मतदाता सत्यापन हुआ आसान, दस्तावेज़ दिखाने से मिली छूट

चुनाव आयोग ने घोषणा की कि विशेष गहन संशोधन (SIR) में ज्यादातर मतदाताओं को नया दस्तावेज नहीं देना होगा, क्योंकि उनके नाम पहले की मतदाता सूची में हैं। नए वोटरों और स्थानांतरित लोगों को डिक्लेरेशन फॉर्म के साथ निर्धारित दस्तावेज जमा करने होंगे।

Sep 17, 2025 - 17:42
मतदाता सत्यापन हुआ आसान, दस्तावेज़ दिखाने से मिली छूट

चुनाव आयोग ने बुधवार को घोषणा की कि विशेष गहन संशोधन (SIR) के तहत देश के अधिकांश राज्यों में आधे से ज्यादा मतदाताओं को अपनी पहचान साबित करने के लिए कोई नया दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी। इसका कारण यह है कि इन मतदाताओं के नाम पहले से ही पिछली SIR की मतदाता सूची में दर्ज हैं। यह कदम मतदाता सूची को अपडेट करने और नए वोटरों को जोड़ने की प्रक्रिया को और सरल बनाने की दिशा में उठाया गया है।

बिहार में 60% मतदाताओं को राहत, नए नियमों का पालन जरूरी

न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न राज्यों में पिछली SIR प्रक्रिया अलग-अलग वर्षों में आयोजित की गई थी, जो ज्यादातर 2002 से 2004 के बीच पूरी हो चुकी थी। उदाहरण के लिए, बिहार में 2003 की SIR सूची को आधार बनाया गया है। वहां के करीब 5 करोड़ मतदाता, यानी 60% वोटर, पहले से ही इस सूची में शामिल हैं। ऐसे मतदाताओं को अपनी जन्मतिथि या जन्मस्थान साबित करने के लिए कोई अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, बाकी 3 करोड़ नए मतदाताओं (40%) को 11 स्वीकृत दस्तावेजों में से कोई एक जमा करना होगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद आधार कार्ड को भी 12वें दस्तावेज के रूप में शामिल किया गया है।

दिल्ली और उत्तराखंड की SIR सूचियां ऑनलाइन उपलब्ध

चुनाव आयोग ने बताया कि दिल्ली में 2008 और उत्तराखंड में 2006 की SIR सूची को आधार बनाया गया है। ये सूचियां अब संबंधित राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। नए मतदाताओं या दूसरे राज्यों से स्थानांतरित हुए लोगों को एक डिक्लेरेशन फॉर्म भरना होगा, जिसमें उन्हें अपने जन्म के बारे में जानकारी देनी होगी। नियम इस प्रकार हैं:

  • 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे: केवल स्वयं का जन्म प्रमाण देना होगा।

  • 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे: माता-पिता के जन्म या नागरिकता के दस्तावेज भी जमा करने होंगे।

  • 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे: यह साबित करना होगा कि माता-पिता में से कम से कम एक भारतीय नागरिक है और दूसरा गैर-कानूनी प्रवासी नहीं है। इसके लिए माता-पिता के दस्तावेज भी जमा करने होंगे।

राष्ट्रव्यापी SIR की तैयारी, बिहार से लिया सबक

चुनाव आयोग सभी राज्यों में एक साथ SIR प्रक्रिया आयोजित करने की योजना बना रहा है। बिहार में हाल ही में हुई SIR प्रक्रिया के अनुभवों के आधार पर आयोग अपनी प्रक्रियाओं में सुधार करेगा। आयोग के सूत्रों के अनुसार, करीब दो लाख नए बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) नियुक्त किए जाएंगे, ताकि हर 250 घरों पर कम से कम एक चुनाव प्रतिनिधि मौजूद हो।

आयोग ने राज्यों के निर्वाचन अधिकारियों के साथ हाल की बैठकों में प्राप्त सुझावों के आधार पर राष्ट्रव्यापी SIR का रोडमैप तैयार करना शुरू कर दिया है। इसमें मतदाता फॉर्म जमा करने, दावे और आपत्तियां दर्ज करने, दस्तावेजों की जांच और ड्राफ्ट व अंतिम मतदाता सूची जारी करने की समयसीमा भी निर्धारित की जाएगी।

समयसीमा में विस्तार और लचीलापन

बिहार के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए, आयोग प्रक्रिया को और लचीला बनाने पर विचार कर रहा है। उदाहरण के लिए, मतदाता फॉर्म जमा करने की अवधि को 30 दिन से बढ़ाकर 45 दिन किया जा सकता है। साथ ही, ड्राफ्ट मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज करने के लिए भी 45 दिन का समय दिया जा सकता है। दस्तावेजों की जांच के लिए एक महीने का समय पर्याप्त होगा। इस तरह, पूरी SIR प्रक्रिया चार से पांच महीने में पूरी हो सकती है।

क्षेत्रीय जरूरतों के हिसाब से दस्तावेजों में बदलाव

चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार में शुरू में 11 दस्तावेज मान्य थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में शामिल किया गया। राज्यों की विशिष्ट जरूरतों के आधार पर इन दस्तावेजों की संख्या में कमी या वृद्धि की जा सकती है। इसके लिए सभी राज्यों से सुझाव मांगे गए हैं।

बिहार चुनाव से कोई संबंध नहीं

आयोग ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रव्यापी SIR की यह कवायद बिहार विधानसभा चुनाव से संबंधित नहीं है। सभी राज्यों के निर्वाचन अधिकारियों को तैयारी शुरू करने के निर्देश दे दिए गए हैं, और तारीखों की घोषणा होते ही यह प्रक्रिया जोर-शोर से शुरू हो जाएगी। असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर में आखिरी गहन समीक्षा 2005 में हुई थी, जबकि महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश में यह 2006-07 में और दिल्ली में 2008 में पूरी हुई थी।

Yashaswani Journalist at The Khatak .