में निर्मित AK-203 राइफलों से लैस हैं। AK-203 राइफल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो सैनिकों को बेहतर मारक क्षमता प्रदान करता है। इसके अलावा, सेना "त्रिनेत्र" ड्रोन का उपयोग कर रही है, जिसे "तीसरी आंख" के नाम से जाना जाता है। ये ड्रोन जीपीएस-आधारित रात्रि उड़ान, दोहरे सेंसर, और अल्ट्रा-हाई-रिज़ॉल्यूशन 3D मैपिंग तकनीक से लैस हैं, जो कम दृश्यता में भी इलाके की हर गतिविधि पर नजर रखने में सक्षम हैं।
चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अडिग हौसला
उत्तरी कश्मीर के उरी और बारामूला सेक्टरों में घने जंगलों और ऊंची पहाड़ियों के बीच सेना के जवान हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं। मानसून के कारण चिनाब नदी का जलस्तर बढ़ने से गश्त में कठिनाइयां आ रही हैं, लेकिन बीएसएफ के जवान नावों के जरिए नदी में भी सतर्कता बरत रहे हैं। इसके साथ ही, सैनिक नियमित रूप से प्रैक्टिस फायरिंग करते हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत जवाबी कार्रवाई की जा सके। यह प्रशिक्षण जवानों के हौसले को और मजबूत करता है।
हाल की घटनाएं: सैनिकों का बलिदान और सतर्कता
स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले उरी सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करते हुए एक सैनिक, बनोठ अनिल कुमार, ने अपने प्राणों की आहुति दी। सेना ने इस घटना में आतंकियों की साजिश को विफल कर दिया, लेकिन यह बलिदान देश की सुरक्षा के लिए जवानों के समर्पण को दर्शाता है। सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और भारतीय सेना ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की है और उनके परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारतीय सेना न केवल सीमा की रक्षा कर रही है, बल्कि देशवासियों में विश्वास भी जगा रही है। सेना के जवान और बीएसएफ न केवल LoC पर, बल्कि जम्मू-कश्मीर के पुंछ, कुपवाड़ा, और सांबा जैसे क्षेत्रों में भी सतर्क हैं। रक्षा बंधन के अवसर पर स्कूली बच्चों ने जवानों के लिए राखियां भेजीं, जिससे सैनिकों का मनोबल और बढ़ा है।
स्वतंत्रता दिवस 2025 के मद्देनजर भारतीय सेना और बीएसएफ की यह मुस्तैदी न केवल सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि देशवासियों को यह भरोसा भी दिलाती है कि उनकी आजादी सुरक्षित हाथों में है। ऑपरेशन सिंदूर और अन्य सैन्य अभियानों के जरिए सेना ने साबित किया है कि वह किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयार है।
इस स्वतंत्रता दिवस पर, आइए हम उन वीर जवानों को सलाम करें जो अपनी जान की परवाह किए बिना देश की रक्षा में तत्पर हैं।